हार्ट की सुरक्षा सबसे जरूरी है। यदि इसकी कार्यप्रणाली में किसी प्रकार की दिक्कत आती है, तो यह ब्लड सर्कुलेशन को भी बाधित कर देता है। इसका प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर पड़ने लगता है। जब हार्ट के एओर्टा में दिक्कत होती है, तो गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। ऐसी ही एक समस्या है एओर्टिक एन्यूरिज्म(Aortic aneurysms)। क्या है एओर्टिक एन्यूरिज्म (Aortic aneurysms) और इसका उपचार क्या है, विस्तार से जानते हैं एक हृदय रोग विशेषज्ञ से।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में जहां इस रोग के बारे में जानकारी और जागरूकता कम है, चुनौती दोगुनी है। सबसे पहले तो इस साइलेंट किलर के बारे में लोगों को जानकारी देना और दूसरा, सुलभ स्क्रीनिंग कार्यक्रम उपलब्ध करना भी जरूरी है। एओर्टिक एन्यूरिज्म की घातक प्रकृति को देखते हुए जागरूकता न केवल जरूरी है, बल्कि यह संभावित रूप से लाइफ सेवर भी है।
मानव शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है हार्ट। वर्ल्ड हार्ट डे या विश्व हृदय दिवस दुनिया भर के सभी लोगों को अपने दिल की देखभाल करने की याद दिलाता है। इस वर्ष का अभियान सबसे पहले अपने दिल को जानने के जरूरी कदम पर केंद्रित है। इस वर्ष हृदय रोगों की रोकथाम के लिए सक्रिय कदम उठाने की अपील कर रहा है वर्ल्ड हार्ट डे। इस वर्ष के वर्ल्ड हार्ट डे की थीम (World Heart Day 2023 Theme) दिल का उपयोग करें, दिल को जानें (Use Heart, Know Heart) है। यह दुनिया भर के लोगों को हृदय की देखभाल के महत्व पर जोर देती है।
एओर्टिक एन्यूरिज्म एओर्टिक वाल (aortic wall) का गुब्बारे जैसा विस्तार है, जो आमतौर पर अंतर्निहित ऊतक कमजोरियों (inherent tissue weaknesses), संक्रमण या क्रोनिक उच्च रक्तचाप (chronic high blood pressure) जैसे अन्य कारकों के कारण होता है। लगभग 70-75% मामले में लक्षण नजर नहीं (asymptomatic) आते। इससे इसका जल्दी पता लगाना कठिन चुनौती बन जाता है। यह स्थिति सामान्य आबादी के लगभग 3-4% लोगों को प्रभावित करती है। नियमित स्वास्थ्य जांच (routine health checks) के दौरान ही अक्सर एन्यूरिज्म का पता (aneurysms diagnosis) चल पाता है।
एओर्टा सिर्फ मुख्य ब्लड वेसल नहीं है, जो हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों तक लाइफ सस्टेनिंग फ्लूइड को ले जाती है। यह हमारे सर्कुलेशन सिस्टम का हाई प्रेशर फ्रीवे है। लेकिन क्या होता है जब यह महत्वपूर्ण आर्टेरियल हाईवे (arterial highway) एक खतरनाक स्थिति विकसित कर लेता है? जब ऐसा होता है, तो इसे एओर्टिक एन्यूरिज्म के रूप में जाना जाता है। एओर्टिक एन्यूरिज्म एक साइलेंट किलर (silent killer Aortic aneurysms) की तरह होता है। जब तक आपको इसका पता चलता है, बहुत देर हो चुकी होती है।
इसलिए इन्हें सायलेंट किलर कहा जाता है। जब इनका पता चलता है, तब यह बड़े रूप में या टूटे हुए एओर्टिक एन्यूरिज्म के रूप में पता चलता है। ये दोनों ही स्थितियां जीवन के लिए खतरा (Life threatening) हैं।
हालांकि 4 सेंटीमीटर से कम डायमीटर वाला कोई भी एन्यूरिज्म तुरंत खतरनाक नहीं होता है। इस सीमा से अधिक होने पर सीने में दर्द जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं, जो पीठ तक फैल जाते हैं। ये एन्यूरिज्म चेस्ट से लेकर हृदय के ठीक ऊपर पेट में डिसेंडिंग एओरटा तक कहीं भी हो सकते हैं। जोखिम कारकों में स्मोकिंग, एन्यूरिज्म की फैमिली हिस्ट्री, चेस्ट ट्रॉमा और मार्फ़न सिंड्रोम (Marfan’s syndrome) जैसे कनेक्टिव टिश्यू डिसऑर्डर शामिल हैं।
यदि उपचार न किया जाए तो एन्यूरिज्म बढ़ता रहता है। इसका परिणाम घातक भी हो सकता है। यह या तो फट सकता है या एओर्टिक डिसेक्शन (aortic dissection) का कारण बन सकता है। इसमें एओर्टिक वाल फट जाती है, जिससे महत्वपूर्ण अंगों में ब्लड फ्लो में गंभीर बाधा हो जाती है। दोनों परिदृश्यों में, परिणाम स्ट्रोक (Heart stroke) और बहु-अंग क्षति (multi-organ damage) से लेकर तत्काल मृत्यु (instant death) तक हो सकते हैं।
स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है, विशेषकर जोखिम वाले लोगों के लिए। किसी भी असामान्य निदान से बचने के लिए समय पर जांच कराना जरूरी है। समय पर जांच, विशेष रूप से 35-40 की उम्र के बाद अल्ट्रासाउंड या इकोकार्डियोग्राम (ultrasound or echocardiograms ) के माध्यम से जीवन रक्षक (life-saver ) हो सकता है। उपचार में सर्जरी या नॉन सर्जरी के माध्यम से एओरटा को बदलना शामिल है। इससे परिसंचरण तंत्र से एन्यूरिज्म को बाहर रखा जाता है।
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