आज भारत में एक तिहाई से अधिक लोग मधुमेह के शिकार हैं। बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि माता-पिता की कुछ आदतों के कारण बच्चों में इसका जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में माता-पिता की जिम्मेदारी बन जाती है कि बच्चों के साथ-साथ वे अपनी बुरी आदतों के प्रति जागरूक हों। 14 नवंबर को मनाए जाने वाले वर्ल्ड डायबिटीज डे पर अपनी आदतों को पहचान कर उन्हें स्वस्थ आदतों में बदलने की कोशिश करें। इससे टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम कम हो सकता है। टाइप 1 डायबिटीज के विपरीत टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes in children) के जोखिम को रोका जा सकता है।
बच्चों में होने वाली डायबिटीज को जुवेनाइल डायबिटीज या टाइप 1 डायबिटीज कहा जाता है। यह एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया है। इसमें शरीर गलती से खुद पर हमला करता है। यह प्रतिक्रिया पैनक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है, जिन्हें बीटा कोशिकाएं कहा जाता है। इसके कारण टाइप 1 डायबिटीज हो जाती है। किसी भी लक्षण के प्रकट होने से पहले यह प्रक्रिया महीनों या वर्षों तक चल सकती है।
टाइप 1 डायबिटीज को पहले इंसुलिन-डिपेंडेंट या जुवेनाइल डायबिटीज कहा जाता था। यह किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है। टाइप 1 डायबिटीज टाइप 2 की तुलना में कम आम है। टाइप 1 डायबिटीज लगभग 5-10% लोगों में होता है।
जबकि अब बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट खाने और एडेड शुगर ड्रिंक पीने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा अधिक होता है। साथ ही फैमिली हिस्ट्री होने पर भी उनमें टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
अक्सर बच्चों के नखरों से परेशान होकर पेरेंट्स उनके हाथ में अनहेल्दी फ़ूड थमा देते हैं। पिज्जा, बर्गर सिर्फ कैलोरी गेन करवाते हैं, जो बाद में मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज की वजह बनते हैं। हेल्दी होने का दावा करने वाले अल्ट्राप्रोसेस्ड फ़ूड भी ब्लड शुगर बढ़ा सकते हैं। वहीं यदि घर पर तैयार किया हुआ भोजन बार-बार गर्म किया जाता है, बासी भोजन खाया जाता है, तो ये आदतें भी बच्चों में ब्लड शुगर बढ़ाने का जोखिम पैदा कर देते हैं।
एडेड शुगर, आर्टीफिशियल शुगर से तैयार खाद्य पदार्थ और पेय, जैसे- केक, पेस्ट्री, सोडा, पैकेज्ड फ्रूट जूस और आइस्ड टी अक्सर माएं फ्रिज में रखती हैं। जैसे ही बच्चा किसी ख़ास डिश को खाने के लिए मचला, ये सारी चीज़ें उन्हें खाने के लिए थमा दी जाती हैं। इन सभी भोजन और पेय से अत्यधिक वजन बढ़ सकता है।
अत्यधिक गैजेट के युग में बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर हो गई है। वर्किंग पेरेंट्स अपना वर्क फ्रॉम होम सुचारू रूप से चलाने के लिए बच्चों के सामने हर तरह का स्क्रीन ऑप्शन रख देते हैं। बच्चे भी अपने हमउम्र बच्चों से मिलने और खेलने की बजाय मोबाइल देखते हैं। वे इंटरनेट सर्फिंग करते हैं या टीवी शो देखते हैं। फिजिकल एक्टिविटी के अभाव में बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
बच्चों के सामने हेल्दी फ़ूड खुद भी खाएं और उन्हें भी खिलाएं। कम वसा वाले पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने परिवार के नियमित आहार का हिस्सा बनाएं। साबुत अनाज, फल, सब्जियां, डेयरी उत्पाद और कम वसा वाले प्रोटीन सभी अत्यधिक वजन बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं। इससे डायबिटीज का खतरा कम होता है। इसलिए इन खाद्य पदार्थों को बच्चों को भी दें।
यदि पैकेज्ड एनर्जी ड्रिंक हमेशा घर में रखने की आदत है, तो उन्हें कम से कम करें। उन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में मौजूद ट्रांस फैट और आर्टिफिशियल शुगर की मात्रा जानने की कोशिश करें। जिनका आपका परिवार नियमित रूप से सेवन करता है। उन ड्रिंक को पीने की बजाय ताजे और मौसमी फल खाने की आदत डालें। धीरे-धीरे नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी खुद पीयें और बच्चों को भी दें।
जीवनशैली में फिजिकल एक्टिविटी का शामिल होना बहुत जरूरी है। ऐसी एक्टिविटी खोजें, जिनमें आपके बच्चे आनंद लें। चाहे वह स्कूल के बाद के खेल हों या हर दिन कुत्ते को टहलाने के लिए ले जाना हो- गतिविधि वजन बढ़ने के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है और टाइप 2 मधुमेह की शुरुआत को रोकने में मदद कर सकती है। इसे बच्चों के साथ करें।
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कस्टमाइज़ करें1 परिवार के किसी सदस्य को टाइप 2 डायबिटीज होना
2 जीस्टेशनल डायबिटीज वाली मां को
3 इंसुलिन प्रतिरोध से संबंधित एक या अधिक स्थिति होने पर
4 बच्चे का वजन अधिक होने पर इसका जोखिम बढ़ जाता है। उसके ब्लड शुगर की जांच जरूर करायें।
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