scorecardresearch

अब समय आ गया है कि आप साइलेंट स्ट्रोक के बारे में जानें और समझें

साइलेंट स्ट्रोक का आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है, इसलिए इसके कई भयानक अंजाम भी हो सकते हैं। यहां वह सब कुछ है जो आपके लिए जानना आवश्यक है!
Updated On: 19 Nov 2021, 08:24 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
silent stroke kyu hota hai
आइए स्ट्रोक के बारे में अधिक जानते हैं। चित्र ; शटरस्टॉक

किसी भी प्रकार का लक्षण न होना साइलेंट स्ट्रोक की घटनाओं को रोकने में असमर्थ बना देता है। साइलेंट स्ट्रोक लक्षण वाले स्ट्रोक की तुलना में 14 गुना अधिक आम है। 70 वर्ष से ज्यादा आयु के एक तिहाई से अधिक लोग कम से कम एक साइलेंट स्ट्रोक से पीड़ित हैं।  रोगी को स्मृति और संज्ञानात्मक कार्य में अचानक कमी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, और तुरंत एक डॉक्टर से सलाह लेनी चहिए।

साइलेंट स्ट्रोक के लक्षणों, रोकथाम पर चर्चा करने से पहले, यह समझना ज़रूरी है कि ये वास्तव में यह है क्या ?

क्या होता है साइलेंट स्ट्रोक?

स्ट्रोक के मामले में, ब्रेन के टिश्यू के लिए खून और पोषक तत्वों की अचानक कमी पड़ जाती है, क्योंकि हमारे दिमाग को खून की आपूर्ति करने वाली आर्टरीज में ब्लॉकेज हो जाता है। कई मामलों में, स्ट्रोक वाले रोगी, या तो इस्कैमिक या हेमोरेजिक जैसे कई लक्षण पेश करते हैं। इनमें स्लेर्ड स्पीच, लॉस ऑफ मूवमेंट, अपने हाथों को उठाने में असमर्थता, या अचानक भ्रम होना शामिल है।

कुछ मामलों में, रोगियों को किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि साइलेंट स्ट्रोक मस्तिष्क के उस हिस्से को बदल देता है, जो “चुप” है, जिसका मतलब यह है कि यह किसी भी महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित नहीं करता है। इसे एक साइलेंट स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है।

Turant doctor ko sampark kare
ऐसे समय में तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें। चित्र: शटरस्‍टॉक

डॉक्टर इस प्रकार के स्ट्रोक की पहचान तब करते हैं जब मरीज किसी अन्य स्थिति का इलाज़  करने के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई से गुजरते हैं। एमआरआई और सिटी स्कैन में बनी तस्वीर डैमेज हुए ब्रेन टिश्यू दिखाती है जो साइलेंट स्ट्रोक के कारण होता है।

साइलेंट स्ट्रोक के कुछ लक्षण क्या हैं?

साइलेंट स्ट्रोक का निदान करने वाले सीटी स्कैन या एमआरआई के अलावा, रोगी को अन्य लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है, जैसे

  1.  संतुलन में समस्या
  2.  याददाश्त कमजोर होना
  3.  बार-बार गिरना
  4.  मेमोरी लॉस होना
  5.  सोचने की क्षमता में कमी
  6.  मूड में बदलाव
  7.  यूरीन लीकेज

यहां हैं साइलेंट स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार कुछ कारण

पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियां :

Pollपोल
प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, एट्रियल फिब्रिलेशन और सेरेब्रोवास्कुलर जैसी कई चिकित्सीय स्थितियां साइलेंट स्ट्रोक की संभावना को बढ़ाती हैं।

गतिहीन जीवन शैली:

फिजिकल इनैक्टिविटी और धूम्रपान जैसी गतिहीन जीवन शैली की आदतें जोखिम को बढ़ाती हैं।

नशीली दवाओं का उपयोग:

