लॉग इन

हर छींक का मतलब कोविड-19 से ग्रस्‍त होना नहीं ! आइये जानते हैं इस बारे में क्‍या कहतेे हैं ईएनटी स्‍पेेशलिस्‍ट

एलर्जिक राइनाइटिस किसी को भी प्रभावित कर सकती है। हालांकि ये कोविड -19 की तरह गंभीर नहीं हैं, लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए इससे सही तरीके से निपटने की आवश्यकता है।
हर बार छींकने का अर्थ कोविड-19 से ग्रस्‍त होना नहीं है। चित्र: शटरस्‍टॉक
Dr Gayatri Pandit Updated: 2 Apr 2021, 14:39 pm IST
ऐप खोलें

एलर्जिक राइनाइटिस एक बहुत ही सामान्य बीमारी है, लेकिन इससे रोगी के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि दुनिया भर में लगभग 400 मिलियन लोग एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित हैं। यह सभी आयु और वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है। साथ ही बच्चों और युवाओं बीच तेजी से बढ़ रही है। इसके बावजूद लोग इसे एक छोटी समस्या मानकर नज़रंदाज़ करते हैं।

लक्षण: श्वसन संबंधी एलर्जी और कोविड -19

एलर्जिक राइनाइटिस और कोरोनावायरस संक्रमण के कई लक्षण हैं, लेकिन दोनों रोग एक-दूसरे से अलग हैं।

कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में, आमतौर पर बुखार, शरीर में दर्द, थकावट और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जो एलर्जी राइनाइटिस में नहीं होते। इसके अलावा, एनोस्मिया, यानि कम गंध संवेदना, कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षणों में से एक है।

एलर्जी के कारण आपको कोविड जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

एलर्जी संबंधी राइनाइटिस एक क्रोनिक समस्या है, जो या तो बारहमासी लक्षणों के साथ होती है या मौसमी लक्षणों के साथ। नाक बहना, छींकना और खुजली एलर्जी राइनाइटिस के सामान्य लक्षण हैं। ये लक्षण आमतौर पर एलर्जी से होते हैं। जैसे कि वायु प्रदूषक, धूल के कण, पराग या पेट डैंडर।

जरूरी है इनडोर प्रदूषण के जोखिम को समझना

कोरोना वायरस महामारी के बाद से, लोगों की कार्य संस्कृति में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। हालांकि इससे बाहरी प्रदूषण के स्तर में कमी आई है, लेकिन इनडोर एलर्जी में वृद्धि हुई है। धूल के कण, फंगस और कोकरोच कुछ सामान्य इनडोर एलर्जी का कारण बनते हैं। लकड़ी की पॉलिश, पेंट, फर्श क्लीनर, अगरबत्ती और मच्छर भगाने वाले कॉइल भी इनडोर प्रदूषण के स्रोत हैं, जिन्हें हम अनदेखा करते हैं।

लगभग 70 प्रतिशत एलर्जिक राइनाइटिस, धूल के कण की संवेदनशीलता के कारण होता है। हाउस डस्ट माइट्स छोटे माइट होते हैं जो मुख्य रूप से बेड पर उगते हैं। वे मानव त्वचा पर फ़ीड करते हैं। वे कालीन, सॉफ्ट टॉयज और गद्दीदार फर्नीचर पर भी पाए जाते हैं। ये घर की धूल के साथ अपने मल पदार्थ को छोड़ देते हैं, जिसमें विशिष्ट प्रोटीन होते हैं। जो संवेदनशील लोगों में एलर्जी पैदा कर सकते हैं।

एक और आम एलर्जेन है पोलन यानि फूलों से निकलने वाला पराग। पोलन प्रजनन के कारण पौधों से निकलने वाले नर गैमीट साइट्स होते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी पौधे एलर्जी का कारण नहीं बनते हैं।

बसंत के मौसम में काफी आम है पोलन एलर्जी,इससे बचकर रहें . चित्र : शटरस्टॉक

ज्‍यादातर सजावटी पौधे एलर्जी का कारण नहीं बनते। कैस्टर ऑयल प्लांट (रिकिनस कम्युनिस), प्रोसोपिस जूलीफेरा और घास (पार्थेनियम) कुछ महत्वपूर्ण पराग हैं, जो श्वसन संबंधी लक्षणों का कारण बनते हैं।

तो, आप इस तरह की एलर्जी से कैसे बच सकती हैं?

पर्यावरण से एलर्जी को पूरी तरह से समाप्त करना असंभव है, लेकिन एक हाइपोएलर्जेनिक वातावरण बनाया जा सकता है, जो इनके जोखिम को कम कर सकता है:

बार-बार गर्म पानी (50-60 *C) और धूप में बेडशीट को धोना घर के धूल कण को हटा सकता है। बेड और बेडशीट के बीच अवरोध पैदा करने के लिए माइट एनकैशिंग कवर का उपयोग किया जा सकता है।

अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें

कस्टमाइज़ करें

कमरे से सॉफ्ट टॉयज और कालीनों को हटाना श्वसन एलर्जी को ट्रिगर करने की संभावनाओं को भी कम कर सकता है, क्योंकि वे धूल-मि‍ट्टी का स्रोत हो सकते हैं।

अगर पोलन एलर्जी है तो सुबह की हवा के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

आंखों में पोलन के संपर्क से बचने के लिए चश्मे का उपयोग करना भी उचित है।

साथ ही, आउटडोर गतिविधियों को कम करना एलर्जी को रोकने में फायदेमंद होगा।

आपको अपने घर के वातावरण को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्‍त रखना होगा। चित्र: शटरस्‍टॉक

क्या एलर्जी का इलाज करवाना ज़रूरी है?

अब यह साबित हो चुका है कि एलर्जी राइनाइटिस, अगर लंबे समय तक अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो साइनसाइटिस, अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कोई भी लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सक से परामर्श करें।

स्किन प्रिक एलर्जी टेस्ट आमतौर पर ट्रिगर एलर्जी की पहचान करने के लिए किया जाता है। एलर्जी के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवा उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है। कुछ रोगियों को इम्यूनोथेरपी के लिए डिसेन्सीटाइजेशन की भी आवश्यकता हो सकती है।

यह भी पढ़ें – बार-बार जुकाम होने की वजह हो सकता है डेविएटेड सेप्‍टम, जानिए क्‍या है नाक से जुड़ी यह गंभीर समस्‍या

Dr Gayatri Pandit

Dr Gayatri Pandit, ENT consultant at Samarth ENT and Allergy Centre, Bangalore ...और पढ़ें

अगला लेख