थायरॉइड एक आम समस्या के रूप में देखी जाने लगी है। हालांकि, यह समस्या कई और स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकती है। इसलिए इसे समय रहते नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। आजकल एक उम्र के बाद ज्यादातर महिलाएं एवं पुरुष इस समस्या की चपेट में आ रहे हैं। दवाओं पर निर्भरता बढ़ने के बाद आपको इन्हें लंबे समय तक लेना पड़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी दिनचर्या में योग (yoga for hypothyroidism) के कुछ आसनों को शामिल करें।
इस समस्या में हॉर्मोन्स अनियंत्रित हो जाते है और असमान्य रूप से वजन बढ़ने लगता है। वहीं इसका असर मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है। इसे नियंत्रित रखने के लिए आपको सबसे पहले अपनी लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी परिवर्तन करने की आवश्यकता है। जैसे एक उचित खानपान और खुदको शारीरिक रूप से सक्रिय रखना।
तो चलिए जानते हैं किस तरह कुछ जरूरी योगासनों की मदद से आप अपनी इस समस्या को बढ़ने से रोक सकती हैं। साथ ही जानेंगे इसे करने का सही तरीका।
हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है, जहां आपके रक्त प्रवाह में पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं होते और यह मेटाबॉलिज्म को भी स्लो कर देता है।
हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब आपका थायरॉयड शरीर में पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बना पाता और न ही रिलीज कर पाता है। इससे आपका मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है, और यह आपके पूरे शरीर को प्रभावित कर देता है। दिन प्रति दिन हाइपोथायरायडिज्म एक आम समस्या बनती जा रही है। इसे अंडरएक्टिव थायराइड रोग के रूप में भी जाना जाता है।
न्यूट्रीफाई बाई पूनम डाइट एंड वैलनेस क्लीनिक एंड अकेडमी की डायरेक्टर पूनम दुनेजा कहती हैं की “हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति को भूलकर भी नजरअंदाज न करें, अन्यथा आगे चलकर यह आपके लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। तो यहां जाने हाइपोथायरायडिज्म में नजर आने वाले कुछ सामान्य लक्षण। यदि आपको भी ऐसे किसी भी लक्षण का अनुभव हो रहा है तो, उचित एहतियात बरतना शुरू कर दें।”
लगातार थकान,
सुस्ती, और कभी-कभी अवसाद या व्यायाम करने के लिए कम प्रेरणा
मूडीनेस
ठंड के प्रति असहिष्णुता
रूखे बाल और त्वचा
ब्रेन फॉग, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी और भूलने की बीमारी
कभी-कभी घोड़े जैसी आवाज आना
अचानक वजन बढ़ना
कब्ज, सूजन
मांसपेशियों में कमज़ोरी
सर्वांगासन एंडोक्राइन सिस्टम को मेंटेन रखने में मदद करता है। यह थायराइड ग्लैंड पर प्रेशर डालता है, और ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव करके थायराइड ग्लैंड में ब्लड सप्लाई को प्रमोट करता है। थाइरोइड ग्लैंड को पर्याप्त मात्रा में ब्लड मिलने से हाइपोथाइरॉएडिज्म जैसी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है।
कमर के बल सीधे लेट जाएं और हाथों को बिल्कुल सीधा जमीन पर टिका कर रखें।
अब सांस को अंदर की ओर खींचे और दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाएं।
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कस्टमाइज़ करेंअपने हाथों को सतह पर टिकाते हुए पीठ को सहारा दे और पैरों के साथ-साथ पीठ को भी ऊपर की ओर उठाएं।
इसी मुद्रा में बनी रहें और सांस को 2 से 3 बार अंदर की ओर लें और फिर बाहर छोड़ दें।
यदि आपको इस मुद्रा में टिके रहने में समस्या आती है, तो अपने आंखों की दृष्टि को नाभी पर टिकाए रखें संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।
अपनी क्षमता अनुसार इस मुद्रा में 1 मिनट या इससे अधिक अवधि तक बनी रहें। फिर धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाएं और सामान्य स्थिति में आ जाएं।
सेतु बंधासन हाइपोथाइरॉएडिज्म की स्थिति में आपके लिए एक प्रभावी योग साबित हो सकता है। यह गर्दन को स्ट्रेच करता है और थाइरोइड ग्लैंड में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। वहीं यह योग अस्थम, सिर दर्द और मांसपेशियों की मजबूती के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।
इस योग को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं।
और दोनों हाथों को बिल्कुल सीधा जमीन से लगा कर रखें।
अब अपने पैर को घुटनों से मोड़ ते हुए अपने दोनों किसके पास में ले आएं।
अब कमर को धीरे-धीरे सतह पर से ऊपर की ओर उठाएं, और अपने शरीर को एक नाव का आकार दें।
इस पोजिशन में 30 सेकंड तक बनी रहें। फिर सांस छोड़ते हुए जमीन पर सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं। 10 से 15 सेकंड के अवधि पर इसे कम से कम 5 से 7 बार जरूर दोहराए।
मत्स्यासन में आपके पीठ और गर्दन की पोजीशन ऐसी होती है, जो थायराइड ग्लैंड में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ा सके। वहीं यह गर्दन को स्ट्रेच करती है और आपके थायराइड ग्लैंड को संतुलित रहने में मदद करती है। हाइपोथाइरॉएडिज्म से पीड़ित व्यक्ति के लिए मत्स्यासन काफी प्रभावी योग हो सकता है।
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से जोड़ लें।
अब दोनों हाथों की हथेलियों को कमर के नीचे लगाएं।
दोनों पैरों से लेट कर ही पालथी मार लें और घुटनों को जमीन की सतह टिकाए रखें।
सांस खींचते हुए छाती को ऊपर की ओर उठाएं साथ ही सिर को भी ऊपर की ओर उठाएं और फिर पीछे की ओर झुकते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन की सतह पर टीका लें।
अपना पूरा भार हाथों पर रखें, सिर के हिस्से पर ज्यादा भार न दें।
इस स्थिति में 30 सेकंड या जब तक आप सहज महसूस कर रहीं हैं टिकी रहे।
फिर सांस को छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में वापस लौट आएं।
यह योगासन थायराइड ग्लैंड को मेटाबॉलिज्म कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन प्रोड्यूस करने में मदद करता है। यदि आप हाइपोथाइरॉएडिज्म की समस्या से पीड़ित है, तो यह योगासन आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। इसके साथ ही यह पीठ के मसल्स को मजबूती देता है और स्ट्रेस और मेंस्ट्रूअल पेन को कम करने में मदद करता है।
इस योग को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं।
अब अपने घुटनों को मोड़ें और दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाकर अपने दोनों टखनों को पकड़ें।
अब सबसे पहले अपनी छाती और सिर को जमीन से ऊपर की ओर उठाएं और फिर ठीक उसी प्रकार हाथों से ढकने को सहारा देते हुए जान को भी ऊपर की ओर उठा लें।
अपने शरीर के पूरे भार को पेट के निचले हिस्से पर लेने का प्रयास करें।
अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार 20 से 30 सेकंड तक इस स्थिति में बनी रहें।
अब सांस को छोड़ते हुए अपनी छाती और जांघों को सतह पर ले आएं और शरीर को आराम दें। इसे 4 से 5 बार दोहराने की कोशिश करें।
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