पर्सनलाइज्ड कंटेंट, डेली न्यूजलैटरससाइन अप

अल्जाइमर और डिमेंशिया को दावत दे सकती हैं नींद की गोलियां, रिसर्च में सामने आए इसके नुकसान

अगर आप यह सोच रहे हैं कि स्लीप मेडिकेशन तो सिर्फ नींद लाने के लिए है, इससे तो कुछ फर्क नहीं पड़ेगा तो आपको जानकर हैरानी होगी कि ये दवाइयाँ ब्रेन के वेस्ट (टॉक्सिन्स) को साफ करने में रुकावट डाल सकती हैं।
कैफीन, नींद की गोलियां और एंटीहिस्टामाइन नींद के पैटर्न को बाधित कर सकते हैं।
Published On: 21 Jan 2025, 06:00 pm IST

अंदर क्या है

  • ब्रेन की सफाई से नींद का रिश्ता
  • स्लीप मेडिकेशन का असर ब्रेन की सफाई पर
  • कुछ नींद की दवाइयों के नुकसान

बदलती दुनिया में नींद न आना बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। देश और दुनिया में बड़ी आबादी इस समस्या से जूझ रही है। इसी समस्या से निपटने के लिए उन्हें स्लीप मेडिकेशन यानी नींद की दवाइयों की ओर जाना पड़ता है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि स्लीप मेडिकेशन तो सिर्फ नींद लाने के लिए है, इससे तो कुछ फर्क नहीं पड़ेगा तो आपको जानकर हैरानी होगी कि ये दवाइयाँ ब्रेन के वेस्ट (टॉक्सिन्स) को साफ करने में रुकावट डाल सकती हैं। तो चलिए, हम जानते हैं कि स्लीप मेडिकेशन और ब्रेन की सफाई का क्या रिश्ता है और ये दवाइयाँ हमारे दिमाग को किस तरह प्रभावित (sleeping pills side effects) करती हैं।

ब्रेन की सफाई से नींद का रिश्ता ( sleep effects on brain)

इस सवाल का जवाब हमें न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर भूपेन्द्र भाटिया ने दिया। उनका कहना था कि दिन भर अलग अलग काम करते वक्त शाम तक हमारे दिमाग में टॉक्सिन्स मेटेरियल्स जमा हो जाते हैं। ये टॉक्सिन्स टूटी हुई कुछ सेल्स, खराब हुई प्रोटीन – कुछ भी हो सकती हैं। अब सवाल यह है कि यह सफाई कैसे होती है? इसका जवाब है ग्लाइम्फैटिक सिस्टम (Glymphatic System)। यह एक खास प्रक्रिया है, जो दिमाग में होते हुए टॉक्सिन्स और खराब पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है। जब हम सोते हैं, तब यह सिस्टम पूरी तरह से सक्रिय होता है और दिमाग में जमा हुआ कचरा साफ होता है।

गहरी नींद हमारे दिमाग की सफाई के लिए जरूरी है। चित्र – शटरस्टॉक

जब हम अच्छी नींद लेते हैं, तो दिमाग की सेल्स के बीच जो जगह होती है, वह थोड़ा खुल जाती है। इससे दिमाग में जमा टॉक्सिन्स और कचरा आसानी से बाहर निकलने लगते हैं। यह एक तरह से हमारे दिमाग के लिए खुद की सफाई करने का तरीका है। तो यही है नींद और दिमाग की सफाई का कनेक्शन। इसलिए दिमाग की सफाई के लिए नींद बल्कि अच्छी नींद जरूरी है।

स्लीप मेडिकेशन का असर ब्रेन की सफाई पर ( sleep medicines affects brain badly)

अब आते हैं इस सवाल पर कि स्लीप मेडिकेशन यानी नींद की दवाइयों का ब्रेन पर किस तरह असर पड़ता है। ये दवाइयाँ, दिमाग के कुछ हिस्सों को प्रभावित करती हैं, ताकि हमें जल्दी नींद आ सके। लेकिन कई बार ये दवाइयाँ पूरी नींद चक्र को प्रभावित करती हैं, खासकर गहरी नींद (Deep Sleep) और REM (Rapid Eye Movement) नींद को। और जब ये दो प्रकार की नींद पूरी तरह से नहीं होती, तो ब्रेन की स्वाभाविक सफाई प्रक्रिया प्रभावित होती है। चलिए, हम कुछ प्रमुख दवाइयों के बारे में जानते हैं और यह देखेंगे कि ये कैसे दिमाग के वेस्ट को क्लीयर करने में रुकावट (sleeping pills side effects) डालती हैं।

कुछ नींद की दवाइयों के नुकसान (side effects of sleeping pills)

