हमारा शरीर एक शानदार मशीनरी है। इसमें ऐसा तंत्र मौजूद है जो खुद ही बाहरी संक्रमणों से मुकाबला करने और घावों को भरने के लिए तैयार हो जाता है। पर इसे हमारी जागरुकता और मदद की भी जरूरत होती है। अगर लापरवाही की जाए तो कोई छोटा सा घाव भी बड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। कोई भी घाव अगर 1 सप्ताह से अधिक समय तक ठीक नहीं होता है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या सेप्सिस (Chronic Health Problem Sepsis) की वजह बन सकता है। सेप्सिस एक ऐसी समस्या है, जो दुनिया भर में हर साल एक करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले लेती है। इसलिए इसके प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 13 सितंबर को विश्व सेप्सिस दिवस (World Sepsis Day 2023-September 13) के तौर पर नामित किया गया है। इसके लक्षणों (sepsis symptoms) के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
वर्ल्ड सेप्सिस डे (World Sepsis Day) हर साल 13 सितंबर को मनाया जाता है। इसके माध्यम से दुनिया भर के लोगों को सेप्सिस के प्रति जागरूक किया जाता है। यह इस रोग के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होने का अवसर भी देता है। सेप्सिस (sepsis or septicaemia or blood poisoning) के कारण दुनिया भर में सालाना कम से कम 1 करोड़ मौतें होती हैं।
‘सेप्सिस जीवन को खत्म करने के समान एक मेडिकल इमरजेंसी है। यह किसी संक्रमण के प्रति शरीर की अत्यधिक प्रतिक्रिया के कारण होता है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली किसी संक्रमण के प्रति खतरनाक प्रतिक्रिया करती है, तो सेप्सिस या सेप्टीसीमिया हो जाता है। यह पूरे शरीर में सूजन का कारण बनता है। इससे ऊतक क्षति (Tissue Damage), अंग विफलता (Organ Failure) और यहां तक कि मृत्यु (Death) भी हो सकती है। कई अलग-अलग प्रकार के संक्रमण सेप्सिस को ट्रिगर कर सकते हैं। इसका ट्रीटमेंट जितना जल्दी शुरू हो जाये, उतना अच्छा होता है।
शारदा हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा में अस्सिटेंट प्रोफेसर (इंटरनल मेडिसिन) डॉ. श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं, ‘सेप्सिस किसी को भी प्रभावित कर सकता है। किसी भी प्रकार के संक्रमण विशेष रूप से बैक्टीरियल इन्फेक्शन से ग्रस्त लोगों के लिए यह जोखिम बढ़ा देता है।
65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, नवजात शिशु, प्रेगनेंट महिलाएं और मधुमेह, मोटापा, कैंसर, किडनी डिजीज से प्रभावित लोगों को इसका जोखिम अधिक रहता है। साथ ही, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, गंभीर चोट जैसे कि जले या गंभीर घाव वाले, कैथेटर का प्रयोग करने वाले लोगों को इसका जोखिम अधिक रहता है।
यदि ब्लड टोक्सिसिटी (septicaemia) जैसे संक्रमण ने ट्रिगर किया है, तो त्वचा पर सेप्सिस दाने विकसित हो सकते हैं। त्वचा पर छोटे, गहरे लाल धब्बे हो सकते (sepsis symptoms) हैं। सेप्सिस के सबसे आम कारणों में से एक है बैक्टीरियल इन्फेक्शन। फंगल, पैथोजेन और वायरल इन्फेक्शन भी सेप्सिस के संभावित कारण हैं। सेप्सिस तब होता है, जब कोई संक्रमण पूरे शरीर में चेन प्रतिक्रिया शुरू कर देता है। इससे अंग निष्क्रिय हो जाते हैं।
नयूबर्ग डायग्नोस्टिक्स में चीफ ऑफ लैब डॉ. विज्ञान मिश्रा बताते हैं, ‘संक्रमण के कारण शरीर का तापमान 38.30C या 101.30F से अधिक होने लगता है।
हृदयगति बढ़ना, 90 धड़कन प्रति मिनट से अधिक होने (sepsis symptoms) लगता है। श्वसन दर भी बढ़ जाता है। 20 श्वास प्रति मिनट से अधिक हो जाता है।
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कस्टमाइज़ करेंडॉ. विज्ञान मिश्रा के अनुसार, सेप्सिस के कारण भ्रम या कोमा, एडीमा (तरल संचय के कारण सूजन) हो सकता है। विशेष रूप से बांहों, पैरों, गर्दन और चेहरे में यह हो सकता है।
मधुमेह के बिना रक्त शर्करा का बढ़ जाना, तापमान घटना, 36C या 97F से कम हो सकता है।
‘ऐसे संक्रमण वाले लोगों की तुरंत पहचान करना जरूरी है, जिनमें सेप्सिस विकसित हो सकता है। इसके लिए फिजिकल टेस्ट, प्रयोगशाला परीक्षण, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और अन्य परीक्षण किये जा सकते हैं। ब्लड टेस्ट के लिए सीबीसी, असामान्य लिवर और किडनी की कार्यप्रणाली, थक्के क समस्याओं और इलेक्ट्रोलाइट असामान्यताओं की जांच भी की जा सकती है। इसके अलावा ब्लड ऑक्सीजन लेवल, यूरीन टेस्ट, एक्स-रे या सीटी स्कैन भी किया जा सकता है।’
डॉ. श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं,सेप्सिस का इलाज तुरंत शुरू कर देना चाहिए। सेप्सिस का निदान होने पर विशेष उपचार के लिए अस्पताल की गहन देखभाल इकाई (ICU) में रखा जाता है। यदि बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, तो एंटीबायोटिक्स दी जाएंगी। अंगों में ब्लड फ्लो बनाए रखने और ब्लड प्रेशर को बहुत कम होने से रोकने के लिए इंट्रा वेनस फ्लूइड दिया जाता है। वैसोप्रेसर दवाएं ब्लड वेसल्स को कसते हैं। क्षतिग्रस्त ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
1 हाथ धोने सहित गुड हाइजीन को प्रैक्टिस में लाना।
2 घावों को साफ रखना और ठीक होने तक उन्हें ढककर रखना। जरूरी टीकों को समय पर लगवाना।
3 क्रोनिक स्थितियों के लिए नियमित चिकित्सा देखभाल प्राप्त करना। यदि किसी संक्रमण का संदेह है, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें।अनियंत्रित मधुमेह सेप्सिस (uncontrolled diabetes for sepsis) के लिए एक गंभीर जोखिम कारक हो सकता है।
4 संक्रमण नियंत्रण सबसे जरूरी है। इसके लिए स्वच्छता के नियमों का कड़ाई से पालन करना जरूरी है।
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