लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। इसलिए लिवर का स्वस्थ होना जरूरी है। कभी-कभी कुछ कारणों से लिवर में प्रॉब्लम हो जाती है। इससे फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस सहित कई बीमारियां हो जाती हैं। जॉन्डिस भी उनमें से एक है। जॉन्डिस या पीलिया होने पर शरीर पीला पड़ने लगता है। यह बच्चों और बड़ों दोनों में हो सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ उपाय अपनाकर जॉन्डिस से बचाव (Jaundice Prevention) किया जा सकता है।
हिपेटोलॉजिस्ट डॉ. तेजस्वी एम बताते हैं, ‘जब रेड ब्लड सेल्स मर जाती हैं, तो वे ब्लड में बिलीरुबिन, एक पीला-ऑरेंज कलर छोड़ देती हैं। लिवर ब्लड फ्लो से बिलीरुबिन को फ़िल्टर कर मल में निकाल देता है। यदि सिस्टम में बिलीरुबिन की बहुत अधिक मात्रा है या लीवर इससे ओवरलोडेड हो जाता है, तो यह हाइपरबिलिरुबिनमिया नामक बिल्डअप का कारण बनता है। यही पीलिया का कारण बनता है। पीलिया के कारण स्किन और आंखों का सफेद भाग भी पीला दिखने लगता (liver health) है।
नवजात शिशुओं को अक्सर यह हो जाता है। लगभग 60% शिशु को जन्म के बाद पहले कुछ दिनों के भीतर पीलिया हो जाता ((Jaundice Prevention) है। इसे इक्टेरस भी कहा जाता है। वयस्कों को भी यह हो सकता है, लेकिन यह कम होता है। पीलिया होने पर व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। यह लीवर, ब्लड या गॉल ब्लैडर की समस्या का कारण भी हो सकता है।‘
1 वायरल संक्रमण ( हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी या ई)
• सिरोसिस (लिवर पर घाव) या शराब पीना
• ऑटोइम्यून रोग के कारण हो सकता है
• वंशानुगत स्थितियां जैसे डबिन-जॉनसन सिंड्रोम और गिल्बर्ट सिंड्रोम
• कुछ दवाइयां
• गर्भावस्था भी पीलिया की वजह बन सकता है
हिपेटोलॉजिस्ट डॉ. तेजस्वी एम बताते हैं, ‘पीलिया के जाने-माने लक्षण हैं- त्वचा का पीला पड़ना। आंखों का पीलिया भी हो सकता है, जिसे स्क्लेरल इक्टेरस भी कहा जाता (liver health) है।
पीलिया या जॉन्डिस के कारण बुखार, पेट दर्द, ठंड लगना, पेशाब का रंग पीला होना, टार- या मिट्टी के रंग का मल, फ्लू जैसे लक्षण, त्वचा में खुजली, वजन घटना, असामान्य रूप से चिड़चिड़ापन महसूस करना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। कुछ व्यक्तियों में भ्रम, असामान्य उनींदापन, आसानी से चोट लगना या खून बहना, उल्टी में खून आना जैसे लक्षण भी दीखते हैं।‘
डॉ. तेजस्वी एम के अनुसार, पीलिया को आमतौर पर आहार या जीवनशैली से प्रबंधित किया जा सकता है। यदि स्थिति गंभीर है, तो व्यक्ति को तत्काल सर्जिकल या लॉन्ग टर्म उपचार की जरूरत हो सकती है। इस दौरान आयरन सप्लीमेंट, एंटीहिस्टामाइन, कोलेस्टारामिन, रिफैम्पिन और नाल्ट्रेक्सोन जैसी दवाएं दी जा सकती हैं।
यदि आप बहुत अधिक शराब पीती हैं, तो आपको पीलिया होने का खतरा अधिक हो सकता है। यह मिडल एज में आम है। जीवनशैली में परिवर्तन करके पीलिया के खतरे को कम किया जा सकता (liver health) है।
बिना डॉक्टर की सलाह के हर्बल सप्लीमेंट लेने से बचें। बिना जरूरत के इसे लेना लीवर के लिए टॉक्सिक साबित हो सकता है।
यदि स्मोकिंग की आदत है, तो इसे तुरंत छोड़ दें। यदि आपको शराब पीने की आदत है, तो लिवर हेल्थ के लिए इसे तुरंत छोड़ दें। किसी भी प्रकार की शराब बहुत कम कर दें या पीना बंद कर दें।
ऐसी दवाएं जो नस में जाती हैं, इंट्रावेनस दवा कहलाती हैं। इनका उपयोग न करें। कभी भी डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा से अधिक दवा न लें। इससे भी लिवर हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता (liver health) है।
इनके अलावा, विदेश यात्रा से पहले सभी जरूरी टीके लगवाना, सुरक्षित यौन व्यवहार करना, हेल्दी वजन बनाए रखना, कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित किये रखना भी जॉन्डिस से बचाव (liver health) कर सकता है।
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