World Diabetes Day : यहां हैं बचपन की वे 7 बुरी आदतें, जो बड़े होने पर डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा देती हैं

वर्ल्ड डायबिटीज डे पर बचपन की उन 8 बुरी आदतों की पहचान कर खत्म करने की कोशिश करें, जो बड़े होने पर डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा देती हैं।
फास्ट फूड के नियमित सेवन से वजन बढ़ता है, जो डायबिटीज का कारक भी बन सकता है। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 14 Nov 2022, 15:31 pm IST

खराब लाइफस्टाइल के कारण हमें कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। डायबिटीज उनमें से एक है। यह न सिर्फ बड़ों, बल्कि बच्चों में भी पाया जा रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि खराब आदतें ही इसमें अहम भूमिका निभाती हैं। यदि पेरेंट्स ने बच्चों की खराब आदतों पर ध्यान नहीं दिया है या उन आदतों को नजरंदाज़ कर दिया है, तो ये आदतें ही बड़े होकर डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल डिजीज का कारक बनती हैं। 14 नवम्बर को चिल्ड्रेन्स डे(childrens day) है और वर्ल्ड डायबिटीज डे (world diabetes day) भी।

बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है। फिर क्यों न हम चाइल्डहुड की उन बुरी आदतों की पहचान कर खत्म करने की कोशिश करें। इससे बड़े होने पर उन्हें डायबिटीज के जोखिम (risk of diabetes increasing childhood habits) से बचाया जा सकता है। डायबिटीज के प्रति लोगों में जागरुकता बढाने के लिए ही वर्ल्ड डायबिटीज डे (world diabetes day) मनाया जाता है।

विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day-14 november)

1991 में इन्टरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (International Diabetes Federation) और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मधुमेह से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाने का निश्चय किया। यह हर साल 14 नवंबर को सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने 1922 में चार्ल्स बेस्ट के साथ मिलकर इंसुलिन की खोज की थी।

डायबिटीज के प्रति जागरूक होना जरूरी

हेल्थप्लिस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने वाले स्वास्थ्य डायबिटीज केयर में मुख्य डायबिटोलॉजिस्ट और चेयरमैन डॉ. मयूर पटेल बताते हैं, ‘मौजूदा दौर में डायबिटीज के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण समाज में जागरूकता की कमी है। बेहतर स्वस्थ भविष्य के लिए जागरूकता फैलाने के लिए ही इस वर्ष विश्व मधुमेह दिवस की थीम ‘कल की रक्षा के लिए शिक्षा’ है।

हमारे स्वास्थ्य से संबंधित आधा ज्ञान हमें दुविधा में डालता है और यह खतरनाक भी हो सकता है। हमारी सरकार शिक्षा के अधिकार का समर्थन करती है, जो मधुमेह जैसे चयापचय रोगों पर भी लागू होता है। मधुमेह के बारे में हमारी जानकारी इसके जोखिम कारकों, रोकथाम, परिणामों और उपचार (इंसुलिन और अन्य दवाओं) को निर्धारित करने में मदद कर सकता है।”

शोध बताते हैं कि मोटापा बनता है बच्चों में डायबिटीज की मुख्य वजह

इस सन्दर्भ में फैमिली मेडिसिन प्राइम केयर जर्नल में वर्ष 2015 में एक शोध आलेख प्रकाशित हुआ। इसमें बचपन की उन आदतों की जांच की गई, जो बड़े होने पर डायबिटीज होने में बढ़ावा देते हैं। इस शोध को भारत की अलग-अलग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं कृष्णाप्रिय साहू, अशोक कुमार चौधरी, यासीन सोफी, रमन कुमारऔर अजीत सिंह भदौरिया ने किया।

यह आलेख पबमेड सेंट्रल में भी शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने माना कि विकसित और विकासशील देशों में बच्चों का मोटापा महामारी के स्तर तक पहुंच गया है। बचपन में अधिक वजन से बच्चों के वयस्क होने पर भी मोटे रहने की संभावना होती है और कम उम्र में डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसे नॉन कम्युनिकेबल रोगों के विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

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बच्कचों के मोटे होने पर डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसे नॉन कम्युनिकेबल रोगों के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। चित्र: शटरस्टॉक

इससे मेटाबोलिज्म, हार्ट, बोन, नर्वस सिस्टम, लिवर, किडनी भी प्रभावित हो सकते हैं।हालांकि मोटापे के जोखिम में आनुवंशिक पृष्ठभूमि भी महत्वपूर्ण है। डेविसन एट अल के पारिस्थितिक मॉडल के अनुसार, मोटापे के लिए बच्चों के जोखिम वाले कारकों में आहार सेवन, शारीरिक गतिविधि और गतिहीन व्यवहार शामिल हैं। इसमें बच्चों की पालन-पोषण शैली, माता-पिता की जीवनशैली भी भूमिका निभाती है।

यहां हैं बचपन की वे 8 खराब आदतें जो बड़े होने पर डायबिटीज रोग का जोखिम बढ़ाती हैं

