आमतौर पर महिलाओं के शरीर में 30 की उम्र के बाद कैल्शियम की कमी होने लगती है, जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती है। इस स्थिति में महिलाओं में हड्डियों से संबंधी कई अन्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। खासकर बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं की हड्डियां ऑस्टियोपोरोसिस के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। तो क्यों न आप बढ़ती उम्र के शुरुआती दौर से ही इन समस्याओं के प्रति ध्यान देना शुरू करें (Osteoporosis in Women)।
डॉ. पूनम अग्रवाल, यूनिट हेड एंड सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट दिल्ली ने महिलाओं में बढ़ती ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी है। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से (Osteoporosis in Women)।
ऑस्टियोपोरोसिस महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित कर सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हड्डियां।अधिक पतली होती हैं। मेनोपॉज के स्टेज में पहुंचने के बाद, एस्ट्रोजन का तेजी से नुकसान होता है, जो बोन डेंसिटी के नुकसान को तेज कर सकता है। जब हड्डियों की मजबूती की बात आती है, तो एस्ट्रोजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए जब शरीर में एस्ट्रोजन कम हो जाता है, तो हड्डियां अपनी स्ट्रेंथ और डेंसिटी खो देती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के लगभग 80% मामले महिलाओं (Osteoporosis in women) के होते हैं। इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन के अनुसार, 50 वर्ष से अधिक उम्र की हर 3 में से 1 महिला को ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर होता है। इसलिए इस स्थिति को समझना और बुजुर्ग महिलाओं में हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए निवारक उपाय करना बेहद महत्वपूर्ण है।
महिलाओं में अक्सर ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या (Osteoporosis in women) देखने को मिलती है। जब शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, तो ऐसे में फ्रैक्चर होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में पीठ पर दर्द, जोड़ों में दर्द, पैर में दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके लिए प्रारंभिक जांच एवं रोकथाम बहुत जरूरी है। शुरुआती स्तर पर हड्डियों के घनत्व को मापने के लिए डेंसिटोमेट्री टेस्ट, एक्स-रे और ब्लड टेस्ट जैसी जांच बेहद जरूरी होती है।
डॉ. पूनम अग्रवाल के अनुसार “इसके रोकथाम के लिए आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर आहार को अपनी नियमित डाइट में शामिल करें। नियमित तौर पर अपनी दिनचर्या में व्यायाम को भी शामिल करें, जैसे चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना और योगाभ्यास।”
“कुछ जांचों के बाद डॉक्टर के परामर्श के अनुसार आप हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी करवा सकती हैं, जिससे काफी मदद मिलती है। इसमें आपको यह भी ध्यान देना बहुत जरूरी है, जैसे की कई बार पारिवारिक इतिहास, आपकी जीवन शैली, आपकी उम्र के हिसाब से भी यह समस्या बढ़ती है। ऐसे में समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेती रहें।”
नियमित रूप से बैलेंसड डाइट को फॉलो करें, जिसमें लो फैट वाले डेयरी उत्पाद और मछली जैसे कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हों। एक यंग महिला को प्रतिदिन 700 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
महिलाओं को प्रतिदिन 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी की आवश्यकता होती है। सूरज की किरणों में कुछ समय बिताने के अलावा, खाद्य स्रोतों में फैटी फिश, रेड मीट, जिगर, अंडे की जर्दी और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ शामिल करें। यदि आपको भोजन से पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पाता है, तो आप सप्लीमेंट ले सकती हैं।
वॉकिंग, जॉगिंग, सीढ़ियां चढ़ना, टेनिस और नृत्य जैसे व्यायाम हड्डियों को मजबूत बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं। अधिकांश विशेषज्ञ सप्ताह में तीन बार कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने की सलाह देते हैं।
धूम्रपान हड्डियों के निर्माण को कम करके और एस्ट्रोजन मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है और ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को बढ़ा सकता है। बहुत अधिक शराब के सेवन से आपकी हड्डियों को नुकसान हो सकता है।
यदि आपके पास ऑस्टियोपोरोसिस या हड्डियों से संबंधी अन्य किसी समस्या के जोखिम कारक हैं, तो आपको 65 वर्ष या उससे कम उम्र में बोन डेंसिटी स्क्रीनिंग करवाने पर विचार करना चाहिए। जोखिम कारकों में 50 वर्ष की आयु से पहले अस्पष्टीकृत फ्रैक्चर का पारिवारिक इतिहास और 50 वर्ष की आयु से पहले व्यक्तिगत अस्पष्टीकृत फ्रैक्चर शामिल हैं।
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