इंसुलिन प्रतिरोध के ये 5 संकेत बताते हैं कि आपको अपने आहार और लाइफस्टाइल में है तुरंत बदलाव की जरूरत

इंसुलिन रेजिस्टेंस या इंसुलिन प्रतिरोध एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है जो आपकी सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। इसलिए इसके संकेतों को पहचानना जरूरी है।
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इससे आपके रक्तप्रवाह में ग्लूकोज जमा हो जाएगा जिससे रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि हो सकती है। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Published: 18 Jan 2024, 11:00 am IST
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डायबिटीज की समस्या तब होती है, जब शरीर में शुगर की मात्रा अधिक बढ़ जाती है। शुगर की मात्रा बढ़ने से हार्ट की समस्या और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम भी बढ़ जाता है। हालांकि यह आपके समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। इंसुलिन एक हार्मोन होता है जो शरीर से शुगर को बाहर निकालने के लिए निर्देश देता है। जब आपका शरीर शुगर का सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, तो उसे इंसुलिन प्रतिरोध कहते हैं। इंसुलिन प्रतिरोध कई कारणों से हो सकता है जिसमें लाइफस्टाइल, डाइट और शारीरिक गतिविधियों की कमी शामिल है। आइए जानते हैं इंसुलित प्रतिरोध के संकेत (Insulin resistance symptoms)।

क्या होता है इंसुलिन प्रतिरोध

जब हम खाना खाते हैं तो हमारे शरीर में ग्लूकोज रिलीज होता है और शरीर इसका इस्तेमाल ऊर्जा के लिए करते हैं। पेंक्रियाज द्वारा उत्पादित इंसुलिन, वह हार्मोन है जो इस पूरी प्रक्रिया में मदद करता है। ग्लूकोज मांसपेशियों, वसा कोशिकाओं और लीवर में जमा हो जाता है। यह आपके शरीर को भविष्य में भी ऊर्जा का उपयोग करने के लिए इसे स्टोर करता है।

इंसुलिन प्रतिरोध तब होता है जब आपकी कोशिकाएं इस हार्मोन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देती हैं और आपका शरीर रक्त से ग्लूकोज को ऊर्जा में सही तरीके से परिवर्तित करने में असमर्थ होता है।

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बार-बार पेशाब आना आपके शरीर द्वारा अतिरिक्त ग्लूकोज को बाहर निकालने का एक तरीका है। चित्र- अडोबी स्टॉक

इससे आपके रक्तप्रवाह में ग्लूकोज जमा हो जाएगा जिससे रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि हो सकती है। इससे कई समस्याएं पैदा होती हैं जो हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती हैं।

इसके बाद शरीर आपको कुछ संकेत देने लगता है जिससे आप शरीर के अंदर होने वाली गतिविधि से अपडेट रहें।

इंसुलिन प्रतिरोध के संकेत (Insulin resistance symptoms)

1 वजन बढ़ना (weight gain)

पेट वह जगह है जहां सारी चर्बी जमा होती है और इसे एक गुबारे जैसा बना रही है, तो आपका शरीर आपको यह बताने की कोशिश कर रहा है कि आपको अपने इंसुलिन के स्तर को देखने की जरूरत है।

ऐसा शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण होता है। आपको पता होना चाहिए कि पेट की चर्बी आपके शरीर के अन्य हिस्सों पर जमा होने वाली चर्बी की तुलना में अधिक हानिकारक है।

2 बहुत अधिक थकान होना (Fatigue)

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के अनुसार, असामान्य चयापचय प्रक्रिया के कारण आप थका हुआ महसूस करते हैं। यदि आपका मेटाबॉलिज्म ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो ऊर्जा बनने में समय लग सकता है, जिससे आपको ठीक से खाने के बावजूद थकान महसूस होगी। जब आपके शरीर में ग्लूकोज का ठीक से उपयोग नहीं होता है, तो आपको थकान महसूस होने लगती है।

3 जल्दी जल्दी पेशाब आना (Frequent urination)

