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Genetic Cancer : समझिए फैमिली हिस्ट्री कितना बढ़ा सकती है आपके लिए कैंसर का जोखिम

यह सही है कि फैमिली हिस्ट्री किसी व्यक्ति में अन्य व्यक्तियों की तुलना में कैंसर के जोखिम को बढ़ा देती है। पर इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कैंसर को सही उपचार और इच्छा शक्ति से हराया जा सकता है।
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वर्ल्ड कैंसर डे पर कैंसर के बारे में जागरुकता बढ़ाने पर बल दिया जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Published: 4 Feb 2024, 14:54 pm IST
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शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होने वाले कैंसर को उस अंग विशेष से उल्लिखित किया जाता है।पर तमाम तरह के कैंसर के लिए कुछ खास जीन जिम्मेदार होते हैं। ये कैंसर जीन कई बार पर्यावरणीय कारकों से ट्रिगर हो जाते हैं। जबकि कुछ मामलों में यह परिवार के सदस्यों के बीच एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आगे बढ़ते हैं। इस तरह के कैंसर को जेनेटिक कैंसर (Genetic Cancer) कहा जाता है। क्या है यह और इससे कैसे बचा जाए, आइए जानते हैं विस्तार से।

कैंसर के रिस्क का आकलन करने के लिए जीन वेरिएंट्स की जटिल दुनिया, आनुवांशिक कैंसर सिंड्रोम और साथ ही, परिवार में कैंसर हिस्ट्री जैसे पहलुओं पर वर्ल्ड कैंसर डे पर विस्तार से बात करना जरूरी है।

जीन वेरिएंट और कैंसर का जोखिम (Genetic Cancer)

कुछ जीन वेरिएंट जेसे कि BRCA1 or BRCA2 जीन्स की ऐसे फैक्टर्स के तौर पहचान की गई है जो ब्रेस्ट एवं ओवेरियन कैंसर समेत कुछ खास तरह के कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। इन वेरिएंट्स को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि पैथोजेनिक वेरिएंट्स, रोगकारी वेरिएंट्स, कैंसर जीन वेरिएंट्स या क्लीनिकली एक्शनेबल वेरिएंट्स।

जेनेटिक फैक्टर्स को समझना जरूरी है क्योंकि इनसे से यह तय होता है कि किसी व्यक्ति विशेष में कैंसर होने का रिस्क कितना है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि अगर आपको अपने आनुवांशिकी से ऐसा कोई जीन वेरिएंट मिला है, तो आपको कैंसर जरूर होगा। अलबत्ता, इनकी मौजूदगी के चलते आपका रिस्क अधिक होता है। इसलिए आपको समय-समय पर मॉनीटरिंग तथा बचाव के उपायों को अपनाना चाहिए।

family history cancer risk ko badha sakti hai
जेनेटिक कैंसर से डरने की नहीं, बल्कि सावधान रहने की जरूरत है। चित्र : अडोबी स्टॉक

पारिवारिक या आनुवांशिकीय कैंसर लक्षण (Symptoms of genetic cancer)

कुछ परिवारों में यह भी देखा गया है कि कोई कैंसर जीन वेरिएंट कई लोगों तक में पहुंच जाता है। और इसे पारिवारिक या आनुवांशिकीय कैंसर सिंड्रोम कहा जाता है। आम धारणा के विपरीत, इस प्रकार आनुवांशिकी से मिले जीन वेरिएंट कैंसर मामलों के काफी कम प्रतिशत के जिम्मेदार होते हैं। जबकि लाइफस्टाइल संबंधी आदतों जैसे धूम्रपान और मोटापे की अधिक बड़ी भूमिका होती है।

यदि किसी व्यक्ति को आनुवांशिकी से कैंसर जीन वेरिएंट मिला है, तो जरूरी नहीं कि यह तुरंत कैंसर में बदल जाएगा। यह कोशिकाओं के नुकसान होने की प्रक्रिया में तेजी लाता है, जिससे कुछ समय बाद रिस्क बढ़ जाता है। इसलिए इनका समय पर पता लगाना और जरूरी उपाय करना महत्वपूर्ण होता है।

फैमिली हिस्ट्री है कैंसर रिस्क का संकेतक (Family history and genetic cancer)

किसी परिवार में कैंसर हिस्ट्री के पैटर्न को समझना इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है कि इससे जेनेटिक कारणों के बारे में पता लगता है। जिन परिवारों में एक जैसे जीन वेरिएंट होते हैं वे एक जैसे प्रकार के कैंसर से प्रभावित हो सकते हैं। उनमें युवावस्था में कैंसर सामने आ सकता है। या कई बार वे मल्टीपल प्राइमरी कैंसर के रोगी भी होते हैं।

