SAANS : हर सांस है कीमती, जानिए कैसे बचाना है अपने नन्‍हें शिशु को निमोनिया के प्रकोप से

बढ़ते प्रदूषण के बीच छोटे बच्‍चों का सबसे ज्‍यादा ख्‍याल रखने की जरूरत है, आंकड़े बताते हैं कि पांच वर्ष से कम आयु के बच्‍चों को निमोनिया का सबसे ज्‍यादा जोखिम होता है।
दो साल से छोटे बच्‍चों पर निमोनिया का सबसे ज्‍यादा जोखिम होता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
दो साल से छोटे बच्‍चों पर निमोनिया का सबसे ज्‍यादा जोखिम होता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
योगिता यादव Updated: 10 Dec 2020, 12:10 pm IST
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एक तरफ कोविड-19 का डर उस पर दिवाली के आसपास वातावरण में बढ़ता जा रहा प्रदूषण। ये सभी आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कारक हैं। पर क्‍या आप जानती हैं कि आपके छोटे बेबी के छोटे-छोटे फेफड़े भी इस समय जोखिम ग्रस्‍त हो सकते हैं। वह जोखिम है निमोनिया का। वर्ल्‍ड निमोनिया डे पर आपको जानना चाहिए कि क्‍यों छोटे बच्‍चे होते हैं निमोनिया के सबसे ज्‍यादा जोखिम में।

निमोनिया क्या है?

असल में निमोनिया  किसी एक या दोनों फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। इस स्थिति में फेफड़ों के वायु मार्ग में कफ या बलगम इकट्ठा हो जाता है। कभी-कभी यह मामूली होता है, पर कभी-कभी यह रुकावट खतरनाक स्‍तर पर भी पहुंच जाती है। जिसका असर आपकी उम्र, स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति और संक्रमण के प्रकार पर भी निर्भर करता है।

क्‍या हो सकते हैं निमोनिया के कारण

यह फेफड़ों में बाधा पैदा करने वाला संक्रमण है। इसकी वजह बैक्टीरियल, वायरल और फंगल संक्रमण कुछ भी हो सकता है। इनमें सबसे आम कारण है बैक्टीरिया। बच्‍चों में अमूमन यह सर्दी या फ्लू के कारण अपने आप विकसित हो जाता है।

सर्दियों के दौरान हवा में नमी की कमी भी आपको बीमार करती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
सर्दियों के दौरान हवा में नमी की कमी भी आपको बीमार करती है। चित्र: शटरस्‍टॉक

निमोनिया का कारण बनने वाले बैक्‍टीरिया मेडिकल साइंस में मुख्‍यत: स्ट्रैपटोकोकस निमोनिया, लेगियोनेला न्यूमोफिला या लीजियोनिरेस, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, क्लैमाइडिया निमोनिया और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा माना जाता है।

बदलते मौसम में होने वाला वायरल निमोनिया अक्सर हल्का होता है। ज्‍यादातर बच्‍चे इसके शिकार होते हैं और कुछ ही हफ्तों में ठीक भी हो जाते हैं। पर कभी-कभी यह इतना गंभीर हो जाता है कि इसके लिए अस्‍पताल में भर्ती करवाने की भी नौबत आ जाती है।

कोविड-19 के समय में आपको अपने और अपने परिवार के स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति ज्‍यादा सतर्क होने की जरूरत है। रेस्पिरेटरी सिंक्राइटियल वायरस (RSV), सामान्य सर्दी और फ्लू वायरस, SARS-CoV-2 वायरस और फंगल निमोनिया अकसर उन लोगों के लिए गंभीर हो जाते हैं, जिनकी इम्‍य‍ुनिटी कमजोर है।

किन्‍हें सबसे ज्‍यादा हो सकता है निमोनिया का जोखिम

हालांकि बदलते मौसम और प्रदूषण के कारण किसी को भी निमोनिया हो सकता है। पर नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ (NIH) के अनुसार कुछ लोग इसके सबसे ज्‍यादा जोखिम में होते हैं :-

दो साल से छोटे बच्‍चों को निमोनिया का सबसे ज्‍यादा जोखिम होता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
दो साल से छोटे बच्‍चों को निमोनिया का सबसे ज्‍यादा जोखिम होता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
  1. वे बच्‍चे जिनकी उम्र दो साल से कम है
  2. 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग व्‍यकित
  3. वे लोग जिनके वातावरण में प्रदूषण अधिक है
  4. जहरीले धुएं के संपर्क में आने वाले लोग
  5. स्‍मोकिंग या शराब ज्‍यादा पीने वाले लोग
  6. वे लोग जिनमें पोषण की कमी है
  7. अगर आपको पहले से ही फेफड़े संबंधी कोई परेशानी है, तब भी आप निमोनिया के सबसे ज्‍यादा जोखिम में हो सकते हैं।

समझिए निमोनिया के लक्षण?

