World Psoriasis Day : सिर्फ स्किन प्रोब्लम समझ कर इसे नजरंदाज करना हो सकता है जोखिम भरा, जानिए सोरायसिस के बारे में सब कुछ
लगभग 25 मिलियन भारतीयों को प्रभावित करने वाला, सोरायसिस एक क्रोनिक, ऑटोइम्यून स्थिति है, जो त्वचा को प्रभावित करती है। सोरायसिस त्वचा में सूजन, लालिमा और खुजली पैदा करता है। यदि इस पर ध्यान न दिया जाए तो यह और खराब हो सकता है। हालांकि, इसके लक्षणों को पहचानना आसान होता है। और एक मामूली स्किन टेस्ट के माध्यम से इसका पता लगाया जा सकता है।
आकसर लोग इसे सिर्फ एक ‘ Skin Problem’ कहकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। मगर लोग इस बारे में जागरूक नहीं हैं कि यह एक समस्या कितना विकराल रूप ले सकती है।
विश्व सोरायसिस दिवस 2021
29 अक्टूबर विश्व सोरायसिस दिवस (world psoriasis day) है। यह सोरायसिस और सोरियाटिक गठिया (psoriatic arthritis) के बारे में जागरूकता फैलने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिवस सोरायसिस संबंधी कई भ्रांतियों को दूर करने में मदद करता है। इस बीमारी के बारे में पर्याप्त जानकारी हमें प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में मदद कर सकता है।
जानिए क्या है सोरियाटिक गठिया (psoriatic arthritis)?
सोरायसिस सूजन का संकेत है, यहां तक कि सोरायसिस के हल्के मामलों में भी इंफ्लेमेशन का संकेत मिलता है। यह कई comorbidities के साथ भी जुड़ा हुआ है। आमतौर पर, तीन सोरायसिस रोगियों में से एक को सोरियाटिक गठिया विकसित होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित एक और बीमारी है।
इससे जोड़ों और आसपास के क्षेत्रों में सूजन, जकड़न और दर्द होता है। अगर इलाज नहीं किया जाता है, तो सोराटिक गठिया छह महीने से भी कम समय में क्षति का कारण बन सकता है।
इसकी वजह से सामाजिक अलगाव और रिश्तों से दूरी, आत्म-सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य सहित जीवन के कई पहलुओं पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आपकी मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकता है सोरायसिस
सोरायसिस के लगभग एक तिहाई रोगी मनोवैज्ञानिक स्थितियों से पीड़ित होते हैं, जिसमें अवसाद या चिंता शामिल है। कई रोगी और उनके परिवार त्वचा से परे रोग के प्रभाव को नहीं समझते हैं। इसकी गंभीरता को नजरअंदाज कर देते हैं जिससे उन्हें कई समस्याएं झेलनी पड़ती हैं।
शाइन एंड स्माइल डेंटल एंड स्किन क्लिनिक, दिल्ली की त्वचा विशेषज्ञ, डॉ सोनी नंदा, ने कहा, “सोरायसिस एक सामान्य त्वचा विकार है, जो लगभग 7% आबादी को प्रभावित करता है। इसके दिखाई देने वाले लक्षणों के कारण, रोगी अक्सर कई दैनिक समस्याओं की शिकायत करते हैं, जैसे कि सामाजिक अलगाव। खासकर जब यह चेहरे और हाथों पर दिखाई देता है। लोगों को लगता है कि यह रोग संक्रामक है और लाइलाज भी।
क्या सोरायसिस वापस आ सकता है?
डॉ. सोनी ने आगे कहा, “एक और समस्या जो सोरायसिस के साथ है, वो है इसकी पुनरावृति प्रकृति। जो तनाव जैसी थोड़ी चेतावनी के साथ भड़क सकती है। यह अप्रत्याशितता रोगियों को और अधिक चिंता का कारण बना सकती है। इसके अतिरिक्त, जब कम या बिना किसी सुधार के इलाज किया जाता है, तो यह आमतौर पर अवसाद की ओर ले जाता है। रोग को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए इन सभी पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि रोगी स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकें।”
पिछले एक दशक में सोरायसिस जैसी ऑटो-इम्यून स्थितियों के इलाज में काफी विकास हुआ है। इनमें सामयिक उपचार (त्वचा पर लागू क्रीम और मलहम), फोटोथेरेपी (प्रकाश चिकित्सा), मौखिक प्रणालीगत उपचार (गैर-स्टेरायडल विरोधी भड़काऊ दवाएं) और जैविक विज्ञान जैसे उन्नत चिकित्सा विकल्प शामिल हैं।
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विश्व सोरायसिस दिवस के लिए इस वर्ष की थीम ‘यूनाइटेड’ है, जिसमें सोरायसिस रोगियों से जुड़ने और समर्थन करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। यह सोरायसिस से पीड़ित लोगों पर ध्यान केंद्रित करता है।
आज सोरायसिस जैसी समस्या का इलाज संभव है बशर्ते आप और हम इसके प्रति जागरूक रहें।
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