अगर आपका बच्चा पेट के बल यानी उल्टा सोता है, तो आपको अभी से इसके लिए सतर्क हो जाना चाहिए। असल में वैज्ञानिक मानते हैं कि इस तरह सोने वाले बच्चों की हाइट और ब्रेन डेवलपमेंट अन्य बच्चों की तुलना में कम हो पाता है। आइए जानते हैं क्या है इसका कारण। साथ ही यह भी कि यह और किस तरह से बच्चों के विकास को प्रभावित करता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार उल्टा सोने की आदत वयस्कों से ज्यादा बच्चों के लिए नुकसानदेह है। सोने की यह मुद्रा गलत मानी गई है और यह बच्चों के समग्र विकास को बाधित कर सकती है।
इस शोध में बताया गया है कि उल्टा सोने से पसली की श्वसन गति को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर को गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध ऊपर उठाने की ज़रूरत होती है। इसलिए शिशु, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्गों को इस स्थिति में सोने से मना किया गया है।
छोटे बच्चों की पेट के बल सोने की आदत अक्सर उनकी लंबाई से जुड़ी समस्याओं की जड़ होती है। जो बच्चे पेट के बल लगातार सोते हैं, उनकी लंबाई उनके हम उम्र बच्चों की तुलना में काफी कम होती है। उल्टा होकर सोने से बच्चों के दिमागी विकास पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके साथ ही पेट पर भी बुरा असर पड़ता है। जिससे कई रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
उल्टा सोने से बच्चों के पेट में कीड़े होने की संभावना बनी रहती है। ये कीड़े वो परजीवी होते हैं, जो आंतों को संक्रमित करते हैं। पेट में होने वाले कीड़े सफेद रंग के होते हैं। ये कोलोन और रेक्टम को संक्रमित करते हैं। हालांकि इसका इलाज हर प्रकार की चिकित्सा में उपलब्ध है।
रात में भोजन करने के बाद बच्चे ज्यादा शारीरिक गतिविधियां नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण खाना जल्दी पचता नहीं है। ऐसे में जब रात में बच्चे उल्टा सोते हैं, तो उन्हें अपच, कब्ज, पेट में दर्द की शिकायत होती है। उल्टा सोने से पेट पर काफी दबाव पड़ता है और खाना पचने में समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
अमूमन बच्चों में कमर दर्द की शिकायत नहीं होती, लेकिन बच्चा जब लगातार पेट के बल सोने लगता है, यह आगे चलकर कमर दर्द का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पेट के बल सोने से हमारी रीढ़ की हड्डी अपनी नेचुरल शेप खो देती है। कमर का यह दर्द कमर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
रात में जब बच्चे या बड़े पेट के बल होते हैं, तो तकिये पर उनकी गर्दन शरीर की तुलना में ऊंची होकर मुड़ जाती है। गर्दन में इस बदलाव के कारण मस्तिष्क में होने वाला ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। जिसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। सिर में एक तरह का वैक्यूम और तनाव पैदा होता है। इस कारण सिरदर्द और भारीपन की समस्या भी हो सकती है।
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