बुखार, ठंड लगना, कफ के साथ खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सांस लेते समय सीने में दर्द होना, मतली और / या उल्टी और दस्‍त।

हालांकि उम्र के हिसाब से सभी में इसके लक्षण अलग-अलग अथवा कम या ज्‍यादा हो सकते हैं। सबसे ज्‍यादा खतरा छोटे बच्‍चों को होता है। क्‍योंकि उनमें लक्षण बहुत कम नजर आते हैं और सांस लेने में तकलीफ होने पर वे अपनी समस्‍या बताने की स्थिति में भी नहीं होते।

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अगर आपकी इम्‍युनिटी अच्‍छी है, तो आप सांस लेने में दिक्‍कत और बेचैनी महसूस कर सकते हैं।
जबकि एजिंग पेरेंट्स में अकसर सांस संबंधी दिक्‍कतों के साथ मानसिक जागरुकता में भी कमी देखी जा सकती है।

क्‍योंकि हर सांस है कीमती

भारत में पांच साल से कम आयु के बच्‍चों में 15 प्रतिशत की मृत्‍यु का कारण निमोनिया है। इसलिए इस पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने SAANS अभियान की शुरुआत की है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार इस अभियान का अर्थ है ‘सामाजिक जागरूकता और न्यूमोनिया को सफलतापूर्वक समाप्त करने की कार्रवाई’ ( ‘Social Awareness and Action to Neutralise Pneumonia Successfully’)

छोटे बच्‍चों का रखना है ज्‍यादा ख्‍याल

स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS) से प्राप्‍त आंकड़ों के अनुसार भारत में जन्‍मे 1000 बच्‍चों में से, 37 की मृत्यु पांच वर्ष से कम आयु में हो जाती है। इनमें से 5.3 मौतें निमोनिया के कारण होती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि छोटे बच्‍चों को इससे बचाने पर हमें ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत है।

कैसे आप अपने बच्‍चे को निमोनिया से बचा सकती हैं

यह सबसे ज्‍यादा जरूरी है कि आप इस प्रदूषण भरे माहौल में अपने बच्‍चे का ज्‍यादा से ज्‍यादा ख्‍याल रखें।

स्‍तनपान बच्‍चे को निमोनिया के संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
स्‍तनपान बच्‍चे को निमोनिया के संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
  1. इस मौसम में प्रदूषण अकसर बढ़ जाता है, ऐसे में यह सुनिश्चित करें कि छोटे बच्‍चों को घर से बाहर ले जाना बिल्‍कुल अवॉइड करें।
  2. घर के वातावरण को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए यह सुनिश्चित करें कि घर में वेंटिलेशन की उचित व्‍यवस्‍था हो। आप घरेलू एयर प्‍यूरीफायर का भी इस्‍तेमाल कर सकती हैं।
  3. बच्‍चे की इम्‍युनिटी आपके स्‍तनपान करवाने पर निर्भर करती है। इसलिए ढाई वर्ष तक की आयु के बच्‍चे को स्‍तनपान जरूर करवाएं।
  4. यह भी सुनिश्चित करें कि आप या आपके परिवार का कोई और सदस्‍य घर में स्‍मोक न करे।
    खासतौर से दिवाली के समय बच्‍चे को प्रदूषित माहौल से बचाकर रखें।
  5. बच्‍चा अगर दूध नहीं पी रहा है या दूध उलट रहा है, तो डॉक्‍टर को जरूर दिखाएं।

क्या निमोनिया को रोका जा सकता है?

जी हां, वैक्‍सीन न्यूमोकॉकल बैक्टीरिया या फ्लू वायरस के कारण होने वाले निमोनिया को रोकने में मदद कर सकती हैं। पर इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि आप अच्छी स्वच्छता, धूम्रपान न करना और स्वस्थ जीवनशैली का भी पालन करें।

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कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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