क्या आपकी आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ हो रही है? अगर ऐसा है, तो आपके आस-पास का कोहरा सर्दियों का संकेत नहीं है। यह प्रदूषण के बढ़ते स्तर की निशानी है। ठंड आने से पहले आप गरम कपड़े, डाइट, हर्बल ड्रिंक्स, एक्सरसाइज में बदलाव करने के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन आपको उससे पहले होने वाले प्रदूषण से बचने की आवश्यकता है।
यह कोई आम दिनों की तरह नहीं होता, क्योंकि आप जीवित रहने के लिए जो हवा अंदर लेते हैं वह जहरीला होने लगता है। इससे आपके फेफड़ों पर गहरा असर पड़ता है। लंबे दौर में यह कई स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं, यह अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।
जानिए कैसे हवा की खराब गुणवत्ता या प्रदूषण अस्थमा के रोगियों के लिए स्वास्थ्य मुश्किलें बढ़ाता है।
अस्थमा को दमा की बीमारी भी कहां जाता है। यह ऐसी स्थिति है जब आपके स्वास नलि में सूजन हो जाता है जिसके कारण आपके फेफड़े सिकुड़ने लगते है। ऐसे में आपको सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। फेफड़ों की जकड़न, सांस फूलना, खांसी, सांस लेते समय आवाज आना, आदि कुछ आम परेशनियां है।
अगर इस बीमारी में आप दूषित हवा के संपर्क में या जाते है, तो आपको दमा का दौरा भी आ सकता है। वायु प्रदूषण के छोटे और जहरीले कण आपके फेफड़ों में परेशानी का कारण बन सकते हैं।
अस्थमा से पीड़ित लगभग दो तिहाई लोग यह अनुभव करते हैं कि खराब वायु गुणवत्ता उनके अस्थमा को बदतर बना देती है, जिससे उन्हें अस्थमा के दौरे (asthma attacks) का खतरा होता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रदूषण आपके सांस लेने के रास्ते को जल्दी से परेशान कर सकता है और अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है। कुछ प्रदूषण कण इतने छोटे होते हैं कि आपके फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।
वायु प्रदूषण (air pollution) अस्थमा से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक संभावित जोखिम बन सकता है।
शोध से पता चलता है कि प्रदूषण का उच्च स्तर बच्चों और वयस्कों दोनों में अस्थमा का कारण बन सकता है।उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को अधिक खतरा होता है।
इसके अलावा यदि आप गर्भवती होने के बावजूद उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में आतीं हैं, तो चाहे आपको स्वयं अस्थमा है या नहीं, परंतु आपके बच्चे को अस्थमा होने की अधिक संभावना हो सकती है।
1. अगर आप अस्थमा के रोगी हैं और प्रदूषण के कारण आपका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है तो इन बचाव के उपायों को जरूर अपनाएं:
2. अपनी आम निवारक दिनचर्या का सख्ती से पालन करें ताकि आप प्रदूषण और अपने अन्य ट्रिगर्स से बेहतर तरीके से निपट सकें।
3. किसी भी लक्षण से तुरंत निपटने के लिए अपना रिलीवर इनहेलर (inhaler) अपने साथ रखें।
4. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के आंकड़ें को नजरअंदाज ना करें। इसके साथ मौसम ऐप की सहायता से अपने क्षेत्र में प्रदूषण के पूर्वानुमान की जांच करें। यदि प्रदूषण का स्तर ‘हाई (high)’ या ‘वेरी हाई (very high)’ है तो बाहर जानें से बचें।
5. मुख्य सड़कों, जंक्शनों, बस स्टेशनों और कार पार्किंग जैसे प्रदूषण वाले हॉटस्पॉट (pollution hotspot) से बचें और जितना संभव हो शांत सड़कों का उपयोग करें। यदि संभव हो तो प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने से पहले ही अपना काम खत्म कर लें।
6. यदि आपको सप्ताह में तीन या अधिक बार अपने स्वास्थ्य में गिरावट महसूस हो रहा है, तो बाहर जानें से बचें। इसके अलावा बिना मास्क के कही भी ट्रैवल ना करें।
7. आम डिजाइन वाले या सर्जिकल मास्क ना पहनें। इसके लिए डॉक्टर की सलाह से विशेष मास्क का ही उपयोग करें।
तो लेडीज, प्रदूषण के कारण होने वाली परेशानियों से बचने का समय आ गया है! इन बचाव के उपायों का पालन जरूर करें।
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