इन कुछ महीनों में पड़ने वाली झुलसा देनी वाली गर्मी त्वचा से लेकर डाइजेशन तक हर चीज़ को प्रभावित करती है। बार बार आने वाले पसीने और गर्मी से खुद को बचने के लिए लोग दिनभर एयर कंडीशन का प्रयोग करते हैं। चाहे घर हो या ऑफिस हर तरफ एसी की ठंडी हवा में पूरा दिन बिताने से यकीनन गर्मी और लू के थपेड़ों से बचा जा सकता है। मगर साथ ही कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा मंडराने लगता है। जानते हैं शरीर को ठंडक देने वाले एयर कंडीशनर किस प्रकार शरीर को पहुंचाता है नुकसान।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार वे लोग जो दिनभर एयर कंडीशनर की हवा में दिनभर गुज़ारते है, उन्हें नेचुरल वेंटिलेशन नहीं मिल पाता है। इसके चलते उनके शरीर को सिक बिल्डिंग सिंड्रोम (sick building syndrome) का सामना करना पड़ता है। इसके चलते व्यक्ति की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और उसकी उपलब्धता में भी कमी आने लगती है। एयर कंडीशनर के इस्तेमाल से एयर क्वालिटी पर उसका प्रभाव दिखने लगता है इसका अलावा रेस्पीरेटरी और एलर्जिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
इस बारे में बातचीत करते हुए डॉ अवि कुमार बताते हैं कि बाहर से घर से अंदर प्रवेश करने पर व्यक्ति ठंडी हवा के संपर्क में आता है। इससे इनडोर पाल्यूटेंटस शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कूलिंग के कारण कमरे में एलर्जन का प्रभाव बढ़ने लगता हैं। इससे सीने में जकड़न, खांसी और जुकाम का सामना करना पड़ता है। दरअसल, ठंडी हवा में एयरवेज़ का रूखापन बढ़ जाता है और बैक्टीरिया शरीर में प्रेवश कर जाते हैं। इसके अलावा दिनभर एसी की हवा में रहने से उसका असर स्किन और आंखों पर दिखने लगता है। साथ ही जोड़ों में भी स्टिफनेस बढ़ने लगती है।
देर तक एयर कंडीशनर में रहने से आंखों को ड्राई आई सिंड्रोम का सामना करना पड़ सकता है। तापमान में आने वाली गिरावट से मेइबोमियन ग्लैंड से ऑयल सिक्रशन कम होने लगता है। इससे आंखों की नमी खोने लगता है और रूखापन बढ़ जाता है। एसी में मौजूद फंगस, बैक्टीरिया और वायरस आंखों में सूजन का कारण बनने लगते हैं। साथ ही आंखों में खुजली और जलन भी बढ़ जाती है।
ठंडी हवा के संपर्क में आने से लंबे वक्त तक प्यास नहीं लगती है, जिससे नेज़ल पैसेज में ड्राईनेस बढ़ने लगती है। इससे ब्रेन की ब्लड वेसल्स में संकुचन आने लगता है, जो सिरदर्द का कारण साबित होता है। इसके अलावा मसल्स और जॉइंट पेन का भी सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए तापमान को बढ़ाकर रखें और शरीर को हाइड्रेट रखने का भी प्रयास करें।
एयरकंडीशनर का लगातार इस्तेमाल स्किन पर खुजली की समस्या को बढ़ाता है। दरअसल, ठंडी हवा में रहने से नमी की कमी महसूस होने लगती है। इससे स्किन का रूखापन बढ़ जाता है, जिससे त्वचा फ्लेकी और डल दिखने लगती है। साथ ही इलास्टीसिटी की कमी भी बढ़ जाती है। ऐसे में स्किन को हाइड्रेट रखने के लिए मॉइश्चराइज़ रखना बेहद ज़रूरी है।
लंग फाउनडेशन ऑस्ट्रेलिया के अनुसार एयर कंडीशनिंग से ठंडी हवा अपर एयरवेज़ यानि नाक व गले या निचले वायुमार्ग में जलन का कारण बनने लगता है। एयरवेज़ में पहले से ही पाई जाने वाली सूजन से चेस्ट में कंजेशन और खांसी का सामना करना पड़ता है। नाक से सांस लेने में हवा फिल्टर होकर शरीर में प्रवेश करती है, मगर वहीं मुंह से सांस लेने से डस्ट पार्टिकल्स छाती और फेफड़ों के संपर्क में आने लगते हैं।
पूरा दिन एयर कंडिशन में बैठने से मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है और पानी की प्यास नहीं लगती है। इससे शरीर में एनर्जी का लेवल कम होने लगता है। ताज़ी हवा के संपर्क में न रहने से व्यक्ति थकान, कमज़ोरी और उदासी महसूस करने लगता है। इसके अलावा शरीर को निर्जलीकरण का भी सामना करना पड़ता है।
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