बदलते लाइफस्टाइल और खानपान ने जिन समस्याओं को विकराल और बेहद आम बना दिया है, उनमें थायराइड भी एक है। यह वास्तव में एक ग्रंथि है, जिसमें असंतुलन को इसी समस्या से संदर्भित किया जाता है। यह ग्लैंड गर्दन के सामने स्थित होती है। इससे स्रावित होने वाला हाॅर्मोन रक्तचाप, शरीर के तापमान, हृदय गति, चयापचय और शरीर की अन्य हार्मोनों की प्रतिक्रिया को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जबकि इसके असंतुलित होने पर आपको उपरोक्त तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले कि थायराइड की स्थिति गंभीर हो जाए, आपको इसके प्रारंभिक लक्षणों के बारे में जान लेना चाहिए।
थायरॉइड द्वारा उत्पादित दो मुख्य हार्मोन ट्राईआयोडोथायरोनिन या टी3 और थायरोक्सिन टी4 हैं। यह ग्रंथि कैल्सीटोनिन भी पैदा करती है, जो हड्डी की कोशिकाओं को कैल्शियम को संसाधित करने और हड्डियों में जोड़ने में मदद करती है।
थायराइड के बढ़ने की स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बनाती है। हाइपरथायरायडिज्म वो स्थिति है जब बहुत ज्यादा थायराइड हार्मोन का उत्पादन होता है।
हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति को अंडरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है। हाइपोथायरायडिज्म अपने शुरुआती चरणों में ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं पैदा कर सकता है। समय के साथ, हाइपोथायरायडिज्म का इलाज नहीं किया जाता है तो, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय की समस्याओं को जन्म दे सकता है।
वो संकेत आपको जानना बहुत जरूरी है जो ये बताते है कि आपका थायराइड बढ़ रहा है और आप हाइपोथायरायडिज्म का शिकार हो रहे है।
हाइपोथारायडिज्म के सबसे आप लक्षणों में से एक है थकान होना। थायराइड से ग्रसित लोगों में ये लक्षण बहुत ज्यादा देखा गया है। जिन लोगों को थायराइड बहुत ज्यादा बढ़ता है वे लोग इतना थकते है कि अपनी दिनचर्या को काम भी नहीं कर पाते है।
थायराइड में आप कितनी नींद ले रहे है या नहीं ले रहे है इससे फर्क नही पड़ता है। आप जितना भी आराम कर लें आपको पूरे दिन थकान महसूस होती है।
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नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन के अनुसार थायराइड हार्मोन शरीर में वजन, भोजन का सेवन और वसा और चीनी के चयापचय को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जिन लोगों में थायराइड हार्मोन कम होता है वो लोग वजन बढ़ने और बॉडी मास इंडेक्स के बढ़ने का अनुभव कर सकते है।
अगर आप में हाइपोथारायडिज्म के गंभीर लक्षण नहीं है फिर भी आप वजन बढ़ने और मोटापे जैसे लक्षणों का अनुभर कर सकते है। इसमें आपका चेहरा फूला हुआ, पेट और शरीर में अधिक वजन दिख सकता है।
हाइपोथारायडिज्म किसी भी व्यक्ति में मांसपेशियों और जोड़ो को प्रभावित कर सकता है। इससे आपके जोड़ो में दर्द, अकड़न, एठन, सूजन और कमजोरी हो सकती है।
मेडिसन में छपी एक रिसर्च में शोधकर्ता थायराइड और रुमेटीइड गठिया के बीच संबंध बताते है। यह एक एक ऑटोइम्यून स्थिति है जो जोड़ों में दर्दनाक सूजन का कारण बनती है।
कई बार हाइपोथारायडिज्म के लक्षणों में मूड और यादाशत के कमजोर होने की भी समस्या हो सकती है। थायराइड से ग्रसित व्यक्ति में एंग्जाइटी, डिप्रेशन, किसी भी काम में मन न लगना और यादाशत का कमजोर होना, एकाग्रता की कमी के जैसे लक्षणों को देखा जाता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसन के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे ब्रेन को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन की जरूरत होती है। कई शोध में सामने आया है कि थायराइड हार्मोन का कम मात्रा में उत्पादन ब्रेन के फंक्शन को प्रभावित कर सकता है।
थायराइड हार्मोन लीवर के माध्यम से शरीर से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने का काम करता है। कम हार्मोन के स्तर का मतलब है कि लीवर इस कार्य को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है और रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है।
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