गर्भावस्था महिलाओं के जीवन में एक अत्यंत खूबसूरत समय होता है। जैसे-जैसे उनका शरीर एक नए जीवन का स्वागत करने के लिए तैयार होता है, उनकी त्वचा, बाल और यहां तक कि मूड भी तेजी से बदलता है।
कुछ महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अपनी त्वचा या बालों में कोई बदलाव नहीं देखती हैं, लेकिन ज्यादातर महिलाओं के लिए आंखो के नीछे काले घेरे, फटे होंठ, रूखी बेजान त्वचा, त्वचा पर भूरे रंग के धब्बे, स्ट्रेच मार्क्स, मुंहासे, उभरी हुई नसें, एड़ियों में दरारें और नाखून और बालों की ग्रोथ में परिवर्तन बहुत आम समस्याएं हैं। कुछ मामलों में, महिलाओं को पेट और जांघों के आसपास खुजली और त्वचा पर छोटे लाल धब्बों का अनुभव होता है।
गर्भावस्था के दौरान और बाद में होने वाले हार्मोन में बदलाव के कारण हर महिला का शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। कुछ नाखूनों में तेजी से वृद्धि को नोटिस करती हैं, तो कुछ के नाखून और टूट जाते हैं। इसी तरह कई महिलाएं अपने पेट, जांघों, हाथों और पैरों के आसपास के बालों के विकास को भी नोटिस करती हैं।
इनमें से ज्यादातर समस्याएं अस्थायी होती हैं और प्रसव के कुछ महीनों बाद वे चली जाती हैं। लेकिन जब तक ये होते हैं, असहजता का कारण बन सकते हैं और जलन और दर्द पैदा कर सकते हैं, जो बच्चे के लिए अच्छा नहीं है।
गर्भावस्था से पहले एक हाई एंड महंगा डर्मेटोलोजी उपचार इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए प्रयोग होता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान त्वचा और बालों पर रसायनों का उपयोग करना और यहां तक कि उन्हें खाने तक की भी सलाह नहीं दी जाती है। सबसे अच्छा तरीका है कि आप किसी अच्छे डर्मेटोलॉजिस्ट के पास जाएं और त्वचा और बालों की देखभाल की सलाह का पालन करें। ऐसी स्थिति मे डर्मेटोलॉजिस्ट कुछ प्राकृतिक उपचार बताते हैं जिनका इस्तेमाल आपको करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान त्वचा की देखभाल में सतर्क ओर सजग रहने से आपको काले धब्बे, उभरी नसों, स्ट्रेच मार्क्स, मुंहासे और मुंहासे के निशान से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।
जानें आप क्या कर सकती हैं-
· हर बार जब आप बाहर जाएं तो ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन और चौड़ी हैट या टोपी पहनें। यह काले धब्बों को रोकने में मदद करेगा और हानिकारक यूवी किरणों से त्वचा की रक्षा करेगा।
· ऐसे उत्पादों का उपयोग न करें जिनमें सैलिसिलिक एसिड या रेटिनोइड, आइसोट्रेटिनॉइन और ओरल टेट्रासाइक्लिन शामिल हों, क्योंकि वे बच्चे के लिये हानिकारक हैं।
· मेकअप और त्वचा की देखभाल के उत्पाद गैर-कॉमेडोजेनिक और सुगंध मुक्त होने चाहिये।
· सोने से पहले हर रात अपने मेकअप को हटाएं।
· स्ट्रेच मार्क्स यानी खिंचाव के निशान से बचने के लिए पेट, जांघों और कूल्हों की त्वचा को हाइड्रेटेड रखें।
· अपने चेहरे को दिन में दो बार गुनगुने पानी से धोएं, स्क्रब अधिक इस्तेमाल न करें। इसके बजाय एक्सफोलिएटर या सॉफ्ट वॉश क्लॉथ का उपयोग करें।
· खरोंचें नहीं, और न ही किसी दाने या बाल को खींचे।
· तनाव से बिल्कुल दूर रहें।
· अपने तकिए और तौलिये को बार-बार कम अंतराल पर बदलने की आदत डालें।
गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में आने वाले अतिरिक्त हार्मोन, प्राकृतिक बालों के सायकल को डिस्टर्ब कर सकते हैं। कुछ महिलाओं में, गर्भावस्था के दौरान बाल घुंघराले हो जाते हैं, और कुछ में बालों की बनावट पूरी तरह से बदल जाती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के हार्मोन बाल के फोलिकल के आकार को बदल देते हैं। इसलिए इससे पहले कि आप अपने बालों में कुछ भी लागाएं आपको यह याद रखने की आवश्यकता है कि यह रक्त में घुल सकता है और बच्चे को प्रभावित कर सकता है।
· गर्भावस्था के दौरान हेयर स्टाइलिंग से थोड़ा ब्रेक लें। इसका मतलब है रंग, हाइलाइट्स, पमिंग और स्ट्रेटनिंग ट्रीटमेंट्स को छोड़ना होगा।
· अपने बालों को स्वाभाविक रूप से बढ़ने दें और स्कैल्प पर किसी भी केमिकल यानी रसायन का उपयोग न करें।
· गर्भावस्था के दौरान या बाद में मिनोक्सिडिल जैसे काउंटर हेयर ट्रीटमेंट का उपयोग न करें। यदि आप चाहें तो टिप हाइलाइट्स या प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें।
· यदि आप किसी मेडिकेटेड शैंपू का उपयोग कर रही हैं, तो अपने डॉक्टर से उनकी उपयुक्तता के बारे में सलाह लें।
· गीले बालों में कंघी न करें और बालों को टाइट बांधनें से बचें।
· अगर आपकी स्कैल्प तैलीय है तो विशेषकर अपने बालों को नियमित रूप से धोएं।
गर्भावस्था, जीवन के छोटे-छोटे अद्भुत पलों का आराम से आनंद लेने का समय है। एक नियमित और स्वस्थ दिनचर्या अपनाकर आप गर्भावस्था के बाद भी आने वाले बदलावों के लिये तैयार हो जाएंगी।
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