कोरोना संक्रमण के छठे दिन जरूरी हैं ये तीन टेस्‍ट, एक्‍सपर्ट बता रहे हैं विस्‍तार से

सीआरपी, डी डाइमर और फेरिटिन रोग के स्‍तर और उसकी गंभीरता का आंकलन करने में मदद करते हैं। बेहतर रिकवरी के लिए इन सभी की जांच जरूरी है।
संक्रमण की गंभीरता जांचने के लिए ये टेस्‍ट जरूरी हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
संक्रमण की गंभीरता जांचने के लिए ये टेस्‍ट जरूरी हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
Dr. S.S. Moudgil Updated: 17 Oct 2023, 10:23 am IST
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“कोविड-19 संक्रमण के बाद लगातार थकान, सांस फूलना और व्यायाम सहनशीलता में कमी की शिकायतें मिल रही हैं। हालांकि इम्युनोथ्रोम्बोसिस को तीव्र COVID-19 रोगजनन में व पोस्ट कोविड सिंड्रोम का दोषी ठहराया जा रहा है। मगर अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। COVID-19 के बाद शरीर किन मुश्किलों से गुजरेगा को रेखांकित करने वाले जैविक तंत्र (Biological Mechanisms) के बारे में हमारी जानकारी अभी कम ही है।”

हम लगातार अध्‍ययनरत हैं

कोरोनावायरस रोग 2019 (COVID-19) का प्रकोप एक उभरता हुआ वैश्विक स्वास्थ्य खतरा है। दुनिया भर में COVID-19 की गंभीरता और मृत्यु दर को कम करने में स्वास्थ्य कर्मियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। COVID-19 के गंभीर रोगियों का इलाज आमतौर पर गहन चिकित्सा इकाई में किया जाता है।

जबकि हल्के या गैर-गंभीर रोगियों का इलाज अस्पताल के सामान्य आइसोलेशन वार्ड में किया जाता है। हल्के लक्षण वाले लोगों को भारत में हम घर पर रहने की सलाह देते हैं।

हल्‍के और गंभीर लक्षणों की पहचान 

कोविड एक स्वास्थ्य चुनौती है यहां तक कि हल्के या गैर-गंभीर COVID-19 रोगियों में कुछ प्रतिशत गंभीर रोग विकसित हो सकते हैं। इसलिए, रोग की गंभीरता को कम करने और COVID-19 के परिणामों में सुधार करने के लिए रोगियों के इस सबसेट (कुछ प्रतिशत) को जल्द से जल्द पहचानना और उपचार देना महत्वपूर्ण है।

कोविड संक्रमित होने पर लगातार नजर रखना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक
कोविड संक्रमित होने पर लगातार नजर रखना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

आजकल कोविड टेस्ट के बारे में काफी भ्रामक स्थिति देखी जा रही है। इसलिए कोविड मार्कर इन टेस्‍ट के बारे में जान लेना जरूरी है।

इसके लिए जरूरी हैं ब्‍लड टेस्‍ट

नैदानिक अध्ययनों से पता चला है कि कुछ रक्त मार्करों के परिवर्तित स्तर को COVID-19 के रोगियों की गंभीरता और मृत्यु दर के साथ जोड़ा जा सकता है। इन नैदानिक मापदंडों में सीरम सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) और फेरिटिन व D Dimer महत्वपूर्ण मार्कर के रूप में पाए गए हैं। जिनके स्तर में महत्वपूर्ण रूप से बदलाव देखे गए हैं।

आइए इन टेस्‍ट के बारे में विस्‍तार से जानते हैं

1 सीआरपी (CRP)

सीआरपी एक प्रकार का प्रोटीन है, जो लीवर द्वारा निर्मित होता है। यह संक्रमण और सूजन के शुरुआती मार्कर के रूप में कार्य करता है। रक्त में, सीआरपी की सामान्य सांद्रता (Saturation) 10 mg/L से कम होती है। हालांकि रोग की शुरुआत में, यह 6 से 8 घंटे के भीतर तेजी से बढ़ता है और से 48 घंटे में उच्चतम शिखर पर आ सकता है।

जब सूजन की अवस्था समाप्त हो जाती है और रोगी ठीक हो जाता है, तो इसकी सेचुरेशन कम हो जाती है। सीआरपी प्रतिरक्षा प्रणाली के पूरक मार्ग को सक्रिय बनाता है और जीव से रोगाणुओं और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को साफ करने के लिए फागोसाइटिक गतिविधि को नियंत्रित करता है।