बार-बार पेशाब आना आपके शरीर द्वारा अतिरिक्त ग्लूकोज को बाहर निकालने का एक तरीका है। आपके लिए सामान्य से अधिक बार टॉयलेट का उपयोग करना इंसुलिन प्रतिरोध और प्रीडायबिटीज का एक सामान्य संकेत है।

जब आपका ग्लूकोज स्तर बढ़ा होता है, तो किडनी रक्त से अतिरिक्त ग्लूकोज को हटाने के लिए ज्यादा मेहनत करती हैं। ग्लूकोज रक्तप्रवाह से फ़िल्टर होकर किडनी में चला जाता है और फिर किडनी शुगर को वापस रक्तप्रवाह में अवशोषित कर देती है।

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4 अधिक प्यास लगना (Frequent thirst)

आपके ब्लड में अतिरिक्त शुगर आपको बार-बार पेशाब करने के लिए मजबूर करती है, आपका शरीर पेशाब के माध्यम से अधिक तरल पदार्थ खो देता है। अधिक बार पेशाब करने से आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है और आपको डिहाइड्रेशन का खतरा हो सकता है। जिसके कारण, आपको पूरे दिन अधिक प्यास लगना आम बात है, क्योंकि आपका शरीर खोए हुए तरल पदार्थों को वापस लाने की कोशिश करता है।

5 स्किन में बदलाव होता है (Change in skin tone)

इंसुलिन प्रतिरोध या प्रीडायबिटीज का खतरा बढ़ता है, तो आपकी त्वचा के कुछ क्षेत्र जैसे आर्मपिट या पीठ और गर्दन के किनारे का रंग गहरा दिखना शुरू हो सकता है। स्किन के बदलाव की इस स्थिति को एकैन्थोसिस निगरिकन्स कहा जाता है। त्वचा का रंग गहरा होने के साथ साथ उन स्थानों पर अतिरिक्त त्वचा भी विकसित हो जाती है जिसे स्किन टैग कहा जाता है।

इंसुलिन प्रतिरोध के दुष्प्रभाव

टाइप 2 डायबिटीज का खतरा

जब शरीर की शुगर काबू से बाहर हो जाता है, तो रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है, जिससे डायबिटीज हो सकता है। इंसुलिन प्रतिरोध वाले व्यक्तियों में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है।

हार्ट संबंधी समस्या

इंसुलिन प्रतिरोध को हृदय संबंधी बीमारियों के लिए खतरा माना जाता है। इससे रक्त वाहिकाओं में वसा जमा हो सकता है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों ब्लॉक होना) और हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

इंसुलिन प्रतिरोध भी पीसीओएस का कारण बन सकता है, जो महिलाओं को प्रभावित करने वाला एक हार्मोनल समस्या है। इसमें अनियमित पीरियड, और अंडाशय पर सिस्ट जैसी चीजें हो सकती है।

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इंसुलिन प्रतिरोध या प्रीडायबिटीज का खतरा बढ़ता है। चित्र: अडोबी स्टॉक

कैसे कर सकते हैं इस स्थिति से बचाव

वजन कम करें

ऐसी गतिविधियां करें जो आपको आनंद देती है, जैसे चलना, साइकिल चलाना, तैराकी या खेलना। कम से कम 10 से 15 पाउंड वजन कम करने से इंसुलिन प्रतिरोध को रोकने में मदद मिल सकती है।

कम कार्ब वाली डाइट लें

कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करने से ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में सुधार हो सकता है और इंसुलिन प्रतिरोध कम हो सकता है। कार्बोहाइड्रेट अधिक तेजी से ग्लूकोज में बदल जाता है जिससे शूगर का स्पाइक हो सकता है।

तनाव को प्रबंधित करें

लंबे समय तक तनाव के कारण इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ने का खतरा हो सकता है। इसलिए, योग और ध्यान जैसी तनाव कम करने की तकनीकें फायदेमंद हो सकती हैं।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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