डायबिटीज पेशेंट के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि वे क्या खाएं और क्या न खाएं। कुछ भोजन हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ा देते हैं। नॉनवेज खाते समय तो उन्हें विशेष सावधनी बरतनी पड़ती है। खासकर सी फूड को लेकर उन्हें ज्यादा कॉन्शियस होना पड़ता है। सी फूड डायबिटीज पेशेंट के लिए लाभदायक हैं या नहीं (5 Seafoods for diabetic patients), आइए जानते हैं विशेषज्ञ से।
अमेरिका के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पबमेड सेंट्रल के अनुसार, सी फूड और फिश प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत हैं। डायबिटीज पेशेंट अपने आहार में समुद्री भोजन को शामिल कर अपने ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन कर सकते हैं। सी फूड में मौजूद प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट अब्जॉर्बशन को धीमा करने में मदद कर सकते हैं।
लेकिन डायबिटीज पेशेंट फैटी सी फूड का बहुत अधिक मात्रा में सेवन नहीं कर सकते हैं। इससे इंसुलिन-सेंसिटाइजिंग हार्मोन एडिपोनेक्टिन के सर्कुलेटिंग लेवल को बढ़ा सकता है। कुछ स्टडीज में पाया गया है कि समुद्री भोजन के अत्यधिक प्रयोग से कुछ लोगों में हेपेटिक एक्यूट फेज प्रोटीन सी-रिएक्टिव प्रोटीन लेवल घटते हुए देखा गया है, जिससे प्लाज्मा लेवल भी लो हो गया। इसलिए डायबिटिक पेशेंट संतुलित मात्रा में ही सी फूड का सेवन करें।
शिमला के सीनियर एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. अमित खन्ना बताते हैं, डायबिटीज पेशेंट को हमेशा कंट्रोल्ड डाइट लेनी चाहिए। किसी भी आहार को ज्यादा मात्रा में लेने पर उन्हें कई दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। सी फूड ओमेगा -3 फैटी एसिड, डीएचए, ईपीए के समृद्ध स्रोत हैं। इसलिए ये डायबिटीज के साथ-साथ अन्य बीमारियों के लिए भी लाभदायक हैं। कई सी फूड ब्लड शुगर कंट्रोल करनेे में भी सहायता कर सकते हैं।
डॉ. अमित खन्ना कहते हैं, ‘सैल्मन ओमेगा -3 फैटी एसिड का एक प्रमुख स्रोत है। इसका हेल्दी फैट ब्लड सेल्स में इन्फ्लेमेशन को कम करता है और कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी प्रबंधित करने में मदद करता है। सैल्मन शरीर के इंसुलिन रेस्पॉन्ड एबिलिटी को बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर को मैनेज करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद ओमेगा -3 फैटी एसिड आपके हार्ट, ब्रेन और आई साइट के लिए भी बढ़िया है।’
झींगा में बहुत अधिक कैलोरी नहीं होती है। इसमें प्रोटीन लेवल हाई होता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। कार्ब एनर्जी जल्दी बर्न हो जाती है, लेकिन प्रोटीन और फैट स्टैटिक एनर्जी देते हैं, जो पेट भरा हुआ होने का एहसास दिलाते हैं।
क्रैब क्रोमियम का बढ़िया सोर्स है, जो इंसुलिन को शुगर मेटाबॉलिज्म में मदद करता है। यह हाई शुगर लेवल को कम करता है। सेलेनियम के कारण क्रैब में कैंसर के जोखिम को कम करने के गुण भी हो सकते हैं। लॉबस्टर में भी ओमेगा -3 फैटी एसिड भरपूर होता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।
डॉ. अमित खन्ना जोर देकर कहते हैं कि मधुमेह के रोगियों के लिए हिलसा मछली अच्छी होती है, क्योंकि इसमें विटामिन डी होता है। यह दांतों और शरीर की हड्डियों को समान रूप से मजबूत करता है।
हिलसा में ईपीए (eicosapentaenoic acid) और डीएचए (docosahexaenoic acid) कंपाउंड भी होते हैं। ये दोनों मधुमेह और अन्य व्यक्तियों में हृदय रोगों को रोकने में मदद कर सकते हैं। इन्फ्लेमेशन को रोकने के लिए हिलसा मछली एक नेचुरल एजेंट है। यह शरीर में सूजन को कम करने के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक भोजन है।
टूना मछली में कम कैलोरी पाई जाती है। यह प्रोटीन, ओमेगा -3 फैटी एसिड और विटामिन डी का महत्वपूर्ण स्रोत है। इसमें माइक्रोन्यूट्रीएंट्स भी मौजूद होते हैं, जो डायबिटिक के लिए बढ़िया होते हैं।
ज्यादातर डायबिटिक पेशेंट हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल से जूझते हैं। टूना कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करते हैं।
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