बरसात के मौसम में अपने परिवार वालों और दोस्तों के साथ स्ट्रीट फूड खाने का मज़ा ही कुछ और है। मगर बरसात का मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है। यह सब इसलिए होता है क्योंकि हम बाहर कहीं भी खाना खा लेते हैं बिना यह सोचे कि ये हाईजीनिक है या नहीं। ये सभी मिलकर आपके लिवर पर कहर बरपा सकते हैं। यही वजह है कि इसी मौसम में हेपेटाइटिस A और हेपेटाइटिस E जैसे गंभीर संक्रमणों की चपेट में आने का खतरा रहता है। इनसे खुद को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि आप अपनी लिवर हेल्थ (Liver Health in monsoon) पर इन दिनों ज्यादा ध्यान दें।
इस मौसम में पानी भी कई बार दूषित हो जाता है और इसमें कई तरह के कीटाणु पनपने लगते हैं, जिसकी वजह से लिवर हेल्थ पर भी असर पड़ता है और अन्य कई तरह की समस्याएं आ सकती हैं।
तो यदि आप भी बीते दिनों बाहर के गोल गप्पे खाने लगी हैं, तो अपनी आदत जल्दी बदल लें। साथ ही, बाहर का खाना खाते वक्त, खाना बनाते समय और कच्ची सब्जियां या फलों का सेवन करते समय सावधानी बरतना जरूरी है।
इस बारे में और विस्तार से जानने के लिए हमने ग्लोबल हॉस्पिटल्स, मुंबई के सीनियर कंसल्टेंट, लिवर ट्रांसप्लांट और एचपीबी सर्जन, डॉ राजीव आर सिन्हा से बात की। चलिये उनसे जानते हैं कि मानसून में क्यों होती हैं लिवर संबंधी समस्याएं।
“लिवर में संक्रमण या हेपेटाइटिस ज्यादातर A और E वायरस के कारण होता है। आपको दूषित भोजन या पानी से या संक्रमित व्यक्ति या वस्तु के संपर्क में आने से हेपेटाइटिस A या E होने की सबसे अधिक संभावना है।”
डॉ राजीव के अनुसार – ”सड़क किनारे लगे फूड स्टॉल, फल बेचने वाले, सोडा या नींबू पानी वालों से चीज़ें लेकर खाना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। कटे फलों में बैक्टीरिया बनने का ज़्यादा खतरा रहता है। साथ ही, ज़्यादा दिन खुले में रखे हुये पानी में भी यह पनप सकता है, जिसकी वजह से बाहर से लेकर कुछ खाना आपके लिए हानिकारक है।”
डॉ राजीव कहते हैं, – इन वायरस के कारण होने वाले अधिकांश संक्रमण एसिमटोमैटिक होते हैं और फैलते भी नहीं हैं। ऐसे में आप कुछ ऐसे लक्षण विकसित कर सकती हैं जो आमतौर पर हल्के होते हैं और एक सप्ताह तक चलते हैं।”
डॉ राजीव के अनुसार – “सौ में से एक या दो पीलिया के संबंधित लक्षणों के साथ रोग का गंभीर रूप विकसित कर सकते हैं और कुछ महीनों तक रह सकते हैं। 1% से भी कम को लिवर फेलियर हो सकता है। जिसकी वजह से रोगी कोमा में जा सकता है। इन गंभीर मामलों में इलाज केवल लिवर ट्रांसप्लांट है।”
इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं – थकान, भूख न लगना, अचानक घबराहट होना और उल्टी और पेट में दर्द या बेचैनी। हेपेटाइटिस A और E वायरस को ठीक करने के लिए दवाएं तो काम आती ही हैं, लेकिन उससे ज़्यादा मुख्य भूमिका आपकी डाइट की होती है।
अब ग्लोबल हॉस्पिटल, मुंबई के लिवर, पैनक्रिया और इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट और एचपीबी सर्जरी के प्रमुख, डॉ. हुनैद हातिमी, से जानते हैं कुछ टिप्स, जो आपको लिवर हेल्थ को बनाए रखने में मदद करेंगे।
यदि आप रॉ मीट भी खाती हैं तो आपको हेपेटाइटिस E हो सकता है। इसलिए अशुद्ध कच्चा भोजन और सब्जियां खाने से बचें, बिना पके फल या सब्जियां (जैसे सलाद और जूस) तैयार करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
रेहड़ी वालों से खाना खरीदने से बचें, और इस बात का ध्यान रखें कि फल पहले से कटे हुए न हों। साथ ही, दूषित पानी में धोए गए हों।
गंदी बर्फ के उपयोग के कारण जूस और अन्य पेय में समान जोखिम होता है।
इसके अलावा, लिवर हेल्थ का ख्याल रखने के लिए खाना खाने से पहले हाथ धोएं और साफ हाथों से ही खाना पकाएं।
यह भी पढ़ें : आंखों के लिए डायबिटीज जितने ही खतरनाक हैं रतजगे, एक्सपर्ट दे रहे हैं चेतावनी