समय का चक्र ही है कि जो मां-बाप बचपन में आपकी जिम्मेदारी उठाते थे और आपकी केयर करते थे, बुढ़ापे में उन्हें आपके द्वारा केयर की जरूरत होती है। जब आपके माता-पिता बूढ़े होने लगते हैं, तो वे आपकी जिम्मेदारी होते हैं, और इस जिम्मेदारी में उनका स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होना चाहिए।
आपकी मम्मी के लिए उम्र के साथ ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ता जाता है। अधिकांश महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर 50 वर्ष की उम्र के बाद डायग्नोस होता है। ब्रेस्ट कैंसर से डायग्नोस होने वाली हर तीन में से एक महिला 70 वर्ष से ऊपर होती है। इसलिए आपको खास ख्याल रखना है कि कैसे आप अपनी मम्मी को ब्रेस्ट कैंसर से बचा सकती हैं।
मोटापा कैंसर की संभावना को बढ़ाता है। मेनोपॉज के बाद यह खतरा और बढ़ जाता है। हमारे शरीर में जितना अधिक फैट होगा, उतना ज्यादा एस्ट्रोजन बनेगा और ज्यादा एस्ट्रोजन ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क को बढ़ाता है।
अगर आपकी मम्मा ओबीस हैं, तो सम्भव है कि उनका इन्सुलिन लेवल भो बढ़ा रहता हो। और इंसुलिन बढ़ना भी कई तरह के कैंसर को बढ़ावा दे सकता है।
कई स्टडीज में साक्ष्य सहित यह साबित हुआ है कि बैठने से कैंसर की सम्भावना बढ़ती है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार जो महिलाएं दिन में 6 घण्टे या अधिक बैठती हैं उनमें ब्रेस्ट कैंसर की सम्भावना 10 प्रतिशत अधिक होती है।
इसलिए कोशिश करें कि आपकी मां सुबह-शाम टहलने जाएं, व्यायाम करें और एक्टिव रहें।
हॉर्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी में मेनोपॉज के दौरान होने वाले लक्षणों को कम करने के लिए हॉर्मोन्स इंजेक्ट किये जाते हैं। यह लक्षण जैसे नाईट स्वेट्स और हॉट फ्लैश मेनोपॉज के वक्त काफी परेशान करते हैं।
जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया मेनोपॉज के वक्त HRT से ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। यह स्टडी एक लाख से अधिक महिलाओं के डेटा को देखते हुए बताती है कि जो महिलाएं ज्यादा समय तक दवा लेती रहीं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर की चांस उतनी ही बढ़ती रही।
स्क्रीनिंग जैसे मैमोग्राम, शुरुआती स्टेज में ही ब्रेस्ट में समस्या को पकड़ लेते हैं और समय रहते डायग्नोस होने से इलाज आसान हो जाता है। अपनी मां को कम से कम साल में एक बाद मेमोग्राफी के लिए जरूर ले जाएं। इसको एक आदत बना लें।
जरूरी है कि आप अपनी मां के स्वास्थ्य के बारे में उनसे खुल कर बात करें। उनकी समस्याओं को सुने और उन्हें नियमित डॉक्टर के पास जाने के लिए प्रेरित करें। अगर आप अलग रहती हैं तो इसे नियम बना लें कि हर साल कुछ दिन आपको मां के पास रहना है जिस बीच आप उनकी जांच में सहयोग कर सकती हैं। उनकी सेहत आपकी जिम्मेदारी है।