पैरों में स्थित किसी भी बोन, मांसपेशी या टेंडन में चोट लगने या उस पर अधिक बोझ पड़ने के कारण पैरों में सूजन और उसके साथ ही दर्द का अनुभव हो सकता है। हालांकि कभी कभार पैरों में दर्द होना सामान्य हैं। ये काम की अतिरिक्त थकान का परिणाम हो सकता है। पर अगर आप लंबे समय से पैर के तलवे खासतौर पर एड़ी में दर्द का अनुभव कर रहीं हैं, तो ये प्लांटर फैसिटिस (plantar fasciitis) के कारण हो सकता है। आइए जानते हैं क्या है यह समस्या, साथ ही आप इससे कैसे बच सकती हैं।
मेयो क्लिनिक के अनुसार, “सुबह उठते के साथ ही या वॉक के दौरान एड़ी (Pain in heel) के आसपास, पैर के तलवे में होने वाला दर्द प्लांटर फैसिटिस कहलाता है। ये अमूमन सुबह के समय, शाम को लंबी थकान के बाद बढ़ सकता है। इसकी वजह असल में पैर के तलवे में मौजूद टिश्यू प्लांटर में सूजन आना है। जो पैर के पंजों को एड़ी से जोड़ता है।”
क्यों आती है प्लांटर टिश्यू में सूजन और क्यों बढ़ने लगता है प्लांटर फैसिटिस का दर्द, यह जानने के लिए हमने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद में अतिरिक्त निदेशक, ऑर्थोपेडिक्स डॉ हरीश घूटा से बात की। डॉ घूटा एड़ी में दर्द पैदा करने वाले प्लांटर फैसिटिस के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
डॉ घूटा बताते हैं, “असल में यह एड़ी को प्रभावित करता है। इसमें मोटे तथा नरम ऊतक बैंड में सूजन हो जाती है। यह बैंड ही एड़ी की हड़डी को पैर के तलवे की तरफ (प्लांटर) पंजों से जोड़ता है। यह एक स्प्रिंगयुक्त कुशन की तरह होता है, जो चलते समय शॉक एब्सॉर्बर का काम करता है।“ प्लांटर में सूजन आना बाइक के शॉकर के खराब हो जाने की ही तरह है। जिससे सारा भार आपकी एड़ी पर आ जाता है और उसमें दर्द होने लगता है।
डॉ घूटा के मुताबिक इसके कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख हैं –
अमूमन 40 की उम्र के बाद आप एड़ी में होने वाले इस दर्द का अनुभव कर सकती हैं। इसकी वजह पैरों की मांसपेशियों का कमजोर पड़ना और आपकी अतिरिक्त थकान है। यह वह उम्र हैं जहां एक तरफ आपके शरीर की मांसपेशियों और ऊतक कमजोर पड़ने लगते हैं, वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदारियों में भी इजाफा होता है। अपने शरीर के बदलावों को समझे बिना जब आप बीस या तीस की उम्र के रुटीन को फॉलो करने की कोशिश करती हैं, तो इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
डॉ घूटा कहते हैं, अगर आपका बीएमआई अधिक है यानी आप मोटे हैं, तो आपके लिए प्लांटर फैसिटिस का जोखिम बढ़ सकता है। अमूमन 18.7 से 24.9 तक के बीच के बीएमआई को आदर्श माना जाता है। जबिक अठारह से कम हाेने में पर आप जहां अंडरवेट माने जाते हैं, वहीं बीएमआई का स्तर छब्बीस या तीस से भी ऊपर पहुंचने का संकेत है कि आप मोटापे की शिकार हैं। इसलिए प्लांटर फैसिटिस से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपना वजन कंट्रोल रखें।
