नए साल के साथ-साथ कोरोना वायरस (Omicron variant) की तीसरी लहर (Third wave) भी दस्तक दे चुकी है। भारत में 7 जनवरी 2022 तक 1,17,100 लोग सिर्फ 24 घंटों में कोविड – 19 (Covid – 19) से संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे में यदि आप पहले भी कोविड – 19 से संक्रमित हो चुके हैं और अभी तक उसके प्रभाव (Long Covid Symptoms) फेस कर रहे हैं, तो आपको ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है।
ऐसा इसलिए क्योंकि कोविड-19 के लक्षण कभी-कभी महीनों तक बने रह सकते हैं। यह वायरस फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से आपकी इम्युनिटी कमजोर (Weak Immunity) पड़ सकती हैं, जो आपको कोविड – 19 के जोखिम में डाल सकती है।
वृद्ध लोग यहां तक कि युवा और स्वस्थ लोग भी कोविड संक्रमण के बाद हफ्तों से महीनों तक अस्वस्थ महसूस कर सकते हैं। समय के साथ रहने वाले सामान्य संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं:
थकान
सांस की तकलीफ या सांस लेने में कठिनाई
खांसी
जोड़ों का दर्द
छाती में दर्द
याददाश्त, एकाग्रता या नींद की समस्या
मांसपेशियों में दर्द या सिरदर्द
तेज़ दिल की धड़कन
गंध या स्वाद की हानि
अवसाद या चिंता
बुखार
खड़े होने पर चक्कर आना
शारीरिक या मानसिक गतिविधियों के बाद बिगड़े हुए लक्षण
लॉन्ग कोविड (Long Covid) के लक्षण आपकी इम्युनिटी को प्रभावित कर सकते हैं और आपको वीक बना सकते हैं। मगर कोविड – 19 होने के बाद बनी एंटीबॉडीज (Antibodies) का क्या? क्या इनके बाद भी आप कोविड – 19 ओमिक्रोन (Covid – 19 Omicron) के जोखिम में हैं? चलिये पता करते हैं –
डेटा से संकेत मिलता है कि कोविड -19 के रोगियों में एंटीबॉडीज कई महीनों तक रहती हैं। मगर समय के साथ धीरे-धीरे इनकी संख्या में गिरावट आने लगती है। इम्युनिटी जर्नल (Immunity Journal) में प्रकाशित एक अध्ययन में 5882 लोग, जो कोविड-19 संक्रमण (Covid – 19 Infection) से उबर चुके थे, ने पाया कि बीमारी के पांच से सात महीने बाद भी उनके रक्त में एंटीबॉडी मौजूद थी।
जर्नल इम्युनिटी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग कोविड-19 के हल्के मामलों से भी ठीक हो जाते हैं, वे कम से कम 5 से 7 महीने तक एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं और यह अधिक समय तक चल सकती है।
किसी व्यक्ति के वायरस प्राप्त करने के बाद, प्रतिरक्षा प्रणाली उसकी स्मृति को बरकरार रखती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, “प्रतिरक्षा कोशिकाएं और प्रोटीन जो शरीर में फैलते हैं, रोगज़नक को पहचान सकते हैं और मार सकते हैं। यदि यह फिर से सामने आता है, तो बीमारी से बचाव और बीमारी की गंभीरता को कम करता है।”
एंटीबॉडी प्रोटीन, जो रक्त में फैलते हैं और वायरस जैसे विदेशी पदार्थों को पहचानते हैं और उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं।
हेल्पर टी कोशिकाएं रोगजनकों को पहचानने में मदद करती हैं।
किलर टी कोशिकाएं रोगजनकों को मारती हैं।
बी कोशिकाएं नई एंटीबॉडी बनाती हैं, जब शरीर को उनकी आवश्यकता होती है।
कोविड -19 से ठीक होने वाले लोगों में ये सभी चार प्रोटेक्शन पाए गए हैं।
एक नए अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है और पहले डेल्टा कोविड वेरिएंट से संक्रमित थे, उन्हें ओमिकॉन से खतरा है।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, एंटीबॉडी के स्तर को मापने के लिए ऑस्ट्रिया में मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ इन्सब्रुक के शोधकर्ताओं ने उन लोगों के खून की तुलना की, जिन्होंने डेल्टा को हराया था।
सात नमूनों में से केवल एक ने ओमिकॉन को बेअसर करने के लिए पर्याप्त संक्रमण से लड़ने वाले प्रोटीन का उत्पादन किया।
यह सही है कि एंटीबॉडीज अपनी स्मृतियों में वायरस की पहचान रखती हैं और जरूरत पड़ने पर बचाव के लिए पुनर्निर्माण करती हैं। इसके बावजू वे कितने समय तक जिंदा रहेंगी, इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी अभी तक नहीं है।
चूंकि कोविड-19 विकसित होने या टीका लगवाने के बाद एंटीबॉडीज कब तक टिकेंगी यह अज्ञात है, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है। हृदय, मस्तिष्क और मांसपेशियों पर लॉन्ग कोविड के प्रभावों को सामने करने वाले लोगों को खासतौर पर सतर्क रहना होगा।
इसिलए अपनी इम्युनिटी को मजबूत करने वाले आहार का सेवन करना, शारीरिक दूरी का अभ्यास करना और मास्क पहनना जारी रखना चाहिए। ताकि प्रसार को रोका जा सके।
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