गहरी नींद में सोते सोते अचानक खर्राटों की अवाज़ क्या आपकी भी नींंद गायब कर देती है। साथ में सोने वाले किसी व्यक्ति के नाक और मुंह से निकलने वाली अलग अलग तरह की आवाजें क्या आपका तनाव बढ़ रही है, तो हो जाएं सतर्क। दरअसल, सोते ही कुछ ही देर में आने वाली स्नोरिंग का साउंड जहां साथ की नींद गायब कर सकता है, वो आपके स्वास्थ्य के लिए भी कई समस्याओं का संकेत साबित हो रहा है। हांलाकि खर्राटे लेना एक ऐसी सामान्य गतिविधि है कि जिस पर किसी व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं होता है। कुछ लोग थकान को इसका कारण मानते हैं, तो कुछ खानपान की आदतें। चलिए जानते हैं खर्राटों का कारण (Causes of snoring) और इसका स्वास्थ्य पर होने वाला प्रभाव।
स्लीप फाउनडेशन के अनुसार खर्राटे तब आते हैं जब नासॉफ़रीनक्स में एयरफ्लो ब्लॉकड या प्रतिबंधित हो जाता है, जो आपकी नाक के पीछे मौजूद ऊपरी वायुमार्ग का एक क्षेत्र है। इससे वायुमार्ग में टिशूज फड़फड़ाने लगते हैं और ध्वनि उत्पन्न होती है। खर्राटे लेना आमतौर पर एक हानिरहित प्रक्रिया है। मगर वहीं कुछ लोगों में स्लीप डिसऑर्डर और अंडरलाइंग मेडिकल कंडीशन का सेकेत होता है।
अधिकांश लोग खर्राटों को अनदेखा करते हैं। लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि खर्राटे (Causes of snoring) सामान्य है या वाकई ये चिंताजनक संकेत है। वेटगेन, मेनोपॉज, प्रेगनेंसी, एजिंग और नोज़ ब्लॉकेज समेत कई कारणों से स्नोरिंग का सामना करना पड़ता है। हांलाकि खर्राटे कई प्रकार के होते हैं।
पल्मोनोलॉजी कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन डॉ अवि कुमार कहते हैं कि स्नोरिंग (Causes of snoring) से हृदय रोगों का खतरा बढ़ने लगता है। इसमें हार्टबीट तेज होने का रिस्क रहता है और हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा शुगर का लेवल बढ़ने लगता है। दिन के वक्त तेज़ नींद आती है, जिससे सोते सोते एक्सीडेंट का रिस्क भी बढ़ जाता है। साथ ही व्यवहार चिड़चिढ़ापन और तनाव की स्थिति बनी रहती है।
वे लोग जो प्राइमरी स्नोरिंग (Causes of snoring) करते हैं, उन्हें अक्सर नींद के दौरान अपर एयरवेज़ ब्रीदिंग से तेज़ आवाज़ें आती हैं और ऐसे व्यक्ति गहरी नींद में सोए रहते हैं।
नाक बंद होने के समय नेज़न स्नोरिंग की समस्या बढ़ जाती है। एलर्जी, कोल्ड, फ्लू और स्मोकिंग के दौरान इस समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नाक से खर्राटों की आवाज़ समनाई देने लगती है।
ऐसी स्थिति में जीभ एयरवेज़ के ब्लॉक और रिलैक्स रखती है। वे लोग जो पीठ के बल सीधा साते हैं और अल्कोहल का सेवन करते हैं, उनमें ये समस्या अधिक देखने को मिलती है।
स्लीप एपनिया के साथ खर्राटे में तेज़ आवाज़ें आती हैंए जिसके बाद सांस रुक जाती है। इस स्थिति को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहा जाता है और उम्र के साथ यह बदतर होती जाती है। एक्सपर्ट के अनुसार पुरुषों में महिलाओं की तुलना में खर्राटे लेने की संभावना दोगुनी होती है। मोटापे और मधुमेह उच्च रक्तचाप जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने के कारण बदल रहा है।
उम्र के साथ स्लीन हेबिट्स में बदलाव आने लगता है, जिससे सोने का पैटर्न बदलने लगता है। जहां कुछ लोगों की नींद कम हो जाती है, तो कुछ लोगों के सोने का वक्त बढ़ने लगता है। इससे खर्राटों की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा उम्र के साथ श्वास मार्ग की ताकत कम होने लगती है, जिससे सांस लेने के दौरान ऊतकों में कंपन होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में खर्राटों की समस्या (Causes of snoring) बढ़ जाती है।
अक्सर पीठ के बल सोने वाले लोगों में खर्राटे की समस्या पाई जाती है। दरअसल, ऐसी पोज़िशन में एयरवेज़ संकुचित होने लगते है, जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है, जो इस समस्या को बढ़ाते हैं। ऐसे में करवट लेकर या पेट के बल सोने से इस समस्या से राहत मिल जाती है।
अधिक वजन होना खर्राटों के उच्च जोखिम और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का कारण साबित होता है। नेशनल लाइब्रेरी आूफ मेडिसिन के रिसर्च के अनुसार मोटापे से ग्रस्त लोगों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया विकसित होने की संभावना अधिक होती है। वास्तव में बॉडी मास इंडेक्स यानि बीएमआई में 10 फीसदी ओएसए के लिए बढ़े हुए जोखिम से जुड़ी हुई है।
सिगरेट पीने से ऊपरी वायुमार्ग में सूजन बढ़ने लगती है, जो खर्राटों को बढ़ाती है। धूम्रपान के कारण पुरुषों और महिलाओं दोनों को खर्राटों का सामना करना पड़ता है। वहीं अल्कोहल थ्रोट मसल्स को रिलैक्स कर देता है। ऐसे में गले सांस लेने के दौरान टिशूज में कंपन महसूस होती है।
खर्राटे लेना अपने आप में बुरा नहीं है, लेकिन यह नींद की गुणवत्ता को बाधित करने का कारण साबित होता है। इसके चलते नींद की कमी बढ़ने लगती है। ऐसे में खर्राटों और दिन में नींद आने से जुड़ी सबसे आम समस्या है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जिसे ओएसए कहा जाता है। इस दौरान सोते समय एयरवेज़ ब्लॉक या संकुचित हो जाते है। नींद में बाधा डालने वाले खर्राटों की अनदेखी करने से समय के साथ रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो सकता है। इसके चलते किसी भी कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है। साथ ही थकान हो सकती है और दिल का दौरा, टाइप 2 मधुमेह, स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है।
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