प्लास्टिक हानिकारक क्यों है
प्लास्टिक की बोतल से पानी पीने के नुकसान
-सूक्ष्म प्लास्टिक का रिसाव
-गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा
-कई बीमारियों का जन्म
-डायबिटीज और कैंसर का खतरा
-पर्यावरण पर बुरा प्रभाव
प्लास्टिक मॉडर्न लाइफस्टाइल का हिस्सा बनता जा रहा है। आज जहां देखो वहीं प्लास्टिक ही नजर आता है, चाहे फिर वो किचन के डब्बे हों, या बाज़ार में बिकने वाली पानी की बोतल या फिर खाने की पैकिंग हो या सामान लाने वाले पॉलिथिन। यहां तक सुबह से उपयोग होने वाले कप, प्लेट, स्ट्रॉ हर चीज़ प्लास्टिक की बन गई है। भारत सरकार प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हमेशा देश की जनता को जागरूक करती रहती है। कई बार तो सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन भी लग चुका है। इसके बावजूद भी लोग प्लास्टिक (plastic bottle health hazards) से दूरी नहीं बना रहे हैं और आज भी प्लास्टिक का भरपूर उपयोग करते हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं इससे आपकी सेहत पर कितना बुरा असर पड़ सकता है।
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली के कंसल्टेंट, इन्टर्नल मेडिसिन एंड इंफेक्शन डिजीज के डॉक्टर अंकित बंसल बताते हैं कि प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीने से कई हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं। प्लास्टिक की बोतलों में पाए जाने वाले केमिकल्स, जैसे कि बिस्फेनॉल ए (बीपीए) और फथलेट्स, पानी में मिलकर हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इससे हमारे शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, जैसे कि कैंसर, मधुमेह, और हृदय रोग। इसके अलावा, प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीने (plastic bottle health hazards) से हमारे शरीर में माइक्रोप्लास्टिक्स भी जमा हो सकते हैं, जिससे हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग कम से कम करें। बल्कि इसके बजाय गिलास या स्टील की बोतलों का उपयोग करें।
सूक्ष्म प्लास्टिक का रिसाव (micro plastic leakage)
इसमें कई तरह के रसायन पाए जाते हैं जो पानी में सघन रूप से मिल जाते हैं। यहां तक कि प्लास्टिक (plastic bottle) की बोतल में रखे पानी में प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मिल सकते हैं, जो कि आपके शरीर के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकते है। इससे सूजन की समस्या, प्रतिरोधक क्षमता में कमी और हृदय सम्बंधी समस्याओं का खतरा बन सकता है। इतना ही नहीं बल्कि ये आने वाले समय में यह आपके शरीर में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को भी जन्म दे सकते हैं।
plastic के इस्तेमाल से जितना हो सके उतना दूर ही रहना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इसका सबसे ज्यादा खतरा हो सकता है, जिन्हें पाचन के साथ-साथ किडनी और लीवर में भी प्लास्टिक का असर होने की संभावना रहती है। इससे बचने के लिए प्लास्टिक की बोतल की जगह मिट्टी या तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर रहेगा।
प्लास्टिक के 5 मिमी से छोटे टुकड़े को माइक्रो प्लास्टिक कहा जाता है, तो वहीं 1 माइक्रो मीटर को नैनो प्लास्टिक कहा जाता है। नैनो प्लास्टिक (plastic bottle health hazards) इतना सूक्ष्म होता है कि यह पाचन तंत्र और फेफड़ों पर आसानी से पहुंच सकता है। प्लास्टिक के छोटे कण रक्त से मिलकर पूरे शरीर में पहुंच सकते हैं। इससे किडनी, मस्तिष्क, हृदय समेत अन्य अंगों को भी खतरा है। नैनो प्लास्टिक प्लेसेंटा से होकर डायरेक्ट गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुंच सकता है।
प्लास्टिक की बोतलों में भरे पानी में बिस्फेनॉल ए केमिकल पाया जाता है, जिसके (plastic bottle health hazards) शरीर में जाते ही दिल की बीमारियों और डायबिटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ा सकता है। इसके अलावा प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, खासकर ब्रेस्ट और ब्रेन कैंसर का खतरा ज्यादा ही हो सकता है।
प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। अधिकांश प्लास्टिक की बोतलें रिसाइकिल (plastic bottle health hazards) नहीं की जा सकती हैं, जिन्हें कूड़े में फेंक दिया जाता है। बाद में यह नदी, में बहकर समुद्र में पहुंच जाता है जो कि जल प्रदूषण का कारण बनता है। ये बोतलें सैकड़ों सालों तक नष्ट नहीं हो पाती हैं, जो कि मरीन लाइफ़ को नुक़सान पहुंचाती हैं। मछलियां और अन्य समुद्री जीव इन टुकड़ों का सेवन कर लेते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।
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