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बर्ड फ्लू से देश में पहली मौत, तो क्या आपको इससे सावधान होने की जरूरत है?

H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस यानी बर्ड फ्लू ने एक बार फिर से दस्तक दे दी है। यहां जानिए कि आपको इसके प्रति क्यों सचेत रहना चाहिए।
दिल्ली के एम्स में बर्ड फ्लू से पहली मौत का मामला सामने आया है। चित्र: शटरस्टॉक
योगिता यादव Published: 22 Jul 2021, 15:15 pm IST
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कोरोनावायरस के कारण हम सभी लॉकडाउन में बंद हैं। हालांकि यही वायरस से बचने का अब तक का सबसे कारगर तरीका है। पर बरसात अपने साथ कुछ और समस्याएं लेकर आई है, जिनमें मौसमी संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। पर अब बर्ड फ्लू ने चिंता और बढ़ा दी है। एम्स (AIIMS) में बर्ड फ्लू के कारण मौत का इस साल का पहला मामला सामने आया है। लड़के की उम्र 12 साल है। पर घबराएं नहीं, क्योंकि हम आपको बर्ड फ्लू के बारे में आज सारी जानकारी देने वाले हैं। जानकारी ही बचाव का सबसे मजबूत आधार है।

क्या है पूरा मामला

जो जानकारियां अब तक सामने आईं हैं उनके अनुसार 12 साल के इस लड़के को 2 जुलाई को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में दाखिल करवाया गया था। पहले पहल ये लक्षण निमोनिया के लग रहे थे जबकि ल्यूकेमिया का भी संदेह जताया जा रहा है। डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लड़के का कोविड-19 टेस्ट भी किया गया।

इसके साथ ही इंफ्लुएंजा का भी टेस्ट किया गया। इसके लिए सैंपल को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजा गया। स्वास्थ्य जगत में हड़कंप तब मचा जब सैंपल में H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस की पुष्टि हुई। हालांकि एम्स के शीर्ष अधिकारियों ने अभी इस पर बहुत अधिक परेशान न होने की अपील की है।

इस मामले में संबंधित मेडिकल स्टाफ को आइसोलेट कर दिया गया है। चित्र: शटरस्टॉक

मगर एहतियात के तौर पर बच्चे के संपर्क में आए सभी लोगों को आइसोलेट कर दिया गया है। इस पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) कर रहा है।

क्या है H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा

सेंटर्स फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन, अमेरिका (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक एवियन इन्फ्लूएंजा एवियन (Bird) इन्फ्लूएंजा (Flu) टाइप ए वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी को सामान्य भाषा में बर्ड फ्लू कहा जाता है। यह वायरस असल में दुनिया भर में जंगली जलीय पक्षियों की आंतों और श्वसन पथ में पहले से ही मौजूद होता है। लेकिन वह इससे बीमार नहीं पड़ते।

जबकि इससे वे घरेलू मुर्गी और अन्य पक्षी और पशु प्रजातियों को संक्रमित कर सकने की क्षमता रखते हैं। इनसे मुर्गियों, बत्तखों और टर्की की मौत के मामले भी आते रहते हैं।

एवियन इन्फ्लूएंजा ए वायरस को दो श्रेणियों में बांटा गया है: कम रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (LPAI) ए वायरस, और अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI) ए वायरस। ये श्रेणियां वायरस की आणविक विशेषताओं और मुर्गियों में बीमारी और मृत्यु दर पैदा करने की वायरस की क्षमता को संदर्भित करती हैं।

एचपीएआई वायरस है ज्यादा खतरनाक

सीडीसी की रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि एलपीएआई वायरस के साथ पोल्ट्री के संक्रमण से कोई बीमारी या हल्की बीमारी नहीं हो सकती। इसका असर मुर्गियों के पंखों और अंडों की मात्रा पर पड़ सकता है।

जबकि पोल्ट्री के एचपीएआई वायरस के संक्रमण से उच्च मृत्यु दर के साथ गंभीर बीमारी फैलने का भी जोखिम हो सकता है। एचपीएआई और एलपीएआई दोनों वायरस मुर्गियों के झुंडों के भीतर और बाहर तेजी से फैल सकते हैं। जबकि बत्तखों पर इसका प्रभाव कभी-कभी न के बराबर होता है।

तो क्या हमें इससे डरने की जरूरत है ?

इसका सबसे छोटा और सीधा जवाब है, ‘नहीं’। मगर इससे सचेत रहने की जरूरत हम सभी को है। संक्रमित पक्षी अपनी लार, श्लेष्मा और मल में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का प्रसार करते हैं। बर्ड फ्लू वायरस के साथ मानव संक्रमण तब हो सकता है, जब पर्याप्त वायरस किसी व्यक्ति की आंखों, नाक या मुंह में चला जाता है, या सांस के माध्यम से उसके शरीर में चला जाता है।

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मनुष्यों में फैल सकता है बर्ड फ्लू

कोविड की ही तरह इस वायरस की उपस्थिति भी हवा में मौजूद ड्रॉपलेट्स के रूप में हो सकती है। वायरस हवा में बूंदों या संभवतः धूल में होने पर व्यक्ति की सांस के माध्यम से दाखिल हो सकता है।

बर्ड फ्लू से बचने के लिए जरूरी है कुछ बातों का ध्‍यान रखना। चित्र: शटरस्‍टॉक्‍

यह तब भी हो सकता है जब आप किसी संक्रमित चीज को छुएं और उसे अपनी आंख, नाक या मुंह से टच कर लें। या उन्हीं हाथों से खाना खाने लगें। हालांकि, कुछ संक्रमणों की पहचान की गई है जहां प्रत्यक्ष संपर्क नहीं हुआ था।

इससे कैसे बचा जा सकता है

बर्ड फ्लू से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है जोखिम के स्रोतों से बचना। खासतौर से वे लोग जो पोल्ट्री उद्योग से जुड़े हैं उन्हें विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है।
अपनी साफ-सफाई को लेकर आपको वही एहतियात बरतनी है, जो अभी तक आप कोविड के लिए बरत रहे थे।

चिकन और अंडा खाएं या नहीं ?

इस बारे में विशेषज्ञों का सुझाव है कि अच्छी तरह पका हुआ अंडा और चिकन खाने में कोई खतरा नहीं है। जबकि कच्चा अंडा वायरस के जोखिम को बढ़ा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बर्ड फ्लू के मामले में सूचना जारी की है कि पोल्ट्री उत्पादों जैसे अंडा, चिकन आदि को 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अच्छी तरह पकाकर खाना आपके लिए सुरक्षित है।

ध्‍यान रहे कि चिकन अच्‍छी तरह पका हुआ हो। चित्र: शटरस्टॉक

इनकी स्टोरेज के ध्यान आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि ये ऐसी किसी चीज के संपर्क में न आएं, जिन्हें आप कच्चा खाने वाले हैं जैसे फल, सलाद आदि।

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योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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