कोकीन, एम्फ़ैटेमिन और हेरोइन जैसी दवाओं ( ड्रग्स )के दुरुपयोग से जोखिम बढ़ जाता है।

साइलेंट स्ट्रोक को कैसे कर सकतें हैं मैनेज

इसका उपचार ब्रेन में हो चुके डैमेज पर क निर्भर करता है। डिमेंशिया की स्थिति को मैनेज करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं लिख सकते हैं। उपचार का प्राथमिक उद्देश्य खोए हुए फंक्शंस को दोबारा वर्किंग में लाना है। डॉक्टर स्पीच थेरेपी, फिजिकल थेरेपी और साइकोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं।

ब्रेन की डैमेज हुई टिश्यू की रिकवरी काफी मुश्किल होती है, और ज्यादातर मामलों ये यह अधूरी रह जाती है। अधिकांश मामलों में, ब्रेन के सही टिश्यू डैमेज हुए हिस्से द्वारा होने वाले कार्यों को संभाल लेता है।  हालांकि, लंबे समय तक और प्रगतिशील साइलेंट स्ट्रोक के मामलों में, डैमेज टिश्यू  का कार्य करने के लिए मस्तिष्क की क्षमता पहले से कम हो जाती है।

साइलेंट स्ट्रोक ब्रेन के केवल सीमित क्षेत्रों को प्रभावित करता है। हालांकि, यह इस स्थिति की मुश्किलों को कम नहीं करता है। कई मामलों में, इसका परिणाम न्यूरोलॉजिकल डिसफंक्शन हो सकता है जो याददाश्त और एकाग्रता को प्रभावित कर सकता है। कोजेंटिव फंक्शनिंग में अचानक बदलाव का अनुभव करने वाले मरीजों को बिना किसी देरी के डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

साइलेंट स्ट्रोक से बचाव

साइलेंट स्ट्रोक की स्थिति को रोकने के कई तरीके हैं। उनमें से कुछ हैं:

exercise karke ke fayde
रोज़ व्यायाम करना होता है ज़रूरी । चित्र : शटरस्टॉक

व्यायाम

एक अध्ययन से संकेत मिलता है कि रोजाना 30 मिनट तक व्यायाम करने से साइलेंट स्ट्रोक का खतरा 40% तक कम हो जाता है।  स्वस्थ लोगों में इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

वेट मैनेजमेंट

मोटापा और ज़रूरत से जायदा वजन होने से साइलेंट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। मोटे रोगियों में धमनियों में प्लाक होने की संभावना अधिक होती है जिसके परिणामस्वरूप रुकावट होती है। 18.5 से 24.9 का बॉडी मास इंडेक्स स्वस्थ शरीर के वजन को दर्शाता है।

मीठे की अधिकता अवॉइड करें

यदि आप अधिक मात्रा में स्वीट ड्रिंक्स का सेवन करते हैं, तो स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। यह ड्रिंक्स कई कार्डियोमेटाबोलिक रोगों से जुड़े होते हैं।  लोगों को इनका सेवन करने से बचना चाहिए।

दूसरी बीमारियों से बचें

मरीजों को हाई कोलेस्ट्रॉल , शुगर और हाइपरटेंशन जैसी अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों का प्रबंधन करना चाहिए।  इन स्थितियों की लगातार उपस्थिति से साइलेंट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

स्वस्थ आहार लें

हेल्दी डाइट इस स्थिति के जोखिम को कम करता है।  लोगों को कम नमक का सेवन करना चाहिए और हरी सब्जियों और ताजे फलों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

हेल्दी लाइफस्टाइल

एक हेल्दी और सक्रिय जीवनशैली भी साइलेंट स्ट्रोक के जोखिम को कम करती है।  लोगों को शराब और धूम्रपान से बचना चाहिए।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
टीम हेल्‍थ शॉट्स
टीम हेल्‍थ शॉट्स

ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं।

अगला लेख