आयुर्वेद भारत की अनमोल धरोहर है। आज भी लोग कई समस्याओं के समाधान के लिए आयुर्वेद पर भरोसा करते हैं। कई ऐसी दुर्लभ बीमारियों और उनके उपचार के बारे में आयुर्वेद में बरसों पहले ही लिखा जा चुका है, जिन पर वैज्ञानिक अब भी रिसर्च कर रहे हैं। आयुर्वेद ने हमें स्वस्थ जीवन शैली के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। जिनमें अच्छी आदतों के साथ ही उन प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का जिक्र किया गया है, जो स्वास्थ्य को और बेहतर बनाती हैं। ऐसी ही एक हर्ब है ऋष्यागंधा। जी हां, यह आयुर्वेदिक हर्ब अश्वगंधा से भी ज्यादा पावरफुल है। आइए जानते हैं इंडियन रेनेट (Indian Rennet) या पनीर के फूल (Paneer Dodi) के नाम से प्रचलित ऋष्यागंधा (Rishyagandha benefits) के फायदों के बारे में।
आयुर्वेद में एक जड़ी-बूटी है ऋष्यगंधा इसे पनीर के फूल के नाम से भी जाना जाता है। पहले लोग पनीर बनाने के लिए नींबू की बजाए इसी जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करते थे। इसलिए इसे पनीर का फूल भी कहा जाता है। आयुर्वेद के ग्रंथ में भी इसका उल्लेख किया गया है और इसके फायदों के बारे में बताया गया है।
वैद्या सनातन मिश्रा, जो कि एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं उन्होने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट कर ऋष्यगंधा के बारे में बताया। वैद्य सनातन मिश्रा कहते हैं कि आयुर्वेद को जानने वाले लोग ऋष्यगंधा के बारे में जरूर जानते होंगे। चरक संहिता में भी ऋष्यगंधा का जिक्र किया गया है।
वे आगे बताते हैं कि इस औषधीय हर्ब को पनीर के फूल के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वर्षों पहले दूध से पनीर बनाने के लिए इसी ऋष्यगंधा का इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि अभी भी कई घरों में पनीर खाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि उसे दूध को फाड़ कर बनाया जाता है। जो कि सही नहीं माना जाता है।
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कस्टमाइज़ करेंइसे डायबिटीज के रोगियों के लिए भी काफी गुणकारी बताया गया है और शरीर को बहुत मजबूती देता है। इसके पेड़ से रीच की गंध आती है इसलिए इसे ऋष्यगंधा कहते हैं।
रिसर्च गेट मे छपे एक स्टडी की गई जिसमें टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को शामिल किया गया। 53 लोगों को 3 ग्रुप में रखा गया। ग्रुप ए (ऋष्यगंधा फ्रूट्स पाउडर), ग्रुप बी (ओरल हाइपोग्लाइकेमिक एजेंट यानी ओएचए), और ग्रुप सी (ऋष्यगंधा फ्रूट्स पाउडर और ओएचए दोनों)। उपचार का कोर्स पूरा होने के बाद सभी 3 समूहों में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। परिणामों के आधार पर, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि, ऋष्यगंधा फलों का पाउडर प्रमेह (टाइप 2 डायबिटीज) के जटिल मामलों के प्रबंधन में एक प्रभावी चिकित्सीय आहार है।
ऋष्यगंधा ग्लूकोज को आसानी से नियंत्रित कर सकती है। ऋष्यगंधा का नियमित सेवन टाइप 2 मधुमेह के लिए एक प्रभावी उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसके सेवन से शरीर इंसुलिन का उपयोग कर सकता है, जिससे रक्त शर्करा में शर्करा के घुलने की प्रक्रिया कम हो जाती है। इसके पौधे में एंटी हाइपरग्लाइसेमिक गुण होते हैं जो मधुमेह के प्रबंधन में मदद करते हैं।
ऋष्यगंधा में फ्री रेडिकल स्कैवेंजिंग और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा को जीवंत करने में मदद करते है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लामेशन गुण होते है जो त्वचा को शांत करता है और त्वचा की ड्राईनेस को दूर करके सूजन को कम करता है।
इस हर्ब में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं और उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करके आपकी त्वचा को जवां दिखाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप ऋष्यगंधा चूर्ण का फेस पैक भी बना सकती हैं।
ऋष्यगंधा एक प्राकृतिक रक्त शोधक है। यह शरीर में वात को भी संतुलित करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट खून को साफ करने में मदद करते हैं। इसमें फ्री रेडिकल स्कैवेंजिंग प्रॉपर्टी भी होती हैं, जो क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करती हैं और शरीर में मौजूद हानिकारक फ्री रेडिकल्स से लड़ती हैं।
वैद्या सनातन मिश्रा के अनुसार ऋष्यगंधा मूत्र के उत्पादन में वृद्धि को बढ़ावा देता है। पौधे के रस में मूत्रवर्धक गुण होते हैं जो डाइएरेसिस को बढ़ावा देते हैं और मूत्र उत्पादन में वृद्धि करते हैं। यह दर्दनाक पेशाब से राहत दिलाने में भी मदद करता है।
यह शरीर के दर्द को कम करने में मददगार है। पीठ के निचले हिस्से के दर्द और जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों के लिए अद्भुत तरीके से काम करती है। ऋष्यगंधा में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 मौजूद होता है, जो गठिया से लड़ने में मदद करता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड पूरे शरीर में रक्त के प्रवाह को बढ़ा सकता है और दर्द से निपटने में मदद कर सकता है।
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