अगर आप हर बात को दिल पर ले लेती हैं, तो यह आपके लिए बहुत ज्यादा घातक हो सकता है। हाल ही में हुए एक शोध में यह सामने आया है कि कोविड-19 महामारी के कारण ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के मामलों में इजाफा हुआ है। और यह हार्ट अटैक से ज्यादा घातक हो सकता है।
यह सही है कि यह तनावपूर्ण समय है, पर तनाव लेना किसी भी समस्या का हल नहीं है। कोरोनावायरस वैश्विक महामारी ने हम सभी को कहीं न कहीं अकेला और आतंकित कर दिया है। एक तरफ संक्रमण का खतरा है, तो दूसरी ओर आर्थिक मजबूरियां भी सामने आ रहीं हैं। उस पर सामाजिक दूरी ने हमें अपने-अपने कोने तक मयस्सर कर दिया है। पर तब भी आपको बेहद हिम्मत और सूझबूझ से इस समय का सामना करना होगा।
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम दिल से संबंधित एक बीमारी है। जिसमें दिल के बाईं और की मांसपेशियां भावनात्मक तनाव (Emotional stress) के कारण शिथिल पड़ जाती हैं। शोध बताते हैं कि यह हृदयाघात से भी ज्यादा खतरनाक स्थिति है।
दिल दुखा है, इसे टूटने मत दीजिए और फिर से लौटिए उन खुशियों की तरफ जिन्हें आप टाइम नहीं दे पा रहीं थीं। चित्र: शटरस्टॉकयूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में अचानक किसी सदमे के कारण दिल के बाएं हिस्से की मांसपेशियां शिथिल पड़ जाती है। जिसके चलते सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसे स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी (Stress Cardiomyopathy) भी कहते हैं।
इसमें कोई नई बात नहीं है, हम और आप सब जानती हैं कि हम छोटी-छोटी बातों पर भी कितनी टची हो जाती हैं। पर यह आदत अच्छी नहीं होती, क्योंकि यह सिर्फ आपके मूड को ही नहीं, बल्कि आपके दिल को भी नुकसान पहुंचाती है।
यूरोपियन हार्ट जर्नल में ही यह भी कहा गया कि हार्ट अटैक के मामले जहां पुरुषों में अधिक हैं, वहीं ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के मामले महिलाओं में ज्यादा होते हैं। खासतौर से 40 की उम्र के बाद की महिलाओं में ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का जोखिम और भी बढ़ जाता है।
अमेरिका के शैक्षिक चिकित्सा केंद्र क्लीवलैंड क्लीनिक के द्वारा किए गए एक नए शोध में यह सामने आया है कि कोविड-19 के कारण ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है।
इस अध्ययन के लिए 1 मार्च से 30 अप्रैल के बीच आने वाले 258 मरीजों की जांच की गई। इन सभी को हार्ट से जुड़ी समस्या थी, जिसे एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम (ACS) कहा जाता है।
डॉक्टरों ने यह देखा कि पहले जहां मरीजों के आने की दर 1.7% थी, वहीं महामारी के बाद इनकी संख्या 7.8% हो गई है। साथ ही इस दौरान मरीजों की ठीक होने में ज्यादा समय लगा। यह अध्ययन मेडिकल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका के जर्नल में छपा है।
इसकी सबसे बड़ी वजह तनाव है। तनाव के कारण हृदय की मांसपेशियां शिथिल पड़ जाती हैं। जिससे सीने में दर्द होने लगता है। साथ ही सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। हालांकि यह कुछ सप्ताेह में ठीक हो जाता है, लेकिन अगर तनाव को कम न किया जा सका तो यह स्थिति घातक हो सकती है। कोरोनावायरस के कारण ऐसे मरीजों की संख्या डबल हो गई है। इन दिनों ज्यादातर लोग सोशल डिस्टेंंसिंग, आइसोलेशन, लॉकडाउन और शारीरिक-आर्थिक समस्या ओं का सामना कर रहे हैं।
इसके लक्षण काफी कुछ हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं। इसमें सीने में तेज दर्द, सांस फूलना और सांस लेने में दिक्कात हो जाती है। कई बार मरीज को उल्टियां होने की शिकायत भी होने लगती हैं। यदि इसका समय पर सहीं इलाज न हो तो इससे मरीज की जान भी जा सकती है।
दिल टूटना जोखिम भरा जरूर है पर इससे बचना इतना भी मुश्किल नहीं है। इसका खास कारण तनाव है और तनाव आपकी भावनाओं से संबंधित है। तो अगर आप तनाव को डील करना सीख जाती हैं, तो आप इससे बची रह सकती हैं।
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