नेचुरल फाइटोकेमिकल कंपाउंड का स्रोत है इमली, जानिए आपकी बोन हेल्थ के लिए खट्टे सुपरफूड के फायदे
डाइट पैटर्न में बदलाव के कारण कई क्रोनिक डिजीज हो रहे हैं। हड्डियों में असमय क्षरण शुरू हो रहा है। बोन हेल्थ प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पोषक तत्वों से भरपूर आहार ही बीमारियों से बचाव करते हैं। हड्डियों को मजबूती देते हैं। इमली उनमें से एक है। पोषक तत्वों से भरपूर इमली (Tamarindus Indica) के फल, गूदे, बीज और पत्ती के अर्क, जीवन शैली से संबंधित पुराने विकारों के खिलाफ कारगर माने जाते हैं। शोध बताते हैं कि अपने पोषक तत्वों के कारण इमली बोन हेल्थ के लिए भी फायदेमंद (Tamarind for Bone Health) है ।
नेचुरल फाइटोकेमिकल कंपाउंड (Natural Phytochemical Compound)
फ़ूड साइंस एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, इमली का गूदा, बीज, पत्ती न्यूट्रास्युटिकल महत्व वाला है। टैमारिंडस इंडिका दुनिया के प्रत्येक हिस्से में हर्बल औषधि के रूप में प्रयोग में लाई जाती है। इसमें प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक फाइटोकेमिकल घटक मौजूद होते हैं। इमली के गूदों में मौजूद पॉलीसेकेराइड से एक ख़ास का प्रकार का जेलोज बनता है। इसका प्रयोग जैम, जेली और पनीर बनाने में किया जाता है। इमली के बीजों से पेक्टिन का निर्माण होता है। कई देशों में इमली के पौधे की पत्तियों का उपयोग दैनिक आहार के हिस्से के रूप में भी किया जाता है। इसे ताज़े रूप में और विशेष रूप से सूखे के मौसम में आसानी से खाया जाता है।
पोषक तत्वों का भंडार ( Nutrition)
फ़ूड साइंस एंड न्यूट्रिशन जर्नल के अनुसार इमली में फेनोलिक, यूरोनिक एसिड, मैलिक एसिड, टार्टरिक एसिड, पेक्टिन पाए जाते हैं। म्यूसिलेज, ग्लाइकोसाइड्स, अरेबिनोज, ज़ाइलोज़, ग्लूकोज और गैलेक्टोज कंपाउंड भी होते हैं। इनके अलावा कैल्शियम, कॉपर, आयरन, कैडमियम, मैंगनीज, आर्सेनिक, सोडियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फास्फोरस, जिंक जैसे आवश्यक तत्व भी पाए जाते हैं। इमली के फल के गूदे में कुछ महत्वपूर्ण कार्बनिक एसिड होते हैं, जिनमें टार्टरिक एसिड, साइट्रिक एसिड, एसिटिक एसिड, मैलिक एसिड, सक्सिनिक एसिड के साथ-साथ फॉर्मिक एसिड, अमीनो एसिड भी महत्वपूर्ण रूप से मौजूद हैं।
कैसे बोन हेल्थ को देती है मजबूती (Tamarind for Bone Health)
साइंस रिपोर्ट नेचर सर्च जर्नल में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, इमली मैग्नीशियम का एक समृद्ध स्रोत है। इसमें कई अन्य प्लांट बेस्ड फ़ूड की तुलना में अधिक कैल्शियम भी होता है। 100 ग्राम इमली के अर्क में 35 -170 मिलीग्राम कैल्शियम हो सकता है। इन दो मिनरल्स के संयोजन से बोन हेल्थ को मजबूती मिलती है। ऑस्टियोपोरोसिस और बोन फ्रैक्चर को रोकने में मदद मिल सकती है।
गूदे के साथ-साथ बीज भी है असरकारक (Seeds)
साइंस रिपोर्ट नेचर सर्च जर्नल के अनुसार मैसूर यूनिवर्सिटी में हड्डियों पर इमली के गूदे और बीज के प्रभाव को जांचा गया। इसके अनुसार, आयुर्वेद में पहले से ही इस औषधीय पौधे का प्रयोग गठिया के इलाज में किया जाता रहा है। कई अध्ययन में भी इसके उपयोग को मान्य किया है। गठिया एक संयुक्त विकार है, जो सबकोन्ड्रल हड्डी और उपास्थि को प्रभावित करता है।
कार्टिलेज कोलेजन
उपास्थि का क्षरण मुख्य रूप से मैट्रिक्स मेटालोप्रोटीनिस (एमएमपी), हाइलूरोनिडेस (एचएएएस), एग्रेकेनेस और एक्सोग्लाइकोसिडेस जैसे एंजाइमों के कारण होता है। ये एंजाइम कार्टिलेज के कोलेजन, हयालुरोनन और एग्रेकेन पर कार्य करते हैं, जो बदले में कैथेप्सिन और टार्ट्रेट प्रतिरोधी एसिड फॉस्फेटेस जैसे हड्डी को बिगाड़ने वाले एंजाइम को सक्रिय करते हैं।
गठिया से कर सकते हैं बचाव (Arthritis)
प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन की लगातार कार्रवाई और इन्फ्लेमेशन के प्रभावों के कारण हड्डी को नुकसान पहुंचता है। इमली के बीज के अर्क और गूदा गठिया से बचाव में सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाते हैं।
इमली के बीज के अर्क और गूदा कार्टिलेज और बोंस की रक्षा करने वाली प्रकृति का प्रदर्शन किया।
इससे इन्फ्लेमेशन का लेवल कम हुआ। इसके अलावा, हाइड्रोपरॉक्साइड्स के बढ़े हुए स्तरों को भी कम करने में मदद मिली। कुल मिलाकर इमली कार्टिलेज और बोंस में आये सूजन और कमजोरी को कम करने के क शक्तिशाली एजेंट के रूप में पाया गया।
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