दिन भर किसी न किसी कारण से गैजेट्स से घिरे रहने से हम न केवल मानसिक तौर पर थकान महसूस करते हैं, बल्कि सुनने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। कई बार कोई व्यक्ति कुछ बोलता हुआ नज़र आता है, मगर हम उसके शब्दों को समझ नहीं पाते या बात अधूरी समझ आती है। दरअसल, एक बार में बात न सुन पाना, किसी भी ऑडियो को तेज़ आवाज़ में सुनना और एक वक्त में तीन से चार लोगों से बात करने में दिक्कत आना हियरिंग लॉस के कुछ सामान्य लक्षण हैं। अगर इन पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो बहरेपन की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। आइए जानते हैं इसके लिए जिम्मेदार कारण और बचाव के उपाय (early signs of hearing loss)।
एनसीबीआई के मुताबिक आपको किसी भी उम्र में सुनने की क्षमता के कम होने का सामना करना पड़ सकता है। यह किसी संक्रमण, जेनेटिक सिंड्रोम, एजिंग और अत्यधिक नॉइज़ एक्सपोज़र के कारण हो सकता है। हेयरिंग लॉस का होना एक सामान्य मेडिकल कंडीशन है जो उम्र के साथ ज्यादा बढ़ती चली जाती है। आंकड़ों की मानें, तो 20 से 69 उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा कम सुनाई देने की समस्या पाई जाती है। वहीं द ब्लू माउंटेस हियरिंग स्टडी के मुताबिक माइल्ड हियरिंग लॉस की समस्या 69 से अधिक उम्र के लोगों में पाई जाती है। वहीं 85 साल से अधिक उम्र के लोगों में सामान्य तौर पर ये समस्या देखी गई है।
जैसे जैसे उम्र बढ़ने लगती है, तो उसी के साथ सुनने की क्षमता कम होने लगती है।
जन्म के समय होने वाली कोई समस्या या जेनेटिक म्यूटेशंस इसका एक कारण साबित हो सकता है।
दवाओं पर प्रभाव होने से हीयरिंग डिज़ीज़ की संभावना बढ़ जाती है।
ज्यादा लाउड म्यूज़िक सुनना या हर वक्त शोर में रहना
वे लक्षण, जो बहरेपन या हियरिंग लॉस के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं
बैठे बैठे कानों में अचानक आवाजें सुनाई देना और घंटी बजने जैसा साउंड होना। इस ओर इशारा करता है कि आपके कानों में कुछ दिक्कत आ रही है। कानों में बिना बोले सुनाई देने वाले साउंडस को टिनिटस कहा जाता है। ये अवस्था हियरिंग लॉस का सबसे पहला साइन माना जाता है। ये इस बात की ओर इशारा है कि आप अब कम सुनने लगे हैं।
कई बार हम जब दूसरों से बात करते हैं, तो ऐसा लगता है कि वो अपने आप मन ही मन धीमे बात कर रहे हैं। इसके चलते हम उनकी बात को समझ नहीं पाते हैं। हांलाकि लोग उसी तरह से सामान्य बात करते हैं। मगर कई बार हीमें उनकी बात या उनकी आवाज़ को समझने में भी दिक्कत आने लगती है।
दिनभर नॉइज़ पॉल्यूशन या लाउड म्यूज़िक सुनने के कारण हमारी श्रवण क्षमता कम होने लगती है। किसी भी ऑडियो को सुनने के लिए हमें वॉल्यूम का लेवल बढा़ना पढ़ता है। दरअसल, हमें तेज़ आवाज़ भी अब धीमी लगने लगती है। इसके अलावा भीड़भाड़ वाली जगहों पर कुछ भी सुनने में असमर्थता का अनुभव करने लगते हैं। ऐसे में लोग कई बार कॉशियस फील करने लगते हैं।
यूसीएलए हेल्थ इन लॉस एनजेल्स के डायेक्टर के मुताबिक जब हम लोगों से आमने सामने बैठकर बात करते हैं, तो उस वक्त हम दोनों कानों से सुनते है। वहीं फोन पर बात करने के दौरान हम केवल एक ही कान से सुनने लगते हैं। उस वक्त बात करने और बात समझने दोनों में ही दिक्कत पेश आने लगती है। अगर आप भी इसी तरह की समस्या से होकर गुज़र रहे हैं, तो जान लें कि आप भी हियरिंग प्रोब्लम से होकर गुज़र रहे है।
सुनने में आने वाली दिक्कत के कारण लोग अक्सर बातों को गंभीरता से समझ नहीं पाते है। इससे वो खुद को अन्य लोगों से कटा हुआ महसूस करने लगते है। इसके चलते वो ज्यादा बात करने से परहेज़ करते हैं। ऐसे में डॉक्टरी जांच बेहद ज़रूरी है।
बहरेपन से बचने के लिए आप क्या कर सकती हैं
अब तक आप यह जान चकुी हैं कि वे क्या कारक हैं जो बहरापन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके उपचार के लिए हियरिंग लॉस के प्रकार का पता लगाना ज़रूरी है। सुनने की क्षमता कम होने के दो प्रकार हैं। पहला कंडक्टिव हियरिंग लॉस। वहीं दूसरा सेंसोरीन्यूरल हियरिंग लॉस है। कंडक्टिव हियर लॉस के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा दवा और थेरेपी से भी इसे ठीक किया जा सकता है। वहीं सेंसोरीन्यूरल हियरिंग लॉस के लिए हमें सुनने वाली मशीन यानि हियरिंग ऐड की ज़रूरत रहती है। इसकी मदद से हम आसानी से सुन सकते हैं। इसके उपचार के लिए हियरिंग लॉस के प्रकार का पता लगाना ज़रूरी है। इसके अलावा अगर आप कानों में कम सुनने की समस्या महसूस कर रही हैं, तो तुरंत इलाज करवाएं। साथ ही तेज़ ध्वनि में कुछ भी सुनने से परहेज करें।
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