विशेषज्ञ बताते हैं कि पैरों को ठीक से मूव करने के लिए हमारे पैर का तलवा हल्का धनुषाकार होता है। जिससे पंजे और एड़ी जमीन से टच करें और पैर का शेष हिस्सा एक आर्क बनाए, जिससे आपके लिए चलना आसान हो सके। पर कुछ लोगों के पैरों की संरचना ऐसी नहीं होती है। जिन्हें फ्लैट फुट कहा जाता है। फ्लैट फुट होने पर यह प्लांटर फैसिटिस का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है। इनके लिए डाॅक्टर विशेष तरह के जूते पहनने की सलाह देते हैं, जाे उनके पैरों की मांसपेशियों को रिलैक्स कर सकें।
अकसर हाई हील के जोखिमों पर बात होती है। पर बहुत कम लोग जानते हैं फ्लैट फुटवियर भी आपकी एड़ी में दर्द पैदा कर सकते हैं। डॉ घूटा बताते हैं कि चप्पल या जूतों में थोड़ी सी हील आपके पैरों को मूव करने के लिए एक्टिव बनाती है, जबकि नियमित रूप से फ्लैट हील फुटवियर के इस्तेमाल से एड़ी को लगातार चोट पहुंचती है। जो कि प्लांटर फैसिटिस के जोखिम का एक और कारण है।
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इसलिए यह जरूरी है कि आप अगर रनिंग करती हैं या लगातार चलती हैं तो एड़ी के नीचे अच्छे कुशन वाले फुटवियर पहनें। जो आपके पैरों को आराम दें।
अगर आपका बहुत ज्यादा समय घर में बीतता है और फर्श पर नंगे पैर चलती हैं, तो भी आपकी एड़ी में दर्द हो सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप घर पर भी अच्छे कुशन वाली चप्पल पहनें। इसके अलावा घर के फर्श पर मोटा कालीन बिछाना भी पैरों के दर्द से बचा सकता है।
डॉ घूटा कहते हैं, “ऐसे पेशे जिनमें देर तक खड़े रहना होता है या सख्त सतह पर चलना होता है, तो आपके पैर के तलवों के टिश्यू जल्दी डैमेज हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि बीच-बीच में बैठे या पैरों को थोड़ा ऊंचाई पर रखकर इन्हें आराम दें।”
पैर की एड़ी या प्लांटर फैसिटिस के दर्द के कारण जानने के बाद यह भी जरूरी है कि आप इसके उपचार जानें। अमूमन ज्यादातर लोग इसके लिए पेन किलर खा लेते हैं। हालांकि दर्द असहनीय होने पर दर्दनिवारक दवाएं लेने में कोई बुराई नहीं है। पर इनके लगातार इस्तेमाल से बचना चाहिए।
प्लांटर फैसिटिस के दर्द के उपचार (how to deal with plantar fasciitis pain) के बारे में बात करते हुए डॉ घूटा कहते हैं, “इसके लिए दो तरह के उपचार काम करते हैं। अगर दर्द हाल-फिलहाल में ही शुरू हुआ है, तो आप इकसे लिए पारंपरिक चिकित्सा उपाय अपना सकती हैं। इसमें हॉट एवं कोल्ड फार्मूलेशन, फुटवियर में बदलाव, फिजियोथेरेपी तथा अल्ट्रासॉनिक मसाज और दवाओं आदि का इस्तेमाल किया जाता है।”
पर अगर दर्द लगातार परेशान कर रहा है और यह इतना ज्यादा अहसनीय हो गया है कि आपकी दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है, तब आपको विशेषज्ञ से मिलकर सर्जरी का उपाय अपनाना होगा।
डॉ घूटा सर्जिकल उपचार के बारे में कहते हैं, “जब सभी पारंपरिक तरीकों और सुविधाओं के इस्तेमाल के बावजूद लक्षणों में कोई आराम नहीं मिलता, तो सर्जिकल प्रक्रिया (अकिलिस टेंडन लेंथनिंग गैस्ट्रोकोसोलस Achilles tendon lengthening gastrococulus) की मदद ली जा सकती है।”
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