हमारे शरीर में मुठ्ठी के आकार की किडनी बॉडी के कई फंक्शंस को परफॉर्म करती है। यह किडनी ब्लड को फिल्टर करती है और टॉक्सिक पदार्थों को शरीर से पेशाब के माध्यम से बाहर निकाल देती है, जिससे हमें एक स्वस्थ व सेहतमंद जीवन जीने में मदद मिलती है। हालांकि, कई बार हमारी नियमित गतिविधियों की भूल चूक की वजह से किडनी प्रभावित हो जाती है। कुछ लोगों के एक किडनी पर असर पड़ता है, तो कुछ लोगों की दोनों किडनी खराब हो जाती है। जिसे किडनी फेलियर का नाम दिया जाता है।
किडनी धीरे-धीरे खराब होती है और कई लक्षणों को अपने साथ लेकर आती है, परंतु कुछ लोगों को यह बिना किसी संकेत के प्रभावित करती है जिससे कि लास्ट स्टेज में किडनी फेलियर का पता लगता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है अपने नियमित गतिविधियों की जांच करना। तो चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ नियमित गतिविधियों के बारे में जिसकी वजह से हमारी किडनी प्रभावित हो सकती है (causes of kidney failure)।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम के नेफ्रोलॉजी, रिनल ट्रांसप्लांट, नेफ्रोलॉजी किडनी ट्रांसप्लांट के डायरेक्टेड डॉक्टर देबब्रत मुखर्जी से बात की। डॉक्टर ने किडनी फेलियर के कारण बताते हुए इससे बचाव के कुछ उपाय बताएं हैं, तो चलिए जानते हैं इस विषय पर विस्तार से।
एनएसएआईडी (नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) और एनाल्जेसिक जैसी ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं आपके दर्द को कम कर सकती हैं, लेकिन ये दवाइयां किडनी के लिए बेहद खतरनाक हो सकती हैं। खासकर यदि आपको पहले से ही किडनी की कोई भी समस्या है तो यह और अधिक घातक हो सकता है। एनएसएआईडी का नियमित उपयोग कम करें और अनुशंसित खुराक से अधिक न लें।
प्रत्येक किडनी लाखों छोटे फिल्टरों से बनी होती है जिन्हें नेफ्रॉन कहा जाता है। समय के साथ, डायबिटीज से हाई ब्लड शुगर किडनी के साथ-साथ नेफ्रॉन में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए वे उतना अच्छा काम नहीं करते जितना उन्हें करना चाहिए। मधुमेह से पीड़ित कई लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी विकसित हो जाती है, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है।
हाई ब्लड प्रेशर ब्लड वेसल्स को संकुचित और संकीर्ण कर सकता है, जो अंततः किडनी सहित पूरे शरीर में उन्हें नुकसान पहुंचाता है और कमजोर कर देता है। संकुचन से रक्त प्रवाह कम हो जाता है। यदि आपकी किडनी के ब्लड वेसल्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो वे ठीक से काम नहीं कर पाते।
अधिक नमक वाले आहार में सोडियम की मात्रा अधिक होती है, जो रक्तचाप बढ़ा सकती है और बदले में, आपकी किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। नमक के बजाय जड़ी-बूटियों और मसालों से अपने भोजन का स्वाद बढ़ाएं। समय के साथ, आपको अपने भोजन में अतिरिक्त नमक (सोडियम) का उपयोग करने से बचना आसान हो जाएगा।
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पशु प्रोटीन रक्त में उच्च मात्रा में एसिड उत्पन्न करता है, जो किडनी के लिए हानिकारक होता है और एसिडोसिस का कारण बन सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें किडनी एसिड को तेजी से खत्म नहीं कर सकती है। शरीर के सभी अंगों के विकास, रखरखाव और मरम्मत के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है लेकिन इसके साथ ही आपका आहार फल और सब्जियों से संतुलित होना चाहिए।
चीनी मोटापे में योगदान देती है जिससे हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है, जो किडनी रोग के दो प्रमुख कारण हैं। मिठाइयों के अलावा, चीनी को अक्सर उन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में मिलाया जाता है जिन्हें आप शायद “मीठा” नहीं मानते। मसाले, नाश्ता अनाज और सफेद ब्रेड से बचें जो प्रोसैस्ड चीनी के गुप्त स्रोत हैं। अपने आहार में अतिरिक्त चीनी से बचने के लिए पैकेज्ड सामान खरीदते समय सामग्री पर ध्यान देना आवश्यक है।
1. स्वस्थ भोजन चुनें- ताजे फल, ताजी सब्जियां और साबुत अनाज उत्पाद खाएं, नमक और चीनी का सेवन कम करें, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बचें, कम फैट वाले खाद्य पदार्थ लें।
2. सक्रिय रहें- शारीरिक गतिविधि को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तेज चलने का लक्ष्य होना चाहिए।
3. वेट मैनेजमेंट है महत्वपूर्ण – उचित खान पानू शारीरिक रूप से सक्रिय रह वजन को संतुलित रखें।
4. पर्याप्त नींद लें- 7 से 8 घंटे की भरपूर नींद जरूरी है।
5. धूम्रपान छोड़ें,
शराब का सेवन सीमित करें। योग, ध्यान जैसी तनाव कम करने वाली गतिविधियों का अध्ययन करें।
6. पर्याप्त पानी पीएं- निर्जलीकरण से बचें
अपने शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखें।
7. ओटीसी दर्द निवारक दवाओं का सेवन करते समय सावधान रहें।
8. आश्वस्त होने का एकमात्र तरीका अपना परीक्षण कराना है। क्रिएटिनिन (रक्त परीक्षण) और मूत्र स्पॉट एल्ब्यूमिन और क्रिएटिनिन अनुपात (मूत्र परीक्षण) किडनी की समस्या का निदान करने में मदद करते हैं।
9. यदि आपको डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर है, आप 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं, मोटापा, हृदय या लीवर की बीमारी है, किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास, किडनी की पथरी, प्रोस्टेट संबंधी समस्याएं या लंबे समय से दर्द निवारक दवा ले रही हैं, तो सालाना अपना जांच जरूर करवाएं।
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