ब्रेस्टफीडिंग के दौरान तनाव में रहती हैं? यह आपके शरीर को पहुंचा सकता है नुकसान

तनाव आपके ब्रेस्ट मिल्क पर प्रभाव डाल सकता है, इसलिए स्तनपान कराते वक्त तनावमुक्त होना जरूरी है।
कुछ मांओं को पूरा नहीं बन पाता दूध।चित्र- शटरस्टॉक
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल कट-फट जाते हैं और दर्द भी होता है। चित्र: शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 10 Dec 2020, 12:48 pm IST
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हर मां के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है स्तनपान। ब्रेस्ट मिल्क आपके नवजात शिशु के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह बच्चे के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। मगर कई बार नई माओं को स्तनपान के दौरान स्ट्रेस हो जाता है।

हमनें फोर्टिस लाफेमे, नई दिल्ली की एसोसिएट डायरेक्टर और गायनोकॉलोजिस्ट डॉ मधु गोयल से जाना कि किस तरह तनाव ब्रेस्टफीडिंग करा रही महिलाओं के लिए खतरनाक है।
डॉ गोयल बताती हैं,”किसी भी नई मां के जीवन में तनाव होना आम बात है। बच्चे के साथ जिंदगी में बहुत से बदलाव आते हैं। चाहें काम को लेकर समस्या हो या बच्चे की चिंता, यह सब तनाव की जड़ बन जाते हैं।”

तनाव का स्तनपान पर क्या प्रभाव पड़ता है?

डॉ गोयल के अनुसार मुख्यतः दो तरह से तनाव ब्रेस्ट मिल्क को प्रभावित करता है।
पहला, यह दूध की मात्रा कम कर देता है। और दूसरा, यह दूध की गुणवत्ता घटा देता है। इसका कारण होते है कॉर्टिसोल और एड्रेनालाईन हॉर्मोन्स।

आपके तनाव का असर शिशु की सेहत पर भी पड़ सकता है। चित्र: शटरस्‍टाॅॅक

डॉ गोयल के अनुसार “तनाव होने पर शरीर से स्ट्रेस हॉर्मोन्स निकालने लगता है, और हैप्पी हॉर्मोन ऑक्सिटोसिन का स्तर कम हो जाता है। ये हॉर्मोन्स दूध की मात्रा को कम कर देते हैं, जिससे शिशु को आवश्यकतानुसार दूध नही मिल पाता। ये हॉर्मोन दूध में मौजूद पोषक तत्वों को भी कम कर देते हैं।”

इसलिए यह बहुत जरूरी है कि तनाव को मैनेज किया जाए। यह स्टेप्स फॉलो कर के आप तनाव से मुक्ति पा सकती हैं-

1. जाने आपके तनाव का कारण क्या है

किसी भी समस्या का समाधान खोजने के लिए समस्या का कारण जानना जरूरी है। कई बार स्तनपान को लेकर महिलाओं में एंग्जायटी होती है जो तनाव का रूप ले लेती है। जब तक यह नहीं पता चलेगा कि आपको तनाव क्यों है, तब तक तनाव को दूर नहीं किया जा सकता।
डॉ गोयल इस विषय में लैक्टेशन काउंसलर से बात करने की सलाह देती हैं

2. अपने पार्टनर से बात करें

बच्चे का आगमन किसी भी कपल के लिए बदलावों से भरा होता है। ऐसे में हो सकता है आपके रिश्ते में कुछ बदलाव आए हों जिन्हें लेकर आप चिंतित हों। कई बार आपको एहसास नहीं होता कि आपके पार्टनर की कोई छोटी सी बात आपको अंदर-अंदर खाये जा रही है। इसलिए बैठकर बात करें। अगर कोई समस्या नहीं भी है तब भी साथ में वक्त बिताएं। अगर जरूरत लगे तो थेरेपिस्ट की मदद लें।

किसी भी मुद्दे को बात करके सुलझाया जा सकता है।चित्र: शटरस्‍टॉक

3. प्रतिस्पर्धा न रखें

डॉ गोयल बताती हैं,”कई बार हमारे दोस्तों या कलीग के मां बनने के अनुभव से हम खुद को कंपेयर करने लगते हैं। ऐसा करने से आप खुद को तनावग्रस्त बनाती हैं”।
हर मां और हर बच्चा अलग है और आपका अनुभव खास है। इसकी दूसरों से तुलना ना करें। दोस्तों से राय लेने में कोई बुराई नहीं है, बस प्रतिस्पर्धा की भावना ना रखें।

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