गर्मी में सूरज की तेज़ किरणों से त्वचा की रक्षा करने के लिए अक्सर सनब्लॉक का इस्तेमाल किया जाता है। मगर त्वचा के अलावा यूवी रेज़ आंखों के लिए भी नुकसानदायक साबित होती है। यूवी एक्सपोज़र आंखों को कई प्रकार से प्रभावित करती हैं। इसके चलते आंखों में दर्द, जलन और इचिंग का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गर्मी की तपिश से आंखों को प्रोटेक्ट करने के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना आवश्यक है। जानते हैं आंखों को सन डैमेज से बचाने के लिए रखें किन बातों का ख्याल।
अमेरिकन अकेडमी ऑफ ओफ्थाल्मोलॉजी के अनुसार तेज़ धूप और इंडोर आर्टिफिशल रेज़ से निकलने वाली यूवी रेडिएशन आंखों के टिशूज़ के अलावा कॉर्निया और लेंस को नुकसान पहुंचाने लगती हैं।
नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार यूवी रेज़ इलेक्ट्रोमेगनेटिक रेडिएशन की एक फॉर्म है। इसकी वेव लैन्थ कम होने के कारण इसे देखा नहीं जा सकता है। इसमें केवल रोशनी के रूप में इलेक्ट्रोमेगनेटिक स्पेक्ट्रम का छोटा सा हिस्सा नज़र आता है।
यूवी लाइट तीन तरह की होती है, जो वेवलैंथ रेंज पर आधारित होती है। यूवीए वेव लैंथ 315 से 400 नैनोमीटर है। यूवीबी 280 से 315 नैनोमीटर है और यूवीसी वेव लैंथ की रेंज 100 से 280 नैनोमीटर है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अनुराग नरूला के मुताबिक यूवी रेज़ आंखों के टिशूज़ में रोशनी की तुलना में जल्दी पेनिट्रेट करती हैं। इससे आंखों की समस्याओं का खतरा बढ़ने लगता है। इससे आई कैंसर, कैटरेक्ट, सनबर्न्ड आइज़ और स्नो बलाइंडनेस का खतरा बना रहता है। इसके अलावा यूवी रेज़ स्किन के लिए भी नुकसानदायक है। इससे आंखों के आसपास की त्वचा पर झुर्रियों और स्पॉटस की समस्या भी बढ़ने लगती है। इससे स्किन कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है।
धूप में निकलने से पहले आंखों को प्रोटेक्ट करने और ड्राई आईज की समस्या से बचने के लिए सन ग्लासेस पहनना न भूलें। इससे आंखों की नमी बरकरार रहती है और आइज़ हाइड्रेट रहती हैं। सनग्लासेस की खरीददारी के दौरान यूवी रेटिंग को चेक करना न भूले। इसके लिए 100 पर्सेंट यूवी और यूवी 400 प्रोटेक्शन को ही चुनें। इसके अलावा वही चश्मा चुनें जो यूवी ए और यूवी बी को ब्लॉक कर पाए।
खुद को धूप की किरणों से बचाने के लिए सन ग्लासेस के अलावा हैट पहनना न भूलें। इससे आंखों पर सन डैमेज का खतरा कम होने लगता है। साथ ही टैनिंग से भी बचा जा सकता है। लॉन्ग हैट पहनने से आई स्ट्रेन का जोखिम कम हो जाता है और रेटिना को सन एक्सपोज़र से प्रोटेक्ट किया जा सकता है।
बार बार होने वाली स्वैटिंग के चलते हाथ बार बार चेहरे के संपर्क में आने लगते हैं। इससे आंखों में बैक्टीरियन इंफे्क्शन का खतरा बना रहता है। हाथों को धोए बगैर आंखों पर लगाने से एलर्जी की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आई हाइजीन को मेंटेन करने के लिए बाहर से लौटने के बाद फेसवॉश करें और आंखों को साफ कपड़े से साफ करना न भूलें।
आहार में विटामिन ए रिच डाइट शामिल करें। इससे आंखों की रोशनी में सुधार आने लगता है। वहीं विटामिन सी से भरपूर मील से ऑक्सीडेटिव तनाव को दूर करने में मदद मिलती है। इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्जियों से ल्युटेन तथा जैक्सांथिन की प्राप्ति होती है, जिससे आंखों की कोशिकाओं को मज़बूती मिलती है।
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