हल्का सा सर्दी-ज़ुखाम भी आजकल हमें चिंता में डाल देता है, कहीं यह कोविड-19 का इंफेक्शन तो नहीं! ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि मौसमी इंफेक्शन और कोविड-19 में क्या फर्क है और इससे खुद को कैसे सुरक्षित रखा जाए।
सबसे पहले तो यह जान लें कि कोविड-19 का प्रमुख लक्षण है बुख़ार और सूखी खांसी। वहीं गले के इंफेक्शन के सिम्पटम्स हैं गले मे दर्द, ख़राश, खुजली और ज़ुकाम। अगर आपके गले में दर्द है और खांसी नहीं आ रही है, तो आपको फैरिनजाइटिस हुआ है। फैरिनजाइटिस यानी फैरीनक्स का इंफेक्शन।
ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ एंड वेलफेयर के शोध के अनुसार फैरिंक्स में दो तरह के इंफेक्शन होते हैं- वायरल और बैक्टीरियल। बैक्टीरियल इन्फेक्शन में गले के अंदर सफेद दाग दिखते हैं, जिसके लिए एंटीबायोटिक्स ली जाती हैं। वायरल इन्फेक्शन जो अधिकांश तौर पर मानसून में होता है, 4 से 10 दिन में अपने आप ठीक हो जाता है।
प्रीकॉशन्स हमेशा ही क्योर से बेहतर होते हैं, हैं ना! तो अपने आपको सुरक्षित रखने का सबसे कारगर उपाय है इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग रखना। इन स्टेप्स से मानसून में खुद को इन्फेक्शन्स से बचायें-
बीमारियों से बचने के लिए आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता स्ट्रांग होनी चाहिए। और इसे स्ट्रांग करता है विटामिन सी। विटामिन सी तो हमेशा ही अच्छी मात्रा में अपने आहार में शामिल रखना चाहिए, मगर मानसून में इसका खास ख़याल रखना चाहिए।
नींबू, सन्तरा, मौसम्बी, स्ट्रॉबेरी जैसे खट्टे फलों को अपने आहार का हिस्सा बनाएं। हर रोज़ कम से कम एक फल ज़रूर खाएं। शिमला मिर्च भी विटामिन सी का अच्छा स्रोत है जिसे आप अपने आहार में शामिल कर सकती हैं।
आप सोच रही होंगी कि पेट का इन्फेक्शन्स से क्या लेना देना? हम बताते हैं। हमारे पेट में बहुत सारे गुड बैक्टीरिया रहते हैं। पेट खराब होने पर बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है। इसका सीधा असर पड़ता है हमारे इम्यून सिस्टम पर। अगर पेट साफ और दुरुस्त होगा तो इम्यून सिस्टम भी स्ट्रॉन्ग रहेगा। इसलिए मानसून में फाइबर युक्त भोजन करें और ख़ूब पानी पियें।
अगर आप आसानी से बीमार पड़ जाती हैं तो बारिश में भीगने की गलती न करें। हमारी फिल्मों में यह कितना भी मज़ेदार क्यों न दिखे, बारिश में भीगना कई इन्फेक्शन्स की जड़ होता है। इसलिए बारिश से दूरी ही बनाकर रखें।
पिछले कुछ महीनों में हाथ धोने पर काफी जोर दिया गया है। क्योंकि हाइजीन से समझौता मतलब स्वास्थ्य से समझौता। अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं और साफ तौलिये से पोंछ भी लें। हाथों को गीला रखना भी आपके इंफेक्शन का कारण बन सकता है।
वायरल इंफेक्शन ठीक होने में समय लेता है। अगर आपका गला खराब है, तो हफ्ते भर के कष्ट के लिए तैयार रहें। लेकिन इन उपायों को अपनाकर आप रिकवरी को आसान बना सकती हैं।
चाय में अदरक बढ़ाएं, जिंजर टी पियें या गर्म पानी में शहद मिलाकर पिएं। अदरक में एंटीइंफ्लेमेटरी प्रोपर्टी होती हैं जो गले के दर्द में आराम देती हैं। शहद ख़राश को कम करता है और इंफेक्शन में राहत देता है।
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कस्टमाइज़ करेंपानी ही धरती का अमृत है। आपके शरीर की हर समस्या को दूर कर सकता है पानी। पानी टॉक्सिन्स को शरीर के बाहर निकालता है। इंफेक्शन है तो गुनगुना पानी पियें, यह गले के दर्द में आराम देता है।
गरारा यानी गार्गल गले के दर्द में बहुत आराम पहुंचाता है। गर्म पानी में एक चुटकी हल्दी और एक चुटकी सेंधा नमक डालकर गरारा करें। यह गले की सिकाई कर उसे आराम दिलाता है और दर्द और ख़राश में राहत देता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो इंफेक्शन को खत्म करते हैं।
शरीर मे पानी की पूर्ति करने के लिए हर्बल चाय सबसे बेहतरीन है। दिन भर में अलग-अलग तरह की हर्बल चाय अपनी डाइट में शामिल करें। जिंजर टी, लेमन टी, तुलसी की चाय इत्यादि लेते रहें। यह आपके गले को आराम पहुंचाएगा और पानी की कमी भी नही होने देगा।
गले का इंफेक्शन मानसून में अक्सर हो जाता है, इसमें पैनिक ना करें। स्ट्रेस से जितना दूर रहेंगी उतना ही स्वस्थ रहेंगी। इन आसान उपाय को घर पर अपना कर आप खुद को इन्फेक्शन्स से सुरक्षित रख सकते हैं।