बिजी लाइफस्टाइल और अनहेल्दी ईटिंग पैटर्न के कारण हम ज्यादातर अपने शरीर पर ध्यान नही दे पातें। इसी कारण कई बार हमें शरीर में पनप रही बड़ी बीमारियों का भी पता नही चल पाता। ऐसे ही कैंसर भी एक बड़ी बिमारी है, जिसके शुरूआती लक्षणों पर ध्यान न देने पर समस्या तेजी से बढ़ने लगती है।
इस स्थिति में शरीर में एबनॉर्मल सेल्स की संख्या बढ़ने लगती है और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करने लगती है। कैंसर पर पूरी तरह कंट्रोल तो नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ खाद्य पदार्थो के सेवन से इसके जोखिमों को कम जरूर किया जा सकता है। आज इस लेख में हम ऐसे ही 4 खाद्य पदार्थों (4 foods to avoid cancer ) पर बात करेंगे, जिनके सेवन से कैंसर के जोखिमों को प्राकृतिक रूप से कम किया जा सकता है।
अमेरिकन इंस्टिट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च के मुताबिक विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां, साबुत अनाज और खाद्य पदार्थों से भरपूर डाइट कई तरह के कैंसर के खतरों को कम करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा कई प्रकार के मिनरल्स, विटामिन और फाइटोकेमिकल्स भी कैंसर के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
कैंसर के जोखिमों को कम करने के लिए अंगूर एक बेहतरीन फल माना गया है. इसमें खासकर के बैंगनी और लाल अंगूर में रेस्वेराट्रोल पाया जाता है। जिसे कैंसर सेल्स पर असरदार पाया गया है।
वेबमेड सेंट्रल की रिसर्च के अनुसार रेस्वेराट्रोल में स्ट्रांग एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो सेल्स में कैंसर की प्रक्रिया को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं। लेकिन रिसर्च में अंगूर को कैंसर का इलाज नहीं माना गया है।
ब्रोकली में भरपूर प्रोटीन होने के साथ जिंक, सेलेनियम, विटामिन ए, सी भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। जो पाचन तंत्र को बेहतर रखने के लिए आवश्यक तत्व है।
इसके अलावा ब्रोकोली में सल्फोराफेन भी होता है, जिसे कैंसर का खतरा कम करने के लिए अच्छा विकल्प माना गया है। क्लीनिकल कैंसर रिसर्च की 2010 में हुई एक रिसर्च में पाया गया कि सल्फोराफेन ब्रेस्ट कैंसर सेल्स के साइज और नंबर 75% तक कम कर सकते हैं। रिसर्च में यह भी पाया गया कि सल्फोराफेन के साथ क्रुसिफेरस सब्जियों का ज्यादा सेवन कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम कम करने में मदद करता है।
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बीन्स में अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के साथ फाइबर की भी अधिक मात्रा पायी जाती हैं, फाइबर को कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के लिए अच्छा सोर्स माना गया है।
पबमेड सेंट्रल की एक रिसर्च के मुताबिक बीन्स का सही मात्रा में सेवन कोलोरेक्टल ट्यूमर और कोलन के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है। क्योंकि इसके आवश्यक कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकने में मदद कर सकते हैं। रिसर्च के लिए 1905 लोगों पर शोध में सामने आया कि जिन लोगों ने लम्बे समय तक बीन्स का सेवन किया, उनमें कोलोरेक्टल ट्यूमर के जोखिम बहुत ज्यादा कम हुए।
सभी ड्राई फ्रूटस की तरह अखरोट में भी शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स और हेल्दी फेट्स पाए गए हैं। अमेरिकन इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च ने पाया कि अनुसार अन्य नट्स की तुलना में अखरोट में कैंसर के जोखिमों को रोकने की ज्यादा क्षमता होती है।
रिसर्च में यह भी पाया गया कि अखरोट में पेडुनकुलगिन नामक तत्व पाया जाता है। जिसे शरीर यूरोलिथिन में बदल देता है। यूरोलिथिन एक प्रकार का कंपाउंड है जो एस्ट्रोजेन को रिसेप्टर्स से जोड़कर ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में मदद करता हैं।
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