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Scoliosis : रीढ़ की हड्डी को टेढ़ा कर देता है स्कोलियोसिस, जानिए इसके संकेत और उपचार के विकल्प

बुजुर्गों में पीठ दर्द के कारण हो सकते हैं। मगर बच्चों में लगातार होने वाला पीठ दर्द और किसी एक कंधे का एक तरफ झुका होना सामान्य नहीं है। यह स्कोलियोसिस का संकेत हो सकता है। हालांकि बच्चों और बड़ों में इसके उपचार का तरीका अलग-अलग है।
Published On: 30 May 2024, 03:23 pm IST
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सभी चित्र देखे scoliosis ki samay se pahchan kar li jaye toh iska upchar kiya ja sakta hai
स्कोलियोसिस में रीढ़ की हड्डी असामान्य रूप से टेढ़ी हो जाती है। चित्र : अडोबीस्टॉक

स्कोलियोसिस (scoliosis) में व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी असामान्य रूप से मुड़ जाती है। यदि स्कोलियोसिस के संकेतों (Signs of scoliosis) को शुरुआत में ही पकड़ लिया जाए, तो इसका प्रभावशाली इलाज (scoliosis treatment) करना आसान हो जाता है। इससे केवल वयस्क ही नहीं, बल्कि बच्चे भी प्रभावित होते हैं। हेल्थ शॉट्स के इस लेख में आइए जानते हैं स्कोलियोसिस के बारे में सब कुछ।

वास्तव में स्कोलियोसिस को इसके कारण के आधार पर कई प्रकारों में बांटा गया है। इनमें इडियोपैथिक, कॉन्जेनिटल, और न्यूरोमस्कुलर स्कोलियोसिस शामिल हैं। स्कोलियोसिस रिसर्च सोसायटी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया में लगभग 2 से 3 प्रतिशत लोग स्कोलियोसिस से प्रभावित हैं। इनमें से ज्यादातर 10 से 15 साल के बच्चे हैं।

वयस्कों में स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी में परिवर्तन, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण होता है। बच्चों में इसकी समय पर पहचान होने से समय पर इलाज मिल पाता है, और रीढ़ की हड्डी को मुड़ने से बचाया जा सकता है। जबकि वयस्कों में स्कोलियोसिस की पहचान समय पर होने से दर्द को नियंत्रित करने और मोबिलिटी की समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।

क्या हैं स्कोलियोसिस के शुरुआती संकेत (Early signs of Scoliosis in children)

समय पर इलाज के लिए स्कोलियोसिस के संकेतों को समय पर पहचानना आवश्यक है। बच्चों में ये संकेत हैंः

  1. शोल्डर ब्लेड असामान्य होना
  2. कमर या कूल्हे तालमेल में नहीं होना
  3. एक तरफ की पसलियां उभरी हुई होना
  4. चलते या बैठते समय एक तरफ झुके रहना
  5. कपड़ों की असमान फिटिंग होना
ye dhya rakhna chahiye ki kahi bachche ka kandha ek taraf se jhuk toh nahi raha!
यह ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चे का कंधा एक तरफसे झुक तो नहीं रहा! चित्र : अडोबीस्टॉक

उपरोक्त संकेतों के अलावा, बच्चों को अपनी शारीरिक मुद्रा में परिवर्तन भी महसूस हो सकता है। स्कूल में समय पर और नियमित तौर से जांच होती रहने से इसकी जल्दी पहचान करने में मदद मिल सकती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑर्थोपीडिक सर्जंस 10 से 12 साल की लड़कियों और 13 से 14 साल के लड़कों के लिए जांच का सुझाव देती है।

बुजुर्गों में स्कोलियोसिस के संकेत ज्यादा जटिल होते हैं (signs of Scoliosis in aged people)

  1. पीठ में क्रोनिक दर्द
  2. पीठ झुकी हुई दिखाई देना
  3. सीधे खड़े होने में मुश्किल होना
  4. गतिशीलता सीमित हो जाना
  5. संतुलन की समस्या

उम्र बढ़ने के साथ ये लक्षण आम तौर से उत्पन्न होते हैं, इसलिए इस बारे में जागरुकता और नियमित जांच बहुत महत्वपूर्ण है।

स्कोलियोसिस में क्या हैं बच्चों के लिए इलाज के विकल्प (Scoliosis treatment for children)

बच्चों में स्कोलियोसिस को नियंत्रित करने के लिए समय पर उपाय करना आवश्यक है। इसके लिए कुछ प्रभावशाली नॉन-सर्जिकल विकल्प हैंः

