गर्मियों का मौसम आ गया है अब धीरे – धीरे वातावरण में गर्मी और मच्छर दोनों बढ़ने लगेंगे। मच्छर न सिर्फ शरीर पर रैशेज का कारण बनते हैं बल्कि कई बीमारियों को जन्म भी दे सकते हैं जैसे चिकनगुनिया (Chikungunya)। इसलिए खुद का और अपने परिवार का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है, खासकर बच्चों का। क्योंकि वे किसी भी संक्रामण के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होते हैं।
ऐसे में हम आपके लिए लाएं हैं चिकनगुनिया से बचाव (Chikungunya Prevention) करने के कुछ उपाय, जिनके बारे में आपको ज़रूर जानना चाहिए। मगर उससे पहले जान लेते हैं कि क्या है चिकनगुनिया वायरस।
चिकनगुनिया का वायरस संक्रमित मच्छर (Aedes aegypti and Aedes albopictus) (chikungunya mosquito name) के काटने से लोगों में फैलता है। मच्छर तब संक्रमित हो जाते हैं जब वे पहले से ही वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटते हैं। संक्रमित मच्छर के काटने से दूसरे लोगों में वायरस फैला सकते हैं।
लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के 3-7 दिनों के बाद शुरू होते हैं। चिकनगुनिया के सबसे आम लक्षण बुखार और जोड़ों का दर्द हैं। अन्य लक्षणों में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन या दाने शामिल हैं। अधिकांश लोग एक सप्ताह के भीतर बेहतर महसूस करते हैं। कुछ लोगों में जोड़ों का दर्द महीनों तक बना रह सकता है। एक बार जब कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है, तो उसके भविष्य में होने वाले संक्रमणों से सुरक्षित रहने की संभावना होती है।
खूब आराम करें।
डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए खूब तरल पदार्थ पिएं।
सीडीसी के अनुसार बुखार और दर्द को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन पैरासिटामोल जैसी दवाएं लें।
यदि आप किसी अन्य चिकित्सा स्थिति के लिए दवा ले रहे हैं, तो अतिरिक्त दवा लेने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें।
यदि आपको चिकनगुनिया है, तो अपनी बीमारी के पहले सप्ताह तक मच्छरों के काटने से बचें।
बीमारी के पहले सप्ताह के दौरान चिकनगुनिया वायरस रक्त में पाया जा सकता है। मच्छर के काटने से यह वायरस संक्रमित व्यक्ति से मच्छर में जा सकता है।
एक संक्रमित मच्छर तब वायरस को अन्य लोगों में फैला सकता है। इसलिए खुद को मच्छरों से दूर रखें।
यह नमक दर्द को कम करने में मदद करता है। एप्सम सॉल्ट में मैग्नीशियम सल्फेट क्रिस्टल होते हैं जो सूजन और दर्द को कम करते हैं। इसके अलावा गर्म पानी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है। इसलिए अपने नहाने के पानी में थोड़े से एप्सम सॉल्ट का इस्तेमाल करें।
चिकनगुनिया वायरस के कारण होने वाले दर्द को कम करने के लिए हल्दी एक प्रभावी घरेलू उपाय है। एनसीबीआई के अनुसार हल्दी में करक्यूमिन होता है जिसमें उच्च एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट होते हैं जो दर्द को कम करने में सहायक होते हैं। आप हल्दी वाला दूध पी सकती हैं।
नारियल पानी का लिवर पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और चिकनगुनिया का वायरस अक्सर शरीर को संक्रमित करने के बाद हमला करता है। नारियल पानी तेजी से ठीक होने में मदद करता है और चिकनगुनिया के लक्षणों को कम करता है। रोज़ सुबह खाली पेट नारियल पानी का सेवन करें।
तुलसी शरीर के तापमान को कम करने में मदद करती है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो इम्यून सिस्टम को बूस्ट करते हैं और जल्दी ठीक होने में मदद करते हैं। आप बस तुलसी के पत्तों को दिन में एक या दो बार चबा सकती हैं या तुलसी के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर पी सकते हैं।
अभी तक चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कोई टीका नहीं है। मगर चिकनगुनिया से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं।
मच्छरों से बचने के लिए कीट नाशक या मस्कीटो रिपेलेंट का प्रयोग करें। अगर आप भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर रही हैं, तो पहले सनस्क्रीन लगाएं और फिर मस्कीटो रिपेलेंट क्रीम।
लंबी बाजू की शर्ट और पैंट पहनें, और अपने हाथ पैरों को ढककर रखें।
बारिश में घर के बाहर या अंदर पानी न भरने दें, इसे तुरंत साफ करें।
मच्छर दानी लगाकर सोएं और इसे अच्छी तरह से बिस्तर में दबा लें। साथ ही, नेट के सहारे न सोएं, मच्छर तब भी काट सकते हैं।
यह भी पढ़ें : इन 5 कारणों से जलने लगती हैं आंखें! जानिए कब है डॉक्टर को दिखाने की जरूरत