किडनी शरीर के मुख्य अंगों में से एक है, जो शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स करने में मददगार साबित होती है। अनियमित जीवनशैली और अस्वस्थ खानपान किडनी खराब होने का कारण साबित होते हैं। किडनी संबधी समस्याओं को अगर शुरूआत में पहचान पाते हैं, तो उसे ठीक किया जा सकता है। किडनी खराब होने से उसका असर पाचनतंत्र पर नज़र आने लगता है। जानते हैं किडनी खराब होने के वो कौन से लक्षण हैं, जो पेट से संबधित हैं (4 stomach issues signs of kidney damage)।
सीके बिरला अस्पताल, गुरूग्राम में नेफ्रोलॉजी कंसलटेंट डॉ मोहित खिरबत बताते है कि नियमित तौर पर डीप फ्राइड और मसालेदार खाना खाने से किडनी फंक्शन प्रभावित होते हैं। ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा बना रहा है। इसके अलावा ब्लोटिंग, एसिडिटी और अपच की समस्या का सामना भी करना पड़ता है, जिससे गट हेल्थ प्रभावित होने लगती है। खानपान नियमित न होने से एपिटाइट कमज़ोर होने लगता है, जिसके चलते यूरिया व क्रेटनाइन का स्तर अनियंत्रित हो जाता है।
नेशनल किडनी फाउंडेशन के अनुसार दुनियाभर में 10 फीसदी लोग क्रानिक किडनी डिज़ीज़ से ग्रस्त हैं। अनियमित जीवनशैली और फैमिली हिस्टरी के चलते क्रोनिक किडनी रोग का खतरा बढ़ने लगता है। इससे ग्रस्त लोगों को हाई ब्लड प्रेशर और दिल से संबंधित बीमारियों जैसे स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट का जोखिम बढ़ने लगता है।
पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द बना रहता है, जिसे अधिकतर लोग बैक पेन समझने लगते है। ये दर्द पेट के दाई या बाई तरफ होता हुआ पीठ की ओर बढ़ने लगता है। समय पर इसकी पहचान होने पर एक्यूट किडनी डिज़ीज़ का इलाज संभव है।
क्रानिक किडनी डिज़ीज़ से पीडित व्यक्ति को ज्यादा स्पाइसी और ऑयली फूड खाने से एसिडिटी का सामना करना पड़ता है। इससे ब्लोटिंग और एसिडिटी बनने के अलावा वॉमिटिंग की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में हल्का और होम मेड फूड की मदद से किडनी के स्वास्थ्य को उचित बनाए रखा जा सकता है।
एसिडिटी और वॉमिटिंग के चलते एपिटाइट कम हो जाता है, जिससे नियमित तरीके से भूख नहीं लग पाती है। साथ ही शरीर खाने को पूरी तरह से पचाने में समर्थ नहीं होता है। इसके चलते शरीर का वज़न दिनों दिन कम होने लगता है, जिसे शरीर में कमज़ोरी और आलस्य बढ़ने लगता है।
किडनी की समस्या से पेट सूजन की समस्या बनी रहती है। दरअसल, शरीर में बढ़ने वाले तरल पदार्थ के स्तर के चलते पेट के अलावा हाथों और पैरों में सूजन की समस्या बढ़ने लगती है। अगर कोई व्यक्ति इस समस्या का शिकार है, तो उसे अपना इलाज अवश्य करवाना चाहिएं।
ब्लोटिंग, एसिड रिफ्लक्स और जलन की समस्या से बचने एक ही समय में हैवी मील्स लेने की जगह दिनभर में 4 से 5 बार स्मॉल मील्स लें। इससे शरीर को सभी पोषक तत्वों की प्राथ्पत होती है।
भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करने से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थ डिटॉक्स होने लगते हैं। इससे कोलन क्लीन रहता है और कब्ज की समस्या से भी राहत मिल जाती है। रोज़ाना अल्कोहल का सेवन करने से भी डायरिया, जलन और लीवर संबधी रोगों की संभावना बढ़ने लगती है।
किडनी की समस्या को हल करने के लिए दिनभर में कुछ देर वॉक या एक्सरसाइज़ के लिए निकालें। शरीर को फिट बनाए रखने के लिए साइकलिंग और स्वीमिंग भी रूटीन में शामिल कर सकते है। इससे मसल्स में होन वाली ऐंठन और पाचनतंत्र को दुरूस्त नाए रखने में मदद मिलती है।
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कस्टमाइज़ करेंशरीर में बढ़ने वाले स्ट्रेस को कम करने के लिए मेडिटेशन का सहारा लें। इससे स्ट्रेस दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही शरीर में हैप्पी हार्मोन भी रिलीज़ होने लगते है। इससे शरीर के मसल्स रिलैक्स होने लगते है और शरीर हेल्दी बना रहता है।
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