इसमें कोई दो राय नहीं कि आप अपने पेरेंट्स की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ रहे होंगे। कई सावधानियां बरतने के बाद भी आपको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा। बुजुर्गों की इम्यूनिटी कम होती है। ऐसे में उन्हें शारीरिक देखभाल के साथ-साथ मेंटल हेल्थ में भी सपोर्ट की जरूरत होती है।
साइंस ने बहुत तरक्की कर ली। आज लगभग हर बिमारी का इलाज संभव है। किन्तु मानसिक स्वास्थय का क्या ? क्या कभी आपने उनके मानसिक हालात पर ध्यान दिया है ? यदि आप थोड़ा गौर करें तो आपको उनके व्यवहार में होने वाले बदलावों का एहसास होगा।
अपनी व्यस्तता के चलते उन बदलावों को इग्नोर न करें और अपने पेरेंट्स की मेंटल हेल्थ। पर ध्यान दें। एक्सपर्ट के ये सुझाव इसमें आपकी मदद कर सकते हैं –
चेन्नई स्थित फोर्टिस मलार अस्पताल के मनोचिकित्सक सलाहकार, डॉ. वसंत आर, कहते हैं, “यह एक मिथक है कि इंसान जितना अधिक बूढ़ा होता है उसकी मानसिक प्रतिरक्षा उतनी अधिक मज़बूत होती है। वास्तव में, बज़ुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे अति संवेदनशील होते हैं।”
कलकत्ता-आधारित एल्डरकेयर संगठन, ट्राइबेका केयर में कार्यरत मनोवैज्ञानिक श्रेया दास, कहती हैं, “बुजुर्ग लोग अवसाद की चपेट में जल्दी आते हैं। आज भी अधिकांश बुजुर्ग इससे पीड़ित हैं। दूसरा सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार चिंता से संबंधित हैं।
इसके अलावा कई विकार जैसे, अल्जाइमर और मनोभ्रंश और तंत्रिका संबंधी विकार भी उम्र बढ़ने वाले लोगों में बहुत आम देखने को मिलते हैं।
अब, जबकि हम अच्छे से समझ चुके हैं कि बुज़ुर्गो का मानसिक स्वास्थ्य किस हद खतरनाक स्थिति तक जा सकता है। पर सही सूझ-बूझ से उसे कंट्रोल भी किया जा सकता है। यह निर्भर करता है कि आप इन मुद्दों से निपटने में और उनकी मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं। तो आइए जानते है अपने एक्सपर्ट से कि वह क्या सुझाव देते हैं।
उनकी समस्याओं को समझें व स्वीकार करें। डॉ. वसंत कहते हैं, “पहला कदम है अपने माता-पिता के व्यवहार या उनके व्यक्तित्व के अंतर को पहचानना।”
वे आगे कहते हैं “इसमें पेशेवर की मदद लेना उचित होगा, जो विभिन्न स्क्रीनिंग टूल के साथ विकार की पहचान करने में सक्षम होगा।”
वास्तव में, डॉक्टर दास ने बुजुर्गों में बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के कुछ लक्षणों का उल्लेख इन कुछ पॉइंट्स के द्वारा किया है, जिनसे हमें सावधान रहना चाहिए।
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कस्टमाइज़ करेंडॉ. वसंत कहते हैं, ” क्योंकि बुजुर्ग कई पहलुओं में धीमे हो जाते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें पारिवारिक गतिविधियों से बाहर रखा जाना चाहिए। उन्हें शामिल करना महत्पूर्ण है। बुजुर्गों को घरेलू और अन्य गतिविधियों में शामिल रखने से वे ख़ास और खुश महसूस कर सकते हैं।”
मजेदार गेम खेलें, इससे आप उनकी आंखों की रौशनी को भी चेक कर लेंगे। घर को साफ रखने में उन्हें अपने तरीके से योगदान दें। डॉ.वसंत के अनुसार, महत्वपूर्ण पारिवारिक चर्चाओं में उन्हें शामिल करें क्योंकि यह उनके दिमाग को व्यस्त रखता है।
उनके साथ समय बिताएं: अपने माता-पिता के साथ बैठना और बातचीत करना वास्तव में उनके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है। दास ने कहा, “रिश्तों में खुशी के लिए प्रभावी संचार सबसे महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।”
”डॉ.वसंत आगे कहते हैं। “अपने बूढ़े माता-पिता के साथ समय बिताना और उन्हें यह बताना कि आप उनकी परेशानियों को सुनने के लिए उनके साथ हैं यह बात उन्हें बहुत हद तक मदद कर सकती हैं। इससे उन्हें विशेष, विश्वसनीय और प्यारा महसूस होगा। आप इस प्रकार उनके तनाव के स्तर को कम करने में उनकी सहयता कर सकते हैं।
एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करने में उनकी मदद करें: डॉ. वसंत कहते हैं “एक व्यस्त दिनचर्या बुजुर्गों की चिंता को काफी हद तक कम कर देती है। एक व्यक्ति जितना बूढ़ा हो जाता है, उतना ही सहज वे परिचित परिवेश और दिनचर्या के साथ होता है।
सुबह उठने से लेकर खाने तक, व्यायाम से लेकर साधारण कामों तक, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके माता-पिता इस अनुशासन का पालन करें।
व्यायाम मूड और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इसलिए उन्हें कसरत करने के लिए प्रेरित करें। इसलिए, डॉ. दास के अनुसार आपको अपने माता-पिता को अपनी दिनचर्या में व्यायाम के कुछ प्रकार को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
समय बदल रहा है, समय के साथ हमारी जीवनशैली भी तेज़ी से बदलती जा रही है। लेकिन अगर हम इस जीवनशैली पर निर्भर होकर अपना नुकसान करवाने की बजाए, इसे अपने अनुरूप ढाल ले और इसका भरपूर फायदा उठा लें तो कैसा हो?
हमारे माता पिता हमारे लिए कितने ख़ास हैं। इसका एहसास यदि हम उन्हें रोज़ थोड़ा थोड़ा करवाते रहेंगे तो कैसा हो? कैसा हो यदि हम उन्हें जीवन की वो खुशियां दे जिसके वे हकदार हैं! तो चलिए आज से ही शुरुआत करतें हैं।