1 फास्ट फ़ूड खाना है सबसे बड़ा जोखिम कारक (fast food increase the risk of diabetes)

पबमेड सेंट्रल में प्रकाशित यह शोध बताती है कि हाल के वर्षों में फास्ट फूड की खपत को मोटापे और डायबिटीज के जोखिम से जोड़ा गया है। विकासशील देश जैसे कि भारत में ऐसे कई परिवार जहां माता-पिता दोनों घर से बाहर काम कर रहे हैं, उन घरों में अक्सर बच्चे फास्टफ़ूड को प्रश्रय देने लगते हैं। इन खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व न के बराबर, लेकिन कैलोरी हाई होती है। कई अध्ययनों से पता चला है कि फास्ट फूड के नियमित सेवन से वजन बढ़ता है, जो डायबिटीज का कारक भी बन सकता है।

2 मीठा सॉफ्ट ड्रिंक्स बढ़ाता है जोखिम (sweet drinks may cause diabetes)

एक स्टडी के लिए 1996-1998 के बीच 9-14 आयु वर्ग के बच्चों की जांच की गयी। इसमें पाया गया कि शुगर युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बीएमआई में वृद्धि दर्ज की गई। कई अध्ययनों ने मीठे पेय की खपत और उससे मोटापा और डायबिटीज होने के बीच संबंध की जांच की है। हाई कैलोरी वाला स्वीट ड्रिंक इसके जोखिम को बढ़ाने वाले कारक के रूप में पाया गया है।

3 संतुलित आहार की बजाय पैकेट बंद स्नैकस का सेवन (snacks may increase diabetes risk)

बच्चों में डायबिटीज होने का प्रमुख कारण संतुलित आहार की बजाय पैकेट बंद स्नैकस का सेवन करना हो सकता है| चित्र : शटरस्टॉक

अक्सर बच्चों के खाना नहीं खाने पर उनके हाथों में स्नैक्स थमा दिया जाता है।स्नैक फूड में चिप्स, बेक किए गए सामान और कैंडी जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। डिब्बाबंद स्नैकिंग से अत्यधिक कैलोरी और एक्स्ट्रा फैट को बढ़ावा देता है। इससे डायबिटीज होने की संभावना भी बढ़ सकती है।

4 बढ़ा हुआ पोर्शन साइज़ (big portion size may increase obesity and diabetes)

पेरेंट्स बच्चों का पेट भरा रखने के लिए भोजन का पोर्शन साइज़ बढा देते हैं।इससे बच्चा हेल्दी फ़ूड खाने की आदत तो नहीं बनाता, उलटे अत्यधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों की बार-बार स्नैकिंग करने लगता है। इस ऊर्जा असंतुलन के कारण वजन बढ़ सकता है और परिणामस्वरूप डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है।

5 न्यूनतम लेवल पर फिजिकल एक्टिविटी (low activity level causes diabetes)

डायबिटीज होने का एक प्रमुख कारक बच्चों का इनएक्टिव लाइफ जीना है। बच्चे खेलने-कूदने की बजाय मोबाइल, टीवी में लगे रहते हैं। इससे मोटापे की व्यापकता 2% तक बढ़ गई। शारीरिक गतिविधि न के बराबर होने के साथ-साथ इस दौरान खाए जाने वाले जंक फ़ूड, मिठाई, मीठे पेय और स्नैक्स भी मोटापे और डायबिटीज के जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं।

डायबिटीज होने का एक प्रमुख कारक बच्चों का इनएक्टिव लाइफ जीना है। चित्र: शटरस्टॉक

6 माहौल ने भी बिगाड़ा काम (environment effect)

गतिहीन जीवनशैली में पर्यावरणीय कारकों ने भी योगदान दिया है। हाल के वर्षों में शारीरिक रूप से सक्रिय और सुरक्षित वातावरण में सक्रिय रहने के अवसर कम हुए हैं। बीते दिनों में अधिकांश बच्चे पैदल या साइकिल से स्कूल जाते थे।

2002 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि बच्चों को स्कूल भेजने वाले 66% भारतीय माता-पिता ने माना कि माहौल और वातावरण सुरक्षित नहीं होने के कारण वे बच्चों को पैदल या साइकिल से बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं। इसलिए बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय होने के कम अवसर मिलते हैं।

7 पारिवारिक कारक (family habits may increase diabetes risk)

मोटापे के मामलों में वृद्धि के साथ पारिवारिक कारक भी जुड़े हैं। घर में उपलब्ध भोजन के प्रकार और परिवार के सदस्यों की खाद्य प्राथमिकताएं बच्चों द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों को प्रभावित कर सकती हैं। पारिवारिक आदतें, चाहे वह गतिहीन जीवनशैली हो या शारीरिक रूप से सक्रिय, बच्चे को प्रभावित करती हैं। अध्ययन बताते हैं कि अधिक वजन वाली मां का होना और एकल माता-पिता के घर में रहना बचपन के मोटापे और डायबिटीज के जोखिम से जुड़ा हुआ है।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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