फेस्टिव सीजन में खलल न डाल दे फूड प्वाइजनिंग, इसलिए इन बातों को गांठ बांध लें

यकीनन त्योहारों का मजा खाने-खिलाने के साथ है। मगर मिलावटी या खराब खाद्य पदार्थ आपकी सेहत पर भारी पड़ सकते हैं।
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फ़ूड पॉइजनिंग के कारण पेट में ऐंठन, दस्त, जी मिचलाना, उल्टी करना, भूख में कमी, हल्का बुखार, कमज़ोरी, सिर दर्द आदि हो सकता है। चित्र : शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 4 Nov 2021, 02:00 pm IST
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दिवाली (Diwali),रोशनी और खाने-पीने का त्यौहार है। इस दौरान लोग बिना कैलरीज (calories) की चिंता किए जमकर खाते-पीते हैं। लेकिन कई बार खाना नुकसान कर जाता है और सीधा असर हमारे शरीर पर होता है। दिवाली पर खूब तला-भुना( Oily foods) और मीठा खाया जाता है। लेकिन सेहत के लिए सावधानी बहुत जरूरी है। आप तला-भुना और मिठाई अवश्य खाएं, लेकिन किसी चीज की अति ना करें। कई बार इन्हीं छोटी-छोटी गलतियों के कारण हमें फूड प्वाइजनिंग (food poisoning) का सामना करना पड़ सकता है। जो त्योहार का मजा खराब कर देती है।

क्या होती है फूड प्वाइजनिंग? ( Food Poisoning Causes)

फूड प्वाइजनिंग ( food poisoning ) एक तरह का संक्रमण ( Infection ) है, जो स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया, या किसी दूसरे जीवाणु के कारण होती है। इस स्थिति में पेट दर्द, तेज बुखार, उल्टी, सिर में दर्द और दस्त जैसी समस्याएं होती हैं।

वैसे तो यह समस्या ज्यादातर गर्मियों में लोगों को परेशान करती है, लेकिन दिवाली के समय भी अंधाधुंध खाने या मिलावटी खाद्य पदार्थों के कारण फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। कुछ घरेलू उपाय इस स्थिति में आपके लिए मददगार हो सकते हैं। मगर गंभीर मामलों में आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

फेस्टिव सीजन में खलल न डाल दे फूड प्वाइजनिंग। चित्र : शटरस्टॉक

फेस्टिव सीजन में खानपान का ध्यान रखना है जरूरी

आपको फूड प्वाइजनिंग से बचाव के लिए खानपान के मामले में सावधान रहने की जरूरत है। दिवाली के मौके पर कई बार बाजार मिलावटी सामान घर आ जाता है, जो फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकता है। इसलिए जब भी बाजार से कुछ खरीदें, तो लेबल को अच्छी तरह पढ़ें। चीजों की डेट ऑफ पैकेजिंग और एक्सपायरी डेट देखना भी आपको सही चीजें चुनने में मदद कर सकता है।

यहां हैं फूड प्वाइजनिंग के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया

साल्मोनेला ( salmonella ) : यह लटिया का एक समूह होता है, जो ज्यादातर आधे कच्चे खाने में पनपने लगता है। इसलिए जब भी कभी आप किसी भी प्रकार का मीट, अनपेस्टिसाइड दूध यह चीज का सेवन करते हैं तो फूड प्वाइजनिंग का रिस्क बढ़ जाता है।

क्लॉस्ट्रीडियम परफ्रिंगेन्स ( clostridium perfringens ) : यह बैक्टीरिया हमेशा उस खाने में पाया जाता है जो ज्यादा मात्रा में बनाए जाते हैं। इसीलिए ज्यादातर बाहर के खाने में यह बैक्टीरिया मौजूद होता है। कई बार मिठाइयों के जरिए यह बैक्टीरिया आपके शरीर में प्रवेश करता है जिसके बाद आपको फूड प्वाइजनिंग की संभावनाएं बढ़ जाती है।

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क्या ज्यादा मीठा खाने से डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है?

लिस्टेरिया ( listeria ) : यह बैक्टीरिया फ्रिज में रखे खानों में पनपता है, क्योंकि इसको पनपने के लिए लो टेंपरेचर की आवश्यकता होती है। हम अक्सर अपना बचा हुआ खाना फ्रिज में रख देते हैं, जिसमें यह बैक्टीरिया जन्म लेना शुरू कर देते हैं और फूड प्वाइजनिंग जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है।

यहां हैं फूड प्वाइजनिंग से निपटने के लिए कुछ घरेलू उपाय

1.तुलसी ( Basil/ tulsi )

तुलसी को आयुर्वेद में काफी मान्यता दी गई है। तुलसी में मौजूद कई औषधीय गुण बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम होते हैं। जब फूड प्वाइजनिंग के लक्षण महसूस हों तो एक कटोरी दही में तुलसी की कुछ पत्तियां,काली मिर्च और थोड़ा नमक डालकर सेवन कर सकते हैं। इससे आपको अच्छा महसूस होगा।

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तुलसी एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट है। चित्र : शटरस्टॉक

2. सेब का सिरका ( Apple vinegar )

सेब का सिरका लगभग हर घर में मौजूद होता है, फूड प्वाइजनिंग होने पर या इसके लक्षण महसूस होने पर सेब का सिरका आपके बेहद काम आ सकता है। विभिन्न शोध बताते हैं कि सेब के सिरके में मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ाने वाले तत्व मौजूद होते हैं। खाली पेट सेब के सिरके का सेवन करने से शरीर में मौजूद खराब बैक्टीरिया मर जाते हैं।

3. नींबू ( Lemon )

पेट से जुड़ी हर समस्या के लिए नींबू फायदेमंद माना जाता है। नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी( anti-inflammatory ) , एंटीबैक्टीरियल (antibacterial ) और एंटीवायरल (antiviral ) गुण होते हैं जिसकी वजह से नींबू फूड प्वाइजनिंग वाले बैक्टीरिया को मार देता है। फूड पॉइजनिंग होने पर आप खाली पेट नींबू-पानी पी सकते हैं या फिर गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पी लें।

तो गर्ल्स, इस फेस्टिव सीजन अपना और अपने परिवार का ध्यान रखें। व्यंजनों और मिठाई का आनंद लें, मगर सीमित मात्रा में। साथ ही कुछ भी इस्तेमाल करने से पहले उसके लेबल की जांच जरूर करें।

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