अर्थराइटिस हड्डियों की बीमारी है, जिसमें जोड़ों में बहुत दर्द होता है और मूवमेंट मुश्किल हो जाता है। यह समस्या बहुत आम है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में इसका जोखिम और अधिक हो जाता है। सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में हर 5 में से 1 महिला को मेनोपॉज के बाद गठिया की शिकायत होती है।
विटामिन डी और कैल्शियम की कमी हड्डियों के कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण हैं, जिसे अर्थराइटिस के लिए भी जिम्मेदार माना जा सकता है। लेकिन इसमें कई बुरी आदतें भी जिम्मेदार होती हैं।
अपने 20s में ही अगर आप इन आदतों को सुधार लें, तो आप आगे चलकर अर्थराइटिस से खुद को बचा सकती हैं।
अर्थराइटिस की समस्या बढ़ाने में धूम्रपान का बहुत बड़ा हाथ है। सिगरेट में मौजूद तम्बाकू शरीर में मेथोट्रिक्सट का प्रभाव कम कर देता है। मायो क्लीनिक की एक रिसर्च में पाया गया है कि अगर आपके पहले से ही रूमाटोइड अर्थराइटिस है, तो स्मोकिंग करने से आपकी दवाओं का असर बन्द हो सकता है।
कम उम्र से ही मोटा होने से आगे चलकर आपके स्वास्थ्य पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक वजन होने से आपके जोड़ों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिससे अर्थराइटिस का जोखिम बढ़ जाता है। अचानक वजन बढ़ने पर भी यही होता है। आपकी हड्डियां शरीर का पूरा भार उठाती हैं।
इसलिए महत्वपूर्ण है कि आप सही वजन मेन्टेन करें। अर्थराइटिस होने के बाद भी वजन घटाने से आप इस समस्या से बच सकती हैं।
वजन घटाने का भूत अधिकांश महिलाओं पर चढ़ता ही रहता है। उसके लिए सबसे आसान तरीका जो हम अपनाते हैं, वह है डाइटिंग। लेकिन गलत डाइटिंग करने से आप न केवल वजन घटाने में असफल होती हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा लेती हैं। गलत डाइट आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी पैदा कर सकती है जिसका असर आपकी हड्डियों पर भी पड़ता ही है। डाइट में कैल्शियम की कमी, अर्थराइटिस का सबसे बड़ा कारण है।
अगर आपको किसी भी तरह का ईटिंग डिसॉर्डर जैसे बुलिमिया या एनोरेक्सिया है, तो यह आपकी हड्डियों के स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचाता है।
ईटिंग डिसॉर्डर बोन डेंसिटी को प्रभावित करता है। ईटिंग डिसॉर्डर के कारण शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है और कैल्शियम की कमी हो जाती है। यह तो आप जानती ही हैं कि कैल्शियम की कमी हड्डियों और जोड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती हैं।
शराब एक ऐसा पेय है, जिसका सीमित सेवन आपके शरीर के लिए हानिकारक नहीं है। लेकिन अत्यधिक होने पर यह शरीर को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है। महिलाओं के लिए दिन में एक ड्रिंक से अधिक शराब पीना खतरनाक हो सकता है।
शराब का सेवन ना केवल शरीर में पानी की कमी पैदा करता है, बल्कि हड्डियों की डेंसिटी भी कम करता है।
अमेरिकन एकैडमी ऑफ ऑर्थोपेडिक सर्जन के अनुसार एक्सरसाइज ना करना आपकी हड्डियों को उतना नुकसान नहीं पहुंचाता जितना गलत एक्सरसाइज करना पहुंचाता है। गलत तरह से एक्सरसाइज करने से जोड़ों पर अनचाहा तनाव पड़ता है और बार-बार चोट लगती है। चोट के कारण होने वाले अर्थराइटिस को पोस्ट-ट्रॉमेटिक अर्थराइटिस कहते हैं।
दिन में 20 से 30 मिनट मध्यम स्तर की एक्सरसाइज हड्डियों और मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त है।
धूप में निकलने की आदत न होना आपके हड्डियों के स्वास्थ्य को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा है। विटामिन डी हड्डियों में कैल्शियम सोखने का काम करता है और उसकी कमी से हड्डियों को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल पाता। इसलिए दिन में 10 से 20 मिनट सुबह की धूप में बैठें। इस वक्त सनस्क्रीन जरूर लगा लें।
इन कुछ आदतों में सुधार करके आप भविष्य में अपने अर्थराइटिस के जोखिम को बहुत कम कर सकती हैं। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।