गर्मी का सितम लगातार जारी है और ऐसे मौसम में जुकाम, खांसी और गले में होने वाला दर्द पूरी तरह से असामान्य नज़र आता है। हांलाकि गर्मी में दिखने वाले सर्दी के इन लक्षणों को समर कोल्ड कहा जाता है। दरअसल, इसके सभी लक्षण विंटर कोल्ड जैसे ही नज़र आते हैं, जिसे कॉमन कोल्ड (common cold) भी कहा जाता है। कई कारणों से बढ़ने वाला समर कोल्ड बुखार और तेज़ सिरदर्द का कारण साबित होता है। जानते हैं समर कोल्ड (summer cold) किसे कहते हैं और इससे बचने के उपाय भी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार वातावरण में 200 से अधिक ऐसे वायरस पाए जाते हैं जो समरकोल्ड का कारण बनने लगते हैं। सर्दियों के महीनों में ज्यादातर राइनोवायरस कोल्ड ट्रिगर का कारण बनता है। दरअसल, वो वायरस सर्दी में देर तक जीवित रह पाते हैं। वहीं गर्मियों में आमतौर पर नॉन पोलियो एंटरोवायरस (non-polio enterovirus) के कारण ये समस्या बढ़ने लगती है। हवा में 60 से अधिक प्रकार के नॉन पोलियो एंटरोवायरस (non-polio enterovirus) हैं, जो संक्रमण का कारण साबित होते हैं।
गर्मियों में होने वाली एलर्जी के चलते हे फीवर का भी सामना करना पड़ता है। सेंटर फॉर डिज़ीज एंड कंट्रोल के अनुसार गर्मी में 8 फीसदी से कम लोगों और बच्चों को हे फीवर का सामना करना पड़ता है।
इस बारे में उजाला सिग्न्स ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर और सीईओ डॉ शुचिन बजाज कहते हैं कि इस मौसम में कोल्ड के चलते अक्सर लोगों को बुखार और थकान का सामना करना पड़ता है। 5 से 7 दिन तक चलने वाला बुखार और कोल्ड बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बढ़ने लगता है।
छींकना, गले में दर्द और खराश का सामना करना पड़ता है
बुखार, बार बार खांसी और नाक कहने की समस्या से जूझना पड़ता है। ,
शारीरिक मांसपेशियों में दर्द व ऐंठन की समस्या बढ़ने लगती है और थकान महसूस होने लगती है।
मुंह में छालों का सामना करना पड़ता है। एलर्जी के चलते मुंह में बैक्टीरिया बढ़ने लगता है।
आंखों में पानी, खराश और स्किन रैश का जोखिम भी बढ़ जाता है।
शरीर को किसी भी प्रकार के संक्रमण और एलर्जी से बचाने के लिए खूब पानी पीएं। खुद को हाइड्रेट रखने से इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है। शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए प्राकृतिक पेय पदार्थों का सेवन करें। इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइटस की मात्रा बनी रहती है। साथ ही बार बार होने वाली स्वैटिंग के चलते डिहाइड्रेशन का खतरा भी नहीं रहता है।
मौसम के अनुसार फलों और सब्जियों को आहार में शामिल करने से शरीर को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। इससे शरीर को एंटीऑक्सीडेंटस मिलते हैं, जिससे शरीर में एनर्जी बनी रहती है और मेटाबॉलिज़्म बूस्ट होने लगता है। मील में फलों और सब्जियों को एड करने से शरीर में बढ़ने वाली ऑक्सीडेटिव तनाव से बचा जा सकता है। साथ ओवरऑल हेल्थ के अलावा स्किन को भी फायदा मिलता है।
शरीर को एक्टिव रखने के लिए सोने और उठने का समय तय करें। इसके अलावा काम के दौरान स्मॉल ब्रेक्स लें और दिनभर में कुछ वक्त एक्सरसाइज़ के लिए भी निकालें। इससे शरीर में मौसमी बीमारियों का खतरा कम होने लगता है। साथ ही नींद न आने की समस्या भी हल होने लगती है।
हर वक्त काम करना शरीर की थकान का मुख्य कारण बनता है। काम के अलावा शरीर को कुछ वक्त आराम दें। इससे शरीर तंदरूस्त रहता है। काम के दौरान रेगुलर इंटरवेल्स लेना न भूलें। इसके अलावा मेडिटेशन के लिए भी समय निकालें। इससे शरीर को सुकून की प्राप्ति होती है। इससे मानसिक और शारीरिक स्वस्थ्य उचित बना रहता है।
कही बाहर से लौटने के बाद और कुछ भी खाने से पहले हैंड हाइजीन को मेंटेन रखना न भूलें। इससे शरीर में बढ़ने वाले संक्रमण के खतरे से बचने में मदद मिलती है। गंदे हाथों से चेहरे को छूने से बचें। अन्यथा वायरस का जोखिम बढ़ने लगता है। संक्रमणों के प्रभाव से मुक्त रहने के लिए सेनिटाइज़र का इस्तेमाल करें।
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