आमतौर पर, ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर या बाउल और वूम्ब (गर्भाशय) कैंसर एक साथ हो सकते हैं। कई बार इनके साथ ही पेट या गुर्दे का कैंसर भी हो सकता है।

इसके अलावा, कुछ जीन वेरिएंट्स कुछ खास नस्लीय समूहों में अधिक पाए जाते हैं। यह इस बात का इशारा है कि कैंसर के रिस्क का पता लगाने के लिए व्यक्ति की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी भी महत्वपूर्ण होती है।

कैंसर के जोखिम से जुड़े सरोकारों से निपटना (How to deal with genetic cancer risk)

लोग अक्सर कई कारणों से कैंसर को लेकर चिंताग्रस्त रहते हैं। कई बार ऐसा उनके व्यक्तिगत अनुभवों की वजह से होता है या फिर परिजनों की चिंता की वजह से ऐसा होता है। बेशक, ऐसा हो सकता है रिश्तेदारों में कैंसर रोगी हों, लेकिन इस वजह से आपको भी आनुवांशिकीय तौर पर खतरा है, ऐसा जरूरी नहीं है।

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जिन लोगों को अपनी फैमिली हिस्ट्री की वजह से खतरा महसूस होता है, उन्हें अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह करनी चाहिए। डॉक्टर आपके परिवार में मौजूद कैंसर के पैटर्न का मूल्यांकन कर, जरूरी हुआ तो आपको जेनेटिक्स स्पेशलिस्ट के पास रेफर कर सकते हैं। जो कि जेनेटिक रोगों को समझने, उनके डायग्नॉसिस और प्रबंधन में माहिर होते हैं।

आनुवांशिक कैंसर जोखिम का प्रबंधन (Genetic cancer management)

1 जरूरी जांचें : 

जेनेटिक्स स्पेशलिस्ट के पास रेफर किए जाने के बाद, विस्तृत रूप से जांच की जाती है। इसमें जेनेटिक टेस्टिंग की जाती है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि पहचान किए गए जीन वेरिएंट्स से कैंसर रिस्क बढ़ सकता है या नहीं।

2 ब्रीफिंग : 

इस प्रकार मल्यांकन करने के बाद, जेनेटिक स्पेशलिस्ट व्यक्ति विशेष का जोखिम कम करने के उपायों के बारे में जानकारी देते हैं। इनमें कैंसर स्क्रीनिंग टैस्ट, रिस्क कम करने के लिए सर्जरी, दवाओं का सेवन, क्लीनिकल परीक्षणों में शामिल होना, सेहतमंद लाइफस्टाइल अपनाना और फैमिली प्लानिंग जैसे उपाय शामिल हो सकते हैं।

3 इमोशनल सपाेर्ट : 

कैंसर के जोखिम जैसी समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के मामले में भावनात्मक सपोर्ट बहुत जरूरी है।  ऐसे में जेनेटिक स्पेशलिस्ट और साथ ही, परिवार तथा दोस्त जरूरी सपोर्ट प्रदान करने के साथ-साथ इस चुनौतीपूर्ण वक्त में सहारा भी बनते हैं।

cancer ki pehchan shuruaat me ki ja sakti hai.
एक्सपर्ट की बताई कुछ सलाह पर ध्यान देकर
कैंसर को शुरुआत में ही पहचाना जा सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

यह भी याद रखें  

अगर आपके परिवार के किसी सदस्य/सदस्यों को कैंसर है/हो चुका है, तो यह इस बात की गारंटी नहीं है कि आपको भी यह रोग अपनी गिरफ्त में जरूर लेगा। यह स्थित सिर्फ इस बात का इशारा होती है कि बिना किसी फैमिली हिस्ट्री वाले व्यक्ति की तुलना में आपका रिस्क ज्यादा है।

आनुवांशिकी से प्राप्त खराब जीन्स के चलते कैंसर होने की संभावना प्रत्येक 100 मामलों में 3 से 10 तक ही होती है। यह भी कि आनुवांशिकीय जेनेटिक म्युटेशन की वजह से होने वाले कैंसर के मामले अन्य कारणों जैसे कि एजिंग, लाइफस्टाइल या पर्यावरण आदि के चलते होने वाले कैंसर मामलों के मुकाबले कम होते हैं।

यदि आप अपने मामले में कैंसर की फैमिली हिस्ट्री को लेकर परेशान हैं, तो इस बारे में सलाह के लिए अपने डॉक्टर से मिलना समझदारी का फैसला है।

कुल-मिलाकर, रोग का जल्द पता लगाकर, जोखिम घटाने के उपायों को अमल में लाकर, तथा भावनात्मक सहयोग मिलने से लोग जानकारी और अपनी संकल्प शक्ति के दम पर कैंसर के जोखिम से निपट सकते हैं।

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लेखक के बारे में

Dr Rajat Bajaj is Medical Oncologist, Fortis Hospital, Noida ...और पढ़ें

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