बर्थ डोला, अगर देसज भाषा में कहें तो एक पढ़ी-लिखी, अनुभवी दाई, जिसे शारीरिक के साथ-साथ गर्भवती स्त्री की मनोवैज्ञानिक स्थितियों के बारे में भी समझ होती है। यह होने वाली मां या नई मां को प्रसव के दौरान भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक सहयोग देकर मदद करती है। वह सांस लेने, सुस्ताने और आराम करने तथा राहत दिलाने वाले उपकरणों की मदद से, भावी मांओं को उनकी आवश्यकतानुसार आराम दिलाती हैं।
बर्थ डोला प्रसव पीड़ा के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ भावी अभिभावकों को सांत्वना देती है और साथ ही, मां तथा देखभाल करने वाले व्यक्ति के बीच संचारक की भूमिका निभाती है।
कोविड-19 महामारी के समय में कुछ कपल बिल्कुल अकेले हैं। उन्हें यह समझ नहीं है कि पहली बार इस स्थिति का सामना कैसे करें। दाई की भूमिका इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि वह जन्म के समय मौजूद पार्टनर या अन्य लोगों को, जन्म के अनुभव से उस हद तक जुड़ने में भी मदद करती है, जितने में वे खुद को आरामदायक स्थिति में पाते हैं।
अगर वे पढ़ी-लिखी और अनुभवी हैं, तो क्या वे प्रसव में भी मदद कर सकती हैं? यह सवाल उठना स्वभाविक है। पर आपको यह समझना चाहिए कि बर्थ डोला या दाई किसी प्रकार की क्लीनिकल जांच जैसे कि योनि परीक्षण, हृदय की धड़कन पता लगाने अथवा पेरीनियल की मालिश जैसे काम नहीं करती है।
वह किसी प्रकार की चिकित्सकीय जांच या सलाह भी नहीं देती। वह भावी/नई मां को पीड़ा से राहत के लिए उसकी पसंद के उपायों को अपनाने से हतोत्साहित नहीं करती और न ही प्राथमिक चिकित्सा देखभाल प्रदाता द्वारा प्रसव के इंतज़ामों में किसी तरह का हस्तक्षेप ही करती है।
वे प्राय: कठिन प्रसव प्रक्रिया के दौरान एक बफर की भूमिका में होती है, निरंतर सहयोग और साथ देती है और प्रसव पीड़ा से गुजर रही मां के मन में आत्मविश्वास की भावना का संचार करती है।
हालांकि वे किसी तरह के चिकित्सकीय परीक्षण में समर्थ नहीं होती, लेकिन प्राकृतिक उपायों से प्रेगनेंसी में आपकी मदद कर सकती हैं। गर्भ की स्थिति और प्रसव के दौरान ऊर्जा बचाने, ताकि सही समय पर उसका इस्तेमाल किया जा सके जैसे समयोचित सलाह-मशविरा और मार्गदर्शन काफी उपयोगी साबित होते हैं।
बर्थ डोला किसी प्रकार की नर्सिंग या मेडिकल केयर नहीं प्रदान करती। वह प्रसव के समय डॉक्टर, नर्स या मिडवाइफ की जगह नहीं ले सकती। वह अपना समय और प्रयास प्रसव पीड़ा से गुजर रही महिला और उसके परिवार को सहयोग देने में लगाती है।
बर्थ डोला भावी पिता या परिजनों का मार्गदर्शन भी करती है और उन्हें यह समझाती है कि प्रसव पीड़ा के दौरान या प्रसवोपरांत वे कैसे मददगार हो सकते हैं। लेकिन वह पिता या पार्टनर की जगह भी नहीं ले सकती।
इनकी उपस्थिति उस समय भी मददगार होती है जबकि महिला को एपीड्यूरल हो, ऐसी स्थिति में वह भावनात्मक सहयोग और आवश्यकतानुसार शारीरिक तौर पर भी सहयोग देती है।
जी हां, आप सी-सैक्शन के दौरान भी बर्थ डोला की मदद ले सकती हैं। उनके होने से चिंता कम होती है, वह डिलीवरी के उपरांत स्वास्थ्य लाभ में मदद करती है और स्तनपान कराने में भी सहायक होती है। वह अस्पताल की नीति के अनुसार, ऑपरेटिंग रूम में भी मौजूद रह सकती है।
अंतिम तिमाही में ज्यादा होती हैं मददगार
गर्भावस्था की अंतिम तिमाही भावी मां के लिए काफी जटिल होती है। वजन पहले की तुलना में काफी बढ़ चुका होता है और मूड स्विंग से भी आप गुजर सकती हैं। ऐसे में बर्थ डोला आपकी मददगार हो सकती है।
इस दौरान वे आपकी मदद करती हैं कि किस करवट उठा-बैठा-सोया जाए, कैसे व्यायाम किए जा सकते हैं और आसान प्रसव के लिए क्या तकनीकें अपनाना कारगर हो सकता है। सबसे अहम् होता है भावनात्मक सहयोग, जो बर्थ डोला भावी मां को प्रदान करती हैं।
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