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प्रेगनेंसी के दौरान कोई भी मील स्किप करना बन सकता है प्रीमेच्योर डिलीवरी का कारण, एक्सपर्ट बता रहीं हैं और भी जोखिम

प्रेगनेंसी के दौरान वर्क प्रेशर के बीच नाश्ता भोजन स्किप कर देती हैं, तो बढ़ सकता है प्रीमेच्योर लेबर का खतरा। जानिये एक्सपर्ट के विचार।
Published On: 27 Jan 2023, 11:00 am IST
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garbhawastha ke dauran khanpan ka vishesh khyal rakhna chahiye, taki jaccha aur baccha dono swasthya rahein
गर्भावस्था के दौरान खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए, ताकि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। चित्र : शटरस्टॉक।

प्रेगनेंसी (Pregnancy) के दौरान महिलाओं को अपना विशेष ख्याल रखना पड़ता है। उन्हें न सिर्फ अपने लिए, बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास का भी ख्याल रखना पड़ता है। इसके लिए सबसे अधिक उन्हें अपने खानपान (Healthy Eating) पर ध्यान देना पड़ता है। अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के दौरान वे ब्रेकफास्ट और दोपहर के खाने को मिस कर जाती हैं। इसका सबसे अधिक प्रभाव गर्भावस्था पर पड़ता है। इससे बढ़ सकता है प्रीमेच्योर लेबर (risk of Premature Labour) का खतरा। इसके लिए हमने बात की गुरुग्राम के क्लाउड नाइन होस्पिटल की सीनियर गायनेकोलोजिस्ट कनस्लटेंट डॉ. रितु सेठी से।

बढ़ जाती है कैलोरी की जरूरत (Calorie Intake) 

डॉ. रितु बताती हैं, ‘गर्भावस्था के दौरान सबसे जरूरी है समय पर भोजन लेना। यदि प्रेगनेंट लेडी ब्रेकफ़ास्ट, मील को स्किप करती हैं, तो प्रेगनेंसी के दौरान समस्याएं बढ़ सकती हैं। आपको न सिर्फ एक्स्ट्रा खाना होगा, बल्कि खाने के बीच हेल्दी स्नेप भी लेना होगा। यानी कैलोरी इंटेक पर भी ध्यान देना होगा।’ पहली तिमाही में एडिशनल कैलोरी की जरूरत नहीं पड़ सकती है। लेकिन सेकंड ट्रेमस्टर में कैलोरी की जरूरत 300-350 हो सकती है। वहीं तीसरे ट्रेमस्टर में गर्भवती महिला के लिए कैलोरी की मात्रा 400-450 होनी जरूरी है।

डिलीवरी (Delivery) पहले करने की जरूरत पड़ सकती है

यदि आप इन्हें मिस करती हैं, तो बच्चे के ग्रोथ में समस्या आ सकती है। बच्चे की ग्रोथ सही नहीं होने पर डिलीवरी पहले करने की जरूरत पड़ सकती है। इससे प्री मेच्योर डिलीवरी का रिस्क बढ़ जाता है। प्रोटीन रिच डाइट और अन्य पोषक तत्व भी जरूरी हैं।

भ्रूण के विकास (Foetus Growth) पर पड़ सकता है प्रभाव

क्लिनिकल न्यूट्रिशन एशिया पैसिफ़िक जर्नल में प्रकाशित शोध भी एक्सपर्ट के बताये परिणामों का ही समर्थन करता है। ओसाका यूनिवर्सिटी की एम शिराशी और मेगुमी हरुना के शोध के अनुसार, जून और अक्टूबर 2010 के बीच जापान के एक विश्वविद्यालय अस्पताल में जापान की गर्भवती महिलाओं पर क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया गया। इसके अनुसार, 20% से अधिक गर्भवती जापानी महिलाएं नियमित रूप से नाश्ता छोड़ देती हैं। इसके परिणामस्वरूप गर्भवती महिलाओं के भ्रूण के विकास पर प्रभाव देखा गया। इससे गर्भावस्था की जटिलताओं को बढ़ावा मिला। कई आवश्यक पोषक तत्वों की कमी देखी गई। जांच में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान नाश्ता छोड़ने से फैटी एसिड और विटामिन सहित कई पोषक तत्वों के परिसंचरण पर भी प्रभाव पड़ा। यूरीन लेवल का घटना-बढ़ना भी इससे जुड़ा हुआ पाया गया।

प्रोटीन (Protein) सहित अन्य पोषक तत्वों (Nutrients) की कमी

आहार मानकों के आधार पर बनाई गई प्रश्नावली का गर्भवती महिलाओं को दी गई। पोषक तत्वों और मूत्र उत्सर्जन स्तर का आकलन करने के लिए ब्लड और 24 घंटे के यूरीन के नमूने एकत्र किए गए। प्रति सप्ताह दो या दो से अधिक बार प्रतिभागियों ने नाश्ता में चावल या रोटी जैसे मुख्य भोजन को छोड़ा।

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प्रेगनेंसी के दौरान नाश्ता स्किप करने से पोषण की कमी हो सकती है। चित्र शटरस्टॉक।

मल्टीपल लीनियर रिग्रेशन एनालिसिस का इस्तेमाल कर ब्रेकफास्ट स्किपर्स और नॉन-स्किपर्स के बीच पोषक तत्वों के स्तर की तुलना की गई।

नाश्ता छोड़ने वाली महिलाओं में पोषक तत्वों की कमी

नाश्ता छोड़ने वाली महिलाओं में नाश्ता नहीं छोड़ने वाली महिलाओं की तुलना में प्लाज्मा में प्रोटीन सहित अन्य पोषक तत्वों की कमी देखी गई। यूरीन में नाइट्रोजन और पोटेशियम का स्तर भी कम देखा गया। इसलिए यह शोध अपने निष्कर्ष में गर्भवती महिलाओं को समय पर नाश्ता और भोजन लेने की सलाह देता है। साथ ही उनका भोजन पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए।

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ज्यादा भोजन भी गर्भ के लिए हानिकारक

प्रेगनेंसी जर्नल के शोध आलेख इस बात की चेतावनी देते हैं कि हमेशा बैलेंस डाइट लें। मील स्किप करने के साथ-साथ अधिक खाने पर भी ध्यान देना होगा। अधिक भोजन लेने से प्रसव के समय दिक्कत आएगी और प्रेगनेंसी के बाद अधिक बढ़ा हुआ वजन कम करना भी कठिन हो सकता है।

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अधिक भोजन लेने से प्रसव के समय दिक्कत आ सकती है । चित्र : शटरस्टॉक

गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का भी खतरा हो सकता है। यह प्रीक्लेम्पसिया का लक्षण है। यदि प्रीक्लेम्पसिया विकसित होता है, तो भ्रूण के विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। प्रसव प्रक्रिया जटिल हो सकती है।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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