बचपन से ही हम फिल्मों में, टीवी में यही देखते आये हैं कि परफेक्ट शरीर ऐसा होता है। महिला हो तो जीरो साइज फिगर और पुरुष हो तो सिक्स पैक एब्स से कम नहीं चलेगा। हम मानें या न माने, हम सब फिल्मी सितारों की तरह दिखना चाहते हैं।
और खूबसूरती के इस सो-कॉल्ड ढांचे में फिट होने के लिए हम क्या नहीं करते।
खुद को एक्सरसाइज के लिए ज़रूरत से ज्यादा पुश करते हैं, भूखे रहते हैं, महंगे वेट लॉस प्रोडक्ट्स ट्राय करते हैं और कई बार तो सर्जरी से फैट बर्न करने का निर्णय भी ले लेते हैं।
पतले होने की होड़ में हम फिटनेस पर ध्यान नहीं देते, उल्टा अपनी मेन्टल और साइकोलॉजिकल हेल्थ को नुकसान पहुंचा लेते हैं। जब यह पतले होने की इच्छा सनक का रूप लेने लगती है, तो हम बुलीमिया नर्वोसा नामक ईटिंग डिसऑर्डर से ग्रस्त हो जाते हैं।
बुलीमिया नर्वोसा जिसे बुलीमिया भी कहते हैं, एक साइकोलॉजिकल ईटिंग डिसऑर्डर है जिसमें वजन कम करने के लिए व्यक्ति जो भी खाता है, तुरंत उसको उल्टी करके बाहर निकाल देता है।
यह उल्टियां व्यक्ति जबरदस्ती करता है, ताकि जो भी खाया है उससे वजन न बढ़े।
‘ईटिंग डिसऑर्डर होप’ नामक एक संस्था के स्टडी में पाया गया कि यह डिसऑर्डर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है, कारण है महिलाओं के लिए खूबसूरती के अवास्तविक मापदण्ड।
1. बुलीमिया से जूझ रहा व्यक्ति ज़रूरत से ज्यादा खाता है, क्योंकि उल्टियां करने के कारण उसके शरीर की ऊर्जा की ज़रूरत पूरी नहीं होती।
2. खाना खाने के तुरंत बाद बाथरूम जाना। इस डिसऑर्डर से गुजर रहे व्यक्ति सबके सामने अपनी स्थिति जाहिर नहीं करते, इसलिए वे अकेले में ही उल्टी करते हैं।
3. दिन भर खुद के मोटे या ओवरवेट होने की शिकायत करना।
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कस्टमाइज़ करें4. खुद के शरीर के प्रति बहुत नकारात्मक विचार रखना।
5. वेट लॉस के लिए सप्लीमेंट्स लेना।
6. ज़रूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करना, और शिकायत करना कि एक्सरसाइज से कुछ फायदा नहीं हो रहा।
7. दांतों में कैविटी और सेंसिटिविटी होना। बार-बार उल्टी करने से पेट के एसिड्स दांतो की ऊपरी परत को गला देते हैं, जिसके कारण दांत सेंसिटिव हो जाते हैं।
8. सबके सामने खाना अवॉयड करना, और अकेले में खाना।
इन लक्षणों से अगर आपको इस समस्या की गम्भीरता का अंदाजा नहीं लगा है, तो इससे होने वाले परिणाम जानकर आप ज़रूर दंग हो जाएंगी।
· किडनी फेलियर
· हृदय रोग
· दांतों में सड़न
· मसूड़े सड़ना
· कब्ज़
· डिहाइड्रेशन
· शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
· पोषक तत्वों की भारी कमी
· अनियमित पीरियड्स
· डिप्रेशन
इतना ही नहीं, इस डिसऑर्डर में मरीज खुदकुशी भी कर सकता है।
इसका इलाज जटिल है, और रीलैप्स की बहुत सम्भावना होती है। इसके लिए एन्टी डिप्रेसेंट ‘फ्लूऑक्सेटीन’ का प्रयोग FDA द्वारा प्रमाणित है।
दवा, थेरेपी और मेडिटेशन की मदद से इस समस्या को ट्रीट किया जाता है, मगर ठीक होने के लिए सबसे ज़रूरी है खुद से प्रेम करना, अपने शरीर को अपनाना और स्वस्थ रहने पर ध्यान देना।
अगर आपको लगता है कि यह लक्षण आपके अंदर या आपके आसपास किसी में हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर की मदद लें। जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, ठीक होने के चान्सेस उतने अधिक होंगे।