योग हर उम्र, हर अवस्था और हर बीमारी से बचाने में मददगार साबित होता है। महिलाओं में प्रेगनेंसी एक सुखद अनुभव का एहसास है। गर्भावस्था में महिलाएं शरीर में कई प्रकार के बदलावों को महसूस करती है। उन चेंजिज़ को एक्सेप्ट करने के साथ साथ शरीर को फिट और हेल्दी बनाए रखने के लिए योगासन ज़रूरी है। इससे शरीर में लचीलापन और एक्टिवनेस बढ़ती है और वज़न भी नियंत्रित रहता है (3 yoga poses for first trimester)।
40 हफ्तों तक रहने वाली प्रेगनेंसी में पहली तिमाही सबसे अहम समय माना जाता है। इस दौरान शरीर में कई प्रकार के बायोलॉजिकल बदलाव देखने को मिलते है। फर्स्ट ट्राइमेस्टर यानि वो 12 सप्ताह जब शरीर में थकान, बार बार यूरिन पास करना और कब्ज जैसीं शिकायतें होना आम बात है। इसके अलावा ब्रेस्ट में भी चेंजिज़ आने लगते है।
प्रेगनेंसी के मूड स्विंग होना एक आम बात है। कभी हम तनाव महसूस करते हैं, तो कभी शरीर के अंगों में दर्द महसूस होने लगता है। ऐसे में भावनात्मक तनाव से मुक्त रहने के लिए ये योग बेहतर कारगर है। इसे करने से पेल्विक फ्लोर में सर्कुलेशन बढ़ता है। साथ ही हिप ज्वाइंट में लचीलापन आने लगता है। बद्धकोणासन को एक हिप ओपनर व्यायाम कहा जाता है। इस योग को 5 से 10 मिनट तक करने से शरीर सुकून महसूस करने लगता है। इससे नींद न आने की समस्या हल हो जाती है।
इसे करने के लिए ज़मीन पर बैठ जाएं और फिर दोनों पैरों के पंजों को आपस में जोड़ लें।
पैरों को दोनों हाथों की मदद से पकड़ लें। अब थाइज़ को उपर नीचे करें।
इस मूवमेंट को ज्यादा ज़ोर से और जल्दी जल्दी करने से बचें।
इसे करने से शरीर एक्टिव रहता है और मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन दूर होने लगती है।
ये मुद्रा आपके शरीर को संतुलित रखने का काम करती है। इस योग की मदद से आप अपनी पीठ, बाजूओं और पैरों को मजबूत कर सकती हैं। इसे करने से टांगों और बाजूओं में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
इसे करने के लिए मैट पर एकदम सीधा खड़ी हो जाएं। अब दोनों पैरें को एक साथ ले आएं।
हाथों को उपर की ओर उठाएं। एल्बोज मुड़ी हुई न हो।
दोनों हाथों को आपस में जकड़ लें। अब एड़ियों को भी धीरे धीरे उपर की ओर उठाएं और गहरी सासं लें।
धीरे धीरे हाथों को नीचे लाएं और हथेलियों को थाइज़ के नज़दीक रखें। एड़िया नीचे कर लें और सांस छोड़ें
शुरूआत में इस प्रक्रिया को 3 से 4 बार दोहराएं। पहले पहल आप एक दीवार की तरफ खड़े होकर इस योग की प्रैक्टिस कर सकते हैं।
इस आसन को करने से माइंड रिलैक्स रहता है और आप आसानी से अपने काम पर फोक्स कर पाते है। दरअसल, प्रेगनेंसी के दौरान मूड स्विंग की समस्या से इन आसन के ज़रिए राहत पाई जा सकती है। इससे प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली कब्ज की समस्या भी दूर होने लगती है। इसे करने से पेट की मांसपेशियों में ब्लड फलो बढ़ने लगता है।
इसे करने के लिए ज़मीन पर मैट बिछाकर बैठ जाएं। अब दोनों टांगों को आगे की ओर रखें। पीट एक दम सीधी कर लें।
गहरी सांस लें और आंखें बंद रखें। अब दोनों हथेलियों से पैरों को छूने का प्रयास करें। बाजूओं को एकदम सीधा रखें।
पैरों को पकड़ने के बाद आगे की आरे झुकें और घुटनों पर अपना सिर टिका लें। 5 से 10 सेकण्ड तक रहने के बाद सांस छोड़ें और सामान्य मुद्रा में बैठ जाएं।
अगर आप योग करने के लिए तैयार है, तो कोशिश करें कि फर्स्ट ट्राइमेस्टर के दौरान किसी योग एक्सपर्ट की देखरेख में ही योग करें। पहली तिमाही गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद नाजु़क समय होता है। उस दौरान बच्चे के बॉडी पार्टस बनने आरंभ हो जाते हैं।
टांगों को योग के दौरान बहुत ज्यादा स्ट्रेच करने का प्रयास न करें। अपनी क्षमता के हिसाब से ही योग मुद्राओ को करें। टांगों को ज्यादा चौड़ा करने से दर्द या ब्लीडिंग हो सकती है।
अगर थकान का अनुभव हो, तो उस आसन को वहीं छोड़ दें। योग करने से पहले आपको अपने शरीर की बात सुनननी चाहिए, कि वो इस प्रक्रिया के लिए तैयार है या नहीं। ज़बरदस्ती किया गया योग, किसी परेशानी का कारण बन सकता है।
फर्स्ट ट्राइमेस्टर में योग को शुरू करने से पहले अपनी स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।