ठंडे मौसम में खुद को गर्म रखने के लिए अगर आप भी स्मोकिंग कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। यह हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकता है। सर्द हवाओं से खुद को बचाने के लिए अक्सर लोग स्मोकिंग करने लगते है, जो हार्ट हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। दरअसल, स्मोकिंग हृदय, ब्लड और ब्लड वेसल्स समेत पूरे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे हाई ब्लड प्रेशर से लेकर कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ का खतरा बना रहता है। स्मोकिंग के अलावा सेकंड हैंड स्मोकिंग भी हृदय स्वास्थ्य के लिए उतनी ही नुकसानदायक है। जानते हैं स्मोकिंग का हृदय स्वास्थ्स पर होने वाला प्रभाव (smoking in winter effect on heart) ।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 10 में से 1 से अधिक मौतों को धूम्रपान के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। वहीं धूम्रपान करने से 140,000 लोगों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से मौत का आंकड़ा सामने आया है। इसके अलावा सिगरेट पीने से ग्लूकोज़ इनटॉलरेंस और हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल से लो सीरम लेवल का भी सामना करना पड़ता है।
इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक पेसिंग और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी विभाग इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल नई दिल्ली, डॉ. वनिता अरोड़ा बताती हैं कि सर्दियों में स्मोकिंग करने से हार्ट ब्लॉकेज का खतरा बढ़ने लगता है। इसके धुंए में मौजूद केमिकल्स पहले से ही संकुचित ब्लड वेसल्स को डैमेज करते है, जिससे प्लेटलेट्स एग्रीगेट यानि एकत्रित होने लगते हैं और ब्लड क्लॉट का कारण साबित होते है। स्मोकिंग से सेल्स लाइनिंग क्षतिग्रस्त होने लगती है, जिससे ब्लड फ्लो में रूकावट पैदा होने लगती है। धूम्रपान केवल एक्टिव स्मोकर को ही नुकसान नहीं पहुंचाता है बल्कि पैसिव स्मोकर भी उसी प्रकार से हृदय रोगों का शिकार हो सकते हैं।
महिलाओं में धूम्रपान बेहद नुकसानदायक साबित होता है, जिससे हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, धूम्रपान करने वाली महिलाओं में जहां इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है। तो वहीं, वे महिलाएं जो ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स यानी बर्थ कंट्रोल पिल्स ले रही हैं। उनमें कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ का खतरा पांच गुणा तक बढ़ता है।
आर्टरीज़ में ब्लड का फ्लो बढ़ने से हाई ब्लड प्रेशर यानि हाईपरटेंशन का सामना करना पड़ता हैं दरअसन, धुंए में मौजूद निकोटिन की मात्रा उच्च रक्तचाप का कारण साबित होती है। इससे शरीर में तनाव बढ़ने लगता है और चक्कर आने की समस्या बनी रहती है।
हृदय की धमनियां, जिन्हें कोरोनरी आर्टरीज़ कहा जाता है। जब वे हृदय तक पूरी तरहे से खून नहीं पहुंचा पाती हैं, तब शरीर में कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ का खतरा बढ़ जाता है। ठंड के मौसम में आर्टरीज़ सुकंचित होने लगती है और स्मोकिंग के कारण उनमें जमने वाला प्लाक रक्त के संचार में बाधा बनने लगता है।
धूम्रपान प्लाक और थक्कों के निर्माण को बढ़ावा देता है। इससे शरीर में ब्लड वेसल्स ब्लॉक होने लगती है। अगर ये समस्या ब्रेन तक पहुंचने लगती है, तो वो स्ट्रोक का कारण बन सकती है। इससे ब्रेन को पूरी ऑक्सीजऩ की प्राप्ति नहीं होती है, जिससे ब्रेन सेलस क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।
धूम्रपान हृदय में रक्त के प्रवाह को बाधित करता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। इसे मायोकार्डियल इंफार्क्शन भी कहा जाता है। ऑक्सीजन युक्त रक्त के बिना हार्ट मसल्स डैमेज होने लगते है।
नियमित रूप से स्मोकिंग करने से ब्ल्ड प्रेशर और हार्ट रेट प्रभावित होने लगता है। यूएसडीए के अनुसार स्मोकिंग बंद करने के 20 मिनट बाद हार्ट रेट नॉर्मन होने लगता है। दरअसल, सांस लेने से लंग्स से ऑक्सीजन की सप्लाई होती है। मगर केमिकल युक्त धुंए के संपर्क में आने से कंटेमीनेटिड धुंआ शरीर में प्रवेश करने लगता है।
सिगरेट के धुएँ में कार्बन मोनोऑक्साइड पाई जाती है] जिससे हृदय तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुँचना मुश्किल हो जाता है। एनआईएच की रिसर्च के अनुसार धूम्रपान बंद करने के 12 घंटे बाद ब्लड में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर सामान्य होने लगता है और हृदय तक अधिक ऑक्सीजन पहुँचने लगती है।
अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार तब शरीर में ब्लड प्रेशर नॉर्मल होने लगता है, तो उस वक्त दिल का दौरा पड़ने का जोखिम घट जाता है। ये प्रक्रिया स्मोकिंग छोड़ने के 12 से 24 घंटों के भीतर होने लगती है।
एफडीए की रिसर्च के अनुसार धूम्रपान छोड़ने के 1 साल बाद शरीर में स्ट्रोक समेत हृदय रोगों को खतरा लगभग आधा हो जाता है। इससे शरीर में कार्बन मोनोऑकसाइड का स्तर नियंमित बना रहता है और शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन उचित बना रहता है।
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