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ब्रेसिंगः

यह विधि थोड़ी मुड़ी हुई रीढ़ की हड्डी को और ज्यादा मुड़ने से रोकने के लिए उपयोग में लाई जाती है।

शारीरिक थेरेपीः

पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और शारीरिक मुद्रा में सुधार लाने के लिए दैनिक व्यायाम।

अवलोकनः

थोड़ी सी मुड़ी हुई रीढ़ की हड्डी, जिसके लिए इलाज जरूरी न हो, की नियमित जांच।
जब नॉन-सर्जिकल विधियों से आराम न मिले, और रीढ़ की हड्डी गंभीर रूप से मुड़ी हुई हो, तब डॉक्टर सर्जरी का परामर्श दे सकते हैं। इसकी सबसे सामान्य प्रक्रिया स्पाईनल फ्यूज़न है, जिसमें प्रभावित वर्टीब्रे को फ्यूज़ करके रीढ़ की हड्डी को सीधा व स्थिर किया जाता है।

बुजुर्गों में इलाज के विकल्प (Scoliosis treatment for older people)

उम्र के कारण बुजुर्गों में स्कोलियोसिस के इलाज में कुछ चुनौतियां आती हैं, जैसे उनकी हड्डियों की डेंसिटी (घनत्व) कम होती है, और अन्य रोग मौजूद हो सकते हैं। बुजुर्गों के इलाज के नॉन-सर्जिकल विकल्प हैंः

दर्द का प्रबंधनः

डॉक्टर क्रोनिक दर्द को नियंत्रित करने के लिए दवाईयाँ और एपिड्यूरल इंजेक्शन दे सकते हैं।

शारीरिक थेरेपीः

गतिशीलता, मुख्य मांसपेशियों को मजबूत तथा संतुलन बनाए रखने के लिए दैनिक व्यायाम।

सहायक डिवाईसेज़ः

गतिशीलता में मदद करने और गिरने का जोखिम कम करने के लिए वॉकर्स और लाठी का उपयोग किया जाता है।

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क्रोनिक बैकपेन स्कोलियोसिस का संकेत हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

बुजुर्गों की सर्जिकल प्रक्रियाएं तब की जाती हैं, जब नॉन-सर्जिकल विधियों से कोई आराम न मिले। हालांकि बुजुर्गों को सर्जिकल प्रक्रियाओं के कुछ जोखिम होते हैं, जिनमें एनेस्थेसिया संबंधी जटिलताएं, धीमा स्वास्थ्य लाभ, और संक्रमण का जोखिम शामिल है। इसलिए सर्जरी से पहले सभी जोखिमों और लाभों का पूरा आकलन कर लेना चाहिए।

जल्दी पहचान बनाती है उपचार को आसान 

स्कोलियोसिस से पीड़ित लोगों में इसके प्रभावी नियंत्रण और जीवन में सुधार लाने के लिए जल्दी पहचान और जरूरत के अनुसार अनुकूलित इलाज बहुत महत्वपूर्ण होता है। बच्चों में इसके लक्षणों को पहचानना बहुत आवश्यक है, जिसमें असमान कंधे शामिल हैं। इससे इस समस्या को बिगड़ने से रोकने और सर्जरी से बचने में मदद मिलती है।

बुजुर्गों में इसकी जल्दी पहचान का उद्देश्य नॉन सर्जिकल विधियों द्वारा क्रोनिक दर्द को नियंत्रित करना है। इस उम्र में सर्जिकल प्रक्रियाएं ज्यादा जटिल हो जाती हैं क्योंकि उनके स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार इसमें ज्यादा जोखिम होते हैं।

चलते-चलते

यद्यपि इलाज की विधियां अलग हैं, पर बच्चों और बुजुर्गों, दोनों को समय पर उपाय करके लाभ मिल सकता है। सभी चुनौतियों और इलाजों को समझ लेने के बाद लोगों को स्कोलियोसिस से पीड़ित लोगों की मदद करना आसान हो जाता है। नियमित स्क्रीनिंग और जागरुकता इस समस्या को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। समय पर इलाज स्कोलियोसिस से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य में सुधार ला सकता है, और उन्हें एक चुस्त एवं संतुष्ट जीवन प्रदान कर सकता है।

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लेखक के बारे में
डॉ आशीष डागर
डॉ आशीष डागर

डॉ आशीष डागर ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ और जाने-माने स्पाइन सर्जन हैं। अपने लंबे अनुभव के साथ डॉ आशीष फिलहाल मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में कंसल्टेंट स्पाइन सर्जरी हैं।

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