ये बताते हैं सेल्‍स की क्षति का स्‍तर

जब सूजन या ऊतक क्षति का समाधान हो जाता है, तो सीआरपी स्तर नॉर्मल हो जाता है। इसलिए यह रोग की गंभीरता की निगरानी के लिए एक उपयोगी मार्कर बन जाता है।
उपलब्ध अध्ययन जिन्होंने COVID-19 के रोगियों में CRP के सीरम स्तर निर्धारित की है, उन्होने बताया है कि CRP में उल्लेखनीय वृद्धि COVID-19 के रोगियों में औसतन 20 से 50 mg / L के स्तर के साथ पाई गई। गंभीर COVID-19 रोगियों में CRP का ऊंचा स्तर 86% तक देखा गया।

ये कोविड से सेल्‍स को हुई क्षति के बारे में बताते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
ये कोविड से सेल्‍स को हुई क्षति के बारे में बताते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

कोविड मार्कर महत्‍वपूर्ण टेस्‍ट है ये

गंभीर बीमारी वाले मरीजों में हल्के या गैर-गंभीर रोगियों की तुलना में सीआरपी का स्तर काफी ऊंचा था। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में बताया गया है कि अधिक गंभीर लक्षणों वाले रोगियों में औसत सीआरपी सांद्रता 39.4 mg/L और हल्के लक्षणों वाले रोगियों में 18.8 mg/L की CRP स्तर था। सीआरपी प्रारंभिक चरण में गंभीर समूह में हल्के समूह की तुलना में बढ़े हुए स्तर पर पाया गया।

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एक अन्य अध्ययन में, गैर-गंभीर रोगियों (23-mg/L) की तुलना में गंभीर रोगियों (46-mg/L) में CRP की औसत स्तर काफी अधिक था।

जिन रोगियों की COVID19 से मृत्यु हुई, उनमें ठीक हुए रोगियों की तुलना में CRP का स्तर लगभग 10 गुना अधिक था।

यह भी नोट किया गया कि COVID-19 के रोगियों में सीआरपी स्तर में हर एक-इकाई वृद्धि से गंभीर घटनाओं के विकास की जोखिम में 5% की वृद्धि हुई है।

फेफड़ों की क्षति का संकेत

यह भी देखा गया है कि फेफड़ों की क्षति वाले अधिक गंभीर रोगियों में सीआरपी का स्तर ऊंचा होता है। यानि सीआरपी का स्तर COVID-19 के रोगियों के लक्षणों की गंभीरता के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए अन्य नैदानिक निष्कर्षों के साथ-साथ रोगी की स्थिति का आकलन करने में यह एक उपयुक्त मार्कर हो सकता है।

1 कोविड-19 और सीआरपी

CRP के ऊंचे स्तर को COVID-19 के गंभीर रोगियों में इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स के अतिउत्पादन से भी जोड़ा जा सकता है। साइटोकिन्स रोगाणुओं से लड़ते हैं, लेकिन जब प्रतिरक्षा प्रणाली अति सक्रिय हो जाती है, तो यह फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकती है।

विेशेषज्ञ कोरोनावायरस को फ्लूू और एचआईवी से भी ज्‍यादा जटिल मान रहे हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
विेशेषज्ञ कोरोनावायरस को फ्लूू और एचआईवी से भी ज्‍यादा जटिल मान रहे हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

इस प्रकार, सीआरपी उत्पादन भड़काऊ साइटोकिन्स और COVID-19 के रोगियों में ऊतक विनाश से प्रेरित है। अंत में, सीआरपी का ऊंचा स्तर COVID-19 के गैर-गंभीर रोगियों में रोग के बढ़ने की संभावना का अनुमान लगाने में एक मूल्यवान प्रारंभिक मार्कर हो सकता है।

सीआरपी के ऊंचे स्तर वाले COVID-19 रोगियों को कड़ी निगरानी और उपचार की आवश्यकता होती है। भले ही उनमें गंभीर रोग के लक्षण विकसित न हुए हों। COVID-19 के रोगियों में उच्च सीआरपी स्तर, गैर-गंभीर से गंभीर रोग की तरफ ले जा सकते हैं।

SARS- CoV-2 संक्रमण, विशेष रूप अन्य रोगों से पीड़ित यथा मधुमेह, दमा हृदय रोग या उच्च बीपी के रोगियों में, गंभीर श्वसन लक्षणों के साथ गंभीर बीमारी में प्रगति कर सकता है।
इसलिए, रोगियों के समय पर परीक्षण के लिए COVID-19 के गंभीर रूपों की शीघ्र पहचान आवश्यक है।

2 फेरिटिन

फेरिटिन प्रतिरक्षा विकृति का एक महत्वपूर्णघटक है, जो प्रतिरक्षा-दमनकारी और इंफ्लेमेटरी प्रभावों के माध्यम से अत्यधिक हाइपरफेरिटिनमिया के तहत साइटोकिन तूफान पैदा करने में योगदान देता है।

फेरिटिन, या हाइपरफेरिटिनेमिया का ऊंचा स्तर, शरीर में वायरल या बैक्टीरियल लोड का संकेत भी देता है। Hyperferritinemia, या Hyperferritinemic syndrome, साइटोकिन्स बनाए हेतु मैक्रोफेज को सक्रिय करने वाली एक स्थिति है। जिससे गंभीर मामलों में साइटोकिन तूफान पैदा हो सकता है। जो गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।

COVID-19 के घातक परिणाम साइटोकाइन स्टॉर्म सिंड्रोम के साथ होते हैं । यानी रोग की गंभीरता साइटोकाइन स्टॉर्म सिंड्रोम पर निर्भर करती है। सीरम फेरिटिन के स्तर के मूल्यांकन से इस साइटोकिन तूफान का सकारात्मक मूल्यांकन किया जा सकता है।

सीरम फेरिटिन का स्तर COVID-19 की गंभीरता को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। मधुमेह से ग्रसित कई व्यक्तियों में सीरम फेरिटीन का स्तर ऊंचा होता है। जिससे COVID-19 से गंभीर जटिलताओं का सामना करने की संभावना अधिक होती है।

हाल के कुछ अध्ययनों से अस्पताल में भर्ती होने के सभी दिनों के दौरान COVID-19 रोगियों में सीरम फेरिटिन के स्तर की औसत की ऊपरी सीमा को पार कर गए, यह स्तर लगातार बढ़ता गया

COVID-19 में डी-डाइमर

शोधकर्ताओं ने डी- डाइमर की भूमिका का मूल्यांकन किया, जो आमतौर पर एक-दूसरे से जुड़े फाइब्रिन थक्कों के टूटने से उत्पन्न प्रोटीन का एक टुकड़ा है। यह संदिग्ध थ्रोम्बेम्बोलिज्म (वीटीई) में महत्व का बायोमार्कर है। हाल के कुछ शोधों से पता चलता है कि जब अस्पताल में भर्ती होने पर COVID-19 के रोगी में उच्च डी- डाइमर स्तर होता है, तो मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।

डी-डाइमर एक और महत्‍वपूर्ण टेस्‍ट है। चित्र: शटरस्‍टॉक
डी-डाइमर एक और महत्‍वपूर्ण टेस्‍ट है। चित्र: शटरस्‍टॉक

डी- डाइमर की भूमिका कोविड -19 में रक्त के थक्के जमने की उच्च अवस्था से संबंधित है। इसका भान तब हुआ, जब उच्च डी- डाइमर स्तर वाले लोगों को एंटीकोआग्यूलेशन से इलाज किया गया। जिससे मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट नोटिस की गई।

नतीजतन कई वैश्विक प्रोटोकॉल डी- डाइमर उच्च स्तर में थ्रोम्बोटिक घटनाओं को रोकने के लिए एंटीकोआगुलंट्स की सिफारिश की जाती है।

ब्‍लड क्‍लोटिंग का असर

दिलचस्प बात यह रही कि है कि डी- डाइमर उच्च स्तर वाले उन रोगियों को जिन्हे रक्त पतला करने की दवा दी गई, उनके प्रोथ्रोम्बिन समय, सक्रिय आंशिक थ्रोम्बोप्लास्टिन समय, फाइब्रिनोजेन, प्लेटलेट काउंट और सूजन मारकर सी-रिएक्टिव प्रोटीन, इंटरल्यूकिन -6 जल्द सामान्य स्तर पा गए।

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उपरोक्त सभी टेस्ट लक्षण आने के छठे दिन या उसके बाद करवाएं। सी स्कैन भी उसी दिन डॉक्‍टर की सलाह से करवाएं। इन ब्लड टेस्ट का स्तर अधिक होने पर हल्के लक्षण वाले लोग हर माह करवाएं तब तक जब तक नॉर्मल स्तर पर न आ जाये। जिन्हे गंभीर स्थिति या अत्यधिक उच्च स्तर हो वे चिकित्सीय सलाह से हर पंद्रह दिन में करवाएं, तब तक जब तक नॉर्मल स्तर न आ जाए।

लब्बो- लुआब यह है कि हम चिकित्सक अभी भी कोविड के प्रभाव समझने में लगे हैं व बहुत कुछ जानकारी भविष्य के गर्भ में छुपी है।

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Dr. S.S. Moudgil is senior physician M.B;B.S. FCGP. DTD. Former president Indian Medical Association Haryana State. ...और पढ़ें

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