1. मेलाटोनिन और गहरी नींद

मेलाटोनिन एक प्राकृतिक हार्मोन है। लेकिन कई बार इसे दवाइयों के तौर पर दिया जाता है। ये हमारी नींद साइकिल को नियंत्रित करता है। न्यूरोसाइंस एण्ड बिहेविओरल रिव्यूज की एक रिपोर्ट  कहती है कि जब हम मेलाटोनिन लेते हैं, तो हमें नींद आने में तो मदद मिलती है लेकिन नींद को गहरी कर पाता। इसके अलावा इसे डेली लेने पर इसके केमिकल्स हमारे दिमाग पर बुरी तरह से असर (sleeping pills side effects) करते हैं।

नींद की गोलियां हमारे याददाश्त पर भी असर डालती हैं। चित्र – अडोबीस्टॉक

इसका असर सीधा हमारी याददाश्त पर पड़ता है।

अब समझिए जब गहरी नींद के दौरान ही हमारा ब्रेन अपनी सफाई शुरू करता है और उस समय जमा हुए टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। कुल मिलाकर बात यह है कि मेलाटोनिन नींद लाने में भले मददगार हो लेकिन यह नींद को उतनी गहरी नहीं कर पाता, जिससे ब्रेन अपनी साफ-सफाई ठीक ढंग से नहीं कर पाता।

2. बेंजोडायजेपाइन और स्लीप साइकिल

बेंजोडायजेपाइन जैसी दवाइयाँ, जैसे डायजेपाम , एलप्राजोलम, और लोराजेपम, घबराहट और नींद की समस्याओं के लिए आमतौर पर दी जाती हैं। अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार ये दवाइयाँ दिमाग के रिसेप्टर्स को ब्लॉक करके नींद लाती हैं। रिसेप्टरस के ब्लॉक होने का असर आपकी नींद की साइकिल पर पड़ता है और दिमाग की सफाई प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित (sleeping pills side effects) होती है।

3. एंटीहिस्टामिन का स्लीप क्वालिटी पर असर (sleeping pills side effects)

एंटीहिस्टामिन (जैसे डिपेनहाइड्रामाइन और हाइड्रॉक्सिज़िन) का उपयोग नींद लाने के लिए भी किया जाता है, क्योंकि ये दवाइयाँ हिस्टामाइन रिसेप्टर्स को ब्लॉक करती हैं, जो दिमाग की सक्रियता बढ़ाते हैं। लेकिन ये दवाइयाँ गहरी नींद आने से रोकती भी हैं जो कि दिमाग की सफाई के लिए जरूरी हैं।
ये समझने की जरूरत ज्यादा है कि नींद आने से ज्यादा जरूरी है, नींद की गुणवत्ता। जब यही कमजोर होगी तो इसका सीधा असर आपके दिमाग़ के काम काज पर पड़ेगा।

4. स्लीप मेडिकेशन का दिमाग पर बड़ा असर (sleeping pills side effects on brain)

अगर आप लंबे समय तक स्लीप मेडिकेशन का सेवन करते हैं, तो यह आपके ब्रेन की सफाई प्रक्रिया को नुकसान पहुँचा सकता है। इससे दिमाग में जमा टॉक्सिन्स सही समय पर बाहर नहीं निकल पाते, और लंबे समय के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर (sleeping pills side effects) पड़ सकता है।

अल्जाइमर रोग के कारण ब्रेन सिकुड़ जाता है और ब्रेन सेल्स अंततः कमजोर पड़ने लगती है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

वीमेंस रिकवरी नाम की एक संस्था के अनुसार लंबे समय तक स्लीपिंग पिल्स लेने से अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के खतरे हो सकते हैं। अगर दिमाग टॉक्सिन्स सही समय पर बाहर नहीं निकलते, तो ये बीमारियां गंभीर रूप ले लेते हैं। इसलिए, यह जरूरी है कि स्लीप मेडिकेशन रोज न लिया जाए। यदि किसी को नींद की समस्या है, तो उसे यह दवाइयाँ केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए और केवल तात्कालिक राहत के लिए ही इन्हें इस्तेमाल करना चाहिए।

ये भी पढ़ें – किडनी और लिवर डैमेज कर सकती हैं नींद की गोलियां, सोच–समझकर खाएं

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

लेखक के बारे में
राेहित त्रिपाठी

गोरखपुर यूनिवर्सिटी से स्नातक और लिखने-पढ़ने की आदत। रेख्ता, पॉकेट एफएम, राजस्थान पत्रिका और आज तक के बाद अब हेल्थ शॉट्स के लिए हेल्थ, फिटनेस, भारतीय चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान पर रिसर्च बेस्ड लेखन।

अगला लेख