कोरोना का प्रकोप जैसे ही कम हुआ लॉकडाउन खुला। लॉकडाउन खुलते ही हम बेपरवाह हुए और कोरोना ने फिर धर दबोचा। सारे विश्व में कोरोना तबाही मचा रहा है। आइये पहले व दूसरी लहर के कुछ आंकड़ों पर नजर डालें।
2019 से संक्रमण आरम्भ हुआ। भारत में पहला केस (देश में कोरोना वायरस का पहला मरीज) 30 जनवरी को मिला था। कोरोना महामारी फैलने के बाद चीन के वुहान से लौटी केरल की एक महिला में यह देखा गया। पीक यानी सबसे अधिक आंकड़े सितम्बर 20 में देखे गए। उसके बाद वायरस के मामलों में कमी आनी शुरू हुई। इस तरह आठ महीने लगे थे पीक पर पहुंचने में। जबकि दूसरी लहर आरम्भ हुई फरवरी 21 के अंत के दिनों में और मात्र 50 दिन में डेढ़ लाख का आंकड़ा छू गया।
1- यह वायरस तेजी से पकड़ रहा है।
2- अब परिवार के परिवार संक्रमणित हो रहे हैं जबकि पहले ऐसा नहीं था।
3- पहली लहर में 55 साल से अधिक उम्र के लोग संक्रमित हो रहे थे, जबकि अब युवाओं की संख्या अधिक है। संभवत: आर्थिक मंदी के चलते युवा अधिक बाहर निकल रहे हैं तथा एतिहात भी कम बरत रहे हैं। जबकि बुजुर्ग पहले से अधिक सजग हैं।
4- यह अच्छी बात है कि मृत्यु दर पहली लहर से अभी कम है, लेकिन यह बढ़ सकती है। अत: कोताही न बरतें।
5- अबकी बार लक्षणों में भी बदलाव देखा जा रहा है। पहले सूखी खांसी, बुखार होता था। अब नाक बहना, शरीर पर चकत्ते और दस्त भी शामिल हैं।
अगर संक्रमण का शक होता है, तो तुरन्त कोरोना का टेस्ट करवाएं। कोरोना टेस्ट पॉजिटिव हैं, लेकिन लक्षण मामूली हैं यथा थकान, हल्का बुखार है तो अस्पताल भागने की बजाए घर पर ही निम्नलिखित उपाय करें-
1- नियमित तापमान नोट करें।
2- पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल जांच करें। 95/97 नोर्मल है, लेकिन 90 से नीचे आने पर तुरन्त चिकित्सा केंद्र जाएं।
3- घर में ही ऑक्सीजन का इंतजाम करें। आजकल ऐसे उपकरण उपलब्ध हैं (ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन) जो हवा से ऑक्सीजन निकाल सकते हैं।
4- हलके बुखार व थकान हेतु पैरासिटामोल 500 मिली ग्राम दिन में दो से तीन बार लें।
5- विटामिन सी की गोली व संतरे या आंवले का सेवन करें।
6- दिन में (24 घंटे) में कम से कम 4 लीटर तरल का सेवन करें।
7- आराम करें, लेकिन सारे दिन लेटे न रहें। कुछ देर बाद कमरे में टहलें
8- दोस्तों-प्रियजनों से फोन पर सम्पर्क करें, जिससे डिप्रेशन के शिकार न हों।
9- टी वी पर अच्छे, सकारात्मक विचारों वाले प्रोग्राम देखें।
10- अलग कमरे में रहें, जिसमें अटैच्ड बाथरूम हो रहें।
11- लगभग दस दिन बाद खतरा कम होना शुरू हो जाता है। वैसे भी 85 % लोगों को या तो लक्षण होते ही नहीं या मामूली होते हैं। भारत में अभी मृत्यु दर भी 2 % से